पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/२२१

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? ४ हुँक्मनीमा हुडदंगा' हुक्मनामा-मशा पुं० [अ० हुक्म + फा० नामहJ वह कागज जिसपर सामीप्य या समक्षता । नंजर का सामना । २. उपस्थिति । कोई हुक्म लिखा गया हो। आज्ञापन । हाजिरी । मौजूदगी। क्रि० प्र०—देना ।--लिखना । -भेजना। हुजूरी -सञ्ज्ञा पुं० १ खास सेवा मे रहनेवाला नौकर । २ दरबारी । हुक्मवरदार-सञ्ज्ञा पु० [अ० हुक्म + फा० बरदार (प्रत्य॰)] १ मुसाहव । अाज्ञानुवर्ती। प्राज्ञा के अनुसार चलनेवाला। आज्ञाकारी। हुजूरी'-वि० हुजूर का । सरकारी। २ सेवक । अधीन । हुजूरेवाला-सञ्ज्ञा पुं॰ [फा० हुजूरेवाला ] श्रेष्ठ व्यक्ति के लिये हुक्मवरदारी-सज्ञा स्त्री० [फा० हुक्मवरदारी] १ आज्ञापालन। प्रतिष्ठासूचक सबोधन (को०] । आज्ञाकारिता । २ सेवा । नौकरी। हुज्जत-सज्ञा स्त्री॰ [अ०] १ व्यर्थ का तर्क । फजूल की दलील । हुक्मराँ, हुक्मरान-वि० [अ० हुक्म + फा० रां, रान] हाकिम । २ प्रमाण । सबूत (को०)। ३ विवाद । झगडा । तकरार । आदेश चलानेवाला। उ०-सरकार लाख जग मे हुए सदहा कहासुनी। वाग्युद्ध । उ०-दुई दरोग हिर्स हुज्जत नाम नेकी हुक्मरीं ।-कवीर म०, पृ० ३२४ । नेस्त ।-दादू०, पृ० १०८ । हुक्मरानी-सज्ञा स्त्री० [फा० हुक्मरान ] शासन चलाना । क्रि० प्र०—करना ।—मचाना ।—होना । हुकूमत चलाना । उ०-जमी सारी पर हुक्मरानी हुई। बाहर हुज्जती--वि० [अ० हुज्जत + ई (प्रत्य)] बात वात मे लडनेवाला । कौम पर मेहरवानी हुई।-कवीर म० पृ० १३३ । हुज्जत करनेवाला। झगडालू । हुक्मी-वि० [अ० हुक्म ] १ दूसरे की आज्ञा के अनुसार हुड:--सञ्ज्ञा पु० [ स० हुड ] १ मेढा । २ एक प्रकार का अस्त्र । ही काम करनेवाला । दूसरे के कहे मुताबिक चलनेवाला । ३ बादल । मेघ (को०) । ४ प्राकार । परिखा। सेना का पराधीन । जैसे,-मै तो हुक्मी बदा हूँ, मेरा क्या कसूर आश्रयस्थल । परकोटा (को०' । ५. लगुड। लौहदड (को॰) । २ न चूकनेवाला । जरूर अमर करनेवाला । अचूक । अव्यर्थ । ६ प्रवेशमार्ग मे चोरो के निवारणार्थ धंसाया हुअा लोहे का जैसे--हुक्मी दवा । ३. खाली न जानेवाला । अवश्य लक्ष्य तीखा काँटा अथवा लोहे के कंटीले टुकडे । विशेप दे० पर पहुँचनेवाला । जैसे--वह हुक्मी तीर चलाता है । 'गोखरू'--२। अवश्य कर्तव्य । न टालने योग्य । लाजिमी । जरूरी। हुड'--सज्ञा पुं० [अ०] वग्घी, मोटर, रिक्शा आदि सवारियो के पीछे हुचकी'--सज्ञा स्त्री॰ [ फा हुक्चह] दे॰ 'हिचकी' । लगा हुआ वह कमानीदार आच्छादन जिसे आवश्यकता पड़ने हुचकी--सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ देश० ] एक प्रकार की सुदर लता या वेल पर आगे की ओर खीचकर फैलाया जा सकता है। जिसके फूल ललाई लिए सफेद और सुगधित होते है । हुडकना-क्रि० अ० [ देश० ] बच्चे का रो रोकर उसके लिये अपनी हुजूम--सज्ञा पुं० [अ० ] भीड । जमावडा । उ०-(क) दरवाजे व्याकुलता प्रकट करना जिससे वह बहुत हिला मिला हो । पर घोडे हाथी, पालकी, नालकी के हुजूम से रास्ता न उत्साहित होना । हुमसना । उछलना कूदना । हुमकना । उ०-- मिलता था।- कविता कौ०, भा० ४, पृ० २६० । (ख) जहँ सूर सख वजावही । दिसि दिसनि दिग्गज दावही । धुनि बस हुजूमे नाउमेदी खाक मे मिल जायगी ।--कविता धीर दु दुभि धुक्करै । सुनि वीर हुडकत हुक्करै ।--पद्माकर को०, भा० ४, पृ० ४७२ । ग्र०, पृ०६। हुजूर-सञ्ज्ञा पुं० [अ० हुजूर ] १ किसी बडे का सामीप्य । नजर हुडका-सञ्ज्ञा पुं० [ देश०] १ वह घोर मानसिक व्यथा (विशेपत बच्चो को होनेवाली मानसिक व्यथा) जो प्राय अचानक किसी का सामना । समुख स्थिति । ममक्षता । प्रिय व्यक्ति का वियोग हो जाने पर उत्पन्न होती है। मुहा०- -(किसी के ) हुजूर मे = (वडे के) सामने । आगे । जैसे-वह सब बादशाह के हुजूर मे लाए गए। क्रि० प्र०--पडना। २ बादशाह या हाकिम का दरवार । कचहरी । हुडका-सञ्चा पुं० [सं० हुडक्क] हुडुक नाम का वाजा। यौ०-हुजूर तहसील = सदर तहसील। वह तहसील जो जिले के हुडकाना-क्रि० स० [हिं० हुड़क + आना (प्रत्य॰)] १ बहुत अधिक प्रधान नगर मे हो । हुजूर महाल % वह महाल जिसकी भयभीत और दुखी करना। २ तरसाना। ललचाना। मालगुजारी सीधे सरकार के यहाँ दाखिल हो, लगान के हुडकार-सज्ञा पु० [अनु०] जोशीली ललकार। उ०--हुडकार । रूप मे किसी जमीदार को न दी जाती हो । वह जमीन हकत नही सकत, भिडत रन हनुमत सो।--पद्माकर ग्र०, जिसकी जमीदार सरकार हो । पृ०२०। ३. बहुत बडे लोगो के प्रति सबोधन का शब्द । ४ एक शब्द हुडदग-सज्ञा पुं० [अनु॰ हुड + दग ] दे॰ 'हुडदगा'। जिसके द्वारा अधीन कर्मचारी अपने वडे अफसर को या नौकर हडदगा'--सज्ञा पुं० [अनु० हुड + हिं० दगा] हल्ला गुल्ला और अपने मालिक को सबोधन करते है । उछल कूद । धमाचौकडी । उपद्रव । उत्पात । हुजूरी ---सशा स्त्री० [अ० हुजूर + हि० ई०' (प्रत्य॰)] १. वडे का क्रि० प्र०-मचना।--मचाना ।