पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/२२२

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- हुडदंगा' हुडदगा-वि० उपद्रवी । उत्पाती। हुताgf-क्रि० अ० [हिं० हुत] 'होना' क्रिया का-पुरानी अवधी हिंदी हुडदगी--वि० [हिं० हुडदगा+ ई ] धमाचौकडी मचानेवाला । उछल का भूतकालिक रूप । था। उ०-गगन हुता, नहिं महि हुती, कूद करनेवाला । शरारती । नटखट । हुते चद नहिं सूर।जायसी (शब्द०)। हुडुव--सज्ञा पु० [ स० हुडुम्ब ] वह चिउडा या धान जो भूना हुआ हुताग्नि' -~-सहा पुं० [सं०] १ वह जिमने हवन किया हो । २ अग्नि- हो । भूना हुअा धान का लावा [को०] । होती । ३ यज्ञ या हवन की आग । हुडु-सज्ञा पु० [ स० ] मेष । मेढा [को०) । हुताग्नि-वि० अग्नि मे पाहुति प्रदान करनेवाला । हवन करने- वाला (को०)। हुडुक-सञ्ज्ञा पुं० [ स हुडुक्क ] एक प्रकार का बहुत छोटा ढोल जिसे प्राय कहार या धीमर वजाते हैं। हुतात्मा-सञ्ज्ञा पुं० [स० हुतात्मन्] वह व्यक्ति जिसने किसी अच्छे हुडुक्क-सा पुं० [स०] १ एक प्रकार का बहुत छोटा ढोल । कार्य मे अपने को हवन कर दिया हो या अपना प्राण दे दिया हुडुक नाम का वाजा । २ दात्यूह पक्षी। डाहुक । ३ मतवाला हो। (अ० मार्टायर)। श्रादमी । मदोन्मत्त पुरुष । ४ लोहे का साम जडा हुआ डडा। हुतावशेष-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] दे० 'हुतशिष्ट', 'हुतशेष '। लोहबद । ५ अर्गल । बेंबडा। हुताश-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ (पाहुति खानेवाला) अग्नि । आग । २ हुडुत्-सक्षा पुं० [सं०] १ डराने, धमकाने का स्वर । धमकी । तीन की सख्या। ३ चिनक। चीते का पेड। ४. डर । नास । २ वैल या सांड के बोलने का शब्द । वृपभ की अावाज (को०] । खौफ । भय (को०)। हुढक्कल-सा पुं० [सं० हुडुवक ] दे॰ 'हुड़क', 'हुडुक्क' । यो०- हुताशवृत्ति = जिसकी आजीविका अग्नि पर निर्भर हो । हुताशशाला अग्नि का स्थान । अग्निशाला। हुण-अव्य० [प०] अधुना । अव । आज । उ० -(क) हुण क्या की लाडिले वेखन नहिं पावै ।--धनानद, पृ० १८० । (ख) हुताशन--सज्ञा पुं० [०] १ अग्नि । आग। २ कृशानु । शिव का कटू वण्या ए मजेदार गोरिए, हुण लाणा चटाका कदुए नूं । एक नाम (को०)। ३ चित्रक वृक्ष (को॰) । -~~-गुलेरीजी०, पृ० ४२ । यौ०-हुताशनसहाय = शिव का एक नाम । हुत-वि० [सं०] १ हवन किया हुया । पाहुति दिया हुआ । हुताशना-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [सं०] योगिनी विशेष (को०] । हवन करते समय अग्नि मे डाला हुआ। २ जिसके निमित्त हुताशनी-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] फाल्गुन मास की पूर्णिमा, जिस दिन होली आहुति दी गई हो (को०)। जलती है [को०]। हुत-सबा पुं० १ हवन की वस्तु । हवन करने की सामग्री । २ शिव हुतास-~-संज्ञा पुं० [सं० हुताश] दे० 'हुताश' । उ०-विरचत प्राप का एक नाम। समान न तो हिय सून निहारत । तेरै पास हुतास तासु ते तिनहूँ जारत ।-दीन० ग्र०, पृ० १००। हुत@क्रि० अ० [सं० भूत, हु+त, प्रा० हुप्र] 'होना' क्रिया का प्राचीन भूतकालिक रूप । था। उ०-हुत पहिले प्रौ अव है हुतासन-सबा पुं० [० हुताशन] अग्नि । दे० 'हुताशन' । सोई । —जायसी (शब्द०)। न होतो मनग, अनग हुतासन -प्रेमधन०, पृ० २०६ । हुतजातवेद-वि० [सं० हुतजातवेदस् ] जिसने अग्नि मे हवन किया हुति'-प्रव्य, [प्रा० हितो ] १ अपादान और करण कारक का हो । जो अग्नि मे पाहुति प्रदान कर चुका हो (को॰] । चिह्न । से। द्वारा । २ ओर से । तरफ से। दे० 'हुँति' । हुतभक्ष-सञ्ज्ञा पुं० [स० ] अग्नि । आग । हुति' २.-सचा स्रो० [सं०] हवन । यज्ञ । हुतभुक्---पूज्ञा पु० [० हुनभुज्] १ अग्नि । प्राग। २ चित्रक वृक्ष । हुतियन---सज्ञा पुं० [देश॰] सेमल का पेड । चीते का पेड। ३ शिव । महादेव (को०) । ४. विष्णु (को॰) । हुती-अ० कि० [हि• 'होना' का भूत का० रूप] थी । उ०-लाज के साज मैं हुत्ती ज्यौ द्रौपदी, बढयौ तन चीर नहि अत पायो।- हुतभुप्रिया-सज्ञा स्त्री० [स०] अग्नि की पत्नी-स्वाहा [को०] । सूर०, ११५। हुतभुज-सञ्ज्ञा ॰ [स०] दे॰ 'हुतभुक्' । हुते -अव्य० प्रा० हितो] १ से। द्वारा।२ ओर से । तरफ से। हुतभोक्ता-सज्ञा पुं॰ [सं० हुतभोक्त] अग्नि । हुतभक्ष [को॰] । हुतो-क्रि० अ० [होना' क्रिया का व्रजभाषा मे भूतकालिक रूप] था। हुतभोजन-सञ्ज्ञा पु० [स०] अग्नि का एक नाम (को०] । हुत्कच--सञ्ज्ञा पुं० [सं०] एक दैत्य का नाम । हुतवह-सधा पुं० [सं०] अग्नि । माग । हुदकना क्रि० अ० [सं० उत् (= ऊर्ध्व )] उछलना। कूदना । हुतशिष्ट --सञ्ज्ञा पुं० [सं०] दे० 'हुतशेष । हुतशेष [---सक्षा पुं० [ स०] हवन करने से बची हुई सामग्री। हुदकानाल-क्रि० स० [सं० उत्( 3 ऊर्व) या देश०] उसकाना । हुतहोम-स [-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १. जलता हुआ साकल्य या पाहुति । उभारना। २. वह ब्राह्मण जो हवन कर चुका हो (को॰] । हुदनाल-क्रि० प्र० स० हुण्डन] स्तब्ध होना । रुकना। उ०- उभडना।