पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/२२५

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नाम । उमग । हुलसाना हुल्लास झुलाव, केकी कीर वतराव देव, कोकिल हुलाइ हलगा कर हुलासदानी--सरा पी० [हिं० हुनान + दान ] नघनीदानी । तारी दै। -पोद्दार अभि० ग्र०, पृ० १५७ । हुलामिका-वि० सी० म० उन्नामिका] अानद देनेवानी । हुलसाना-कि० अ० दे० 'हुलसना' । उ०--राम अनज मन की गति उत्साह देनेवाली। उ-पुन्य प्रकाग्किा पाप शिामिका जानी । भगतबछलता हिय हुलसानी । -तुलमी (शब्द॰) । हीय हनामिका सोहत पामिया !--मान्तेंदु १०, भा० १, हुलसी- सशा मो० [हिंहुलसना ] हुलाम । उल्लाम । प्रानद की पृ० २८१। उमग ।--उ०-रामहिं प्रिय पावन तुलसी मी । तुलसिदास हुलामी-वि० [हिं॰ हुलाम + (प्रत्य॰)] १ अानदयुक्त । उल्नमिन । हित हिय हुलसी सो।--तुलमी (शब्द०)। २. किमी किसी हुलाम मे युक्न । उ०---गिरिधन्दाम । बिम्ब कीनी विलासी के मत से तुलसीदास जी की माता का नाम । रमा हामी ली उजामी जाकी जगन हुनागी है ।-भारतेंदु हुलहुल--मशा पुं० [?] एक छोटा वरसाती पौधा । अर्कपुष्पिका । ग्र०, भा० १, पृ० २८१।२ उत्माही । होलेवाला। सूरजवर्त । हुलिग [-संश पुं० [म० हुलिन] मध्यदेश के अतर्गत एक प्रदेश का विशेप-इस पौधे के कई भेद होते हैं। माधारण जाति के पौधे मे सफेद फूल और मूंग सी लवी फलियाँ लगती हैं। पीले, नान हुलिया-सा पुं० [अ० हुलियह ] १ शकल । प्राकृति । स्परग । और वैगनी फूलवाले पोधे भी पाए जाते हैं। पत्तियाँ इसकी २ चेहरा । मुख । ३ किसी मनुष्य के रूपरग आदि का निव- गोल और फांकदार होती है जो दर्द दूर करने की रण । शकल सूरत और बदन पर के निशान वगैरह का ब्योरा । मानी जाती है। कान के दर्द में प्राय इन पत्तियो का रस मुहा० To-हुलिया कराना या लियाना = किनी भागे हुए, पोए डाला जाता है । लोग इसकी पत्तियो का साग भी खाते है । हुए या लापता प्रादमी का पता लगाने के लिये उनकी शकल हुलहुला-सशा पुं० [ देश० ] १ विलक्षण बात । अद्भुत बात । सूरत ग्रादि पलिम मे दर्ज कराना । हुलिया तग करना = किमी २ उपद्रव । उत्पात । ३ शोक। ४ मिथ्या को अत्यत परेशान करना । हुनिया तग होना = झझट मे पडना। अभियोग । परेशानी मे पडना । हुलिया बताना अथवा बयान करना = किमी हुलहुली- -सचा सी० सं० । तुल० ब० हुल ( = शुभ कर्म के समय के रूप, रग, शकल, सूरत और शारीरिक चिह्न गरह या विव- उपस्थित नर नारियो की शुभसूचक ध्वनि) ] किसी मागलिक रण बताना । हुलिया विगडना=किमी की बुरी हालत होना । अवसर पर स्त्रियो द्वारा उच्चरित अस्पष्ट शब्दावली [को०)। किसी की गत वनना । हुलिया बिगाड देना या विगाडना%3D ऐसा मारना कि चेहरा और चाल आदि पूर्ववत् न रह जाय । हुला-सदा पुं० [हिं० हूलना] लाठी का छोर या नोक । यौ०-हुलियानामा = किसी मनुष्य के शकल मूरत और शरीर हुलाग्रका--सहा स्त्री० [सं० ] अस्त्रविशेष (को०] । के विशेप निशान का विवरणपन्न । हुलाना--क्रि० स० [हिं० टूलना ] लाठी, भाले आदि को जोर से ठेलना । पेलना। हुलिहली-सहा रसी० [सं०] १ विवाह के अवसर पर स्नियो द्वारा गाया जानेवाला गीत । २ गर्जन । ३ भूकना । मौकना । हुयां हुलाना'-क्रि० स० [ म० उल्लसन ] प्रसन्न करना । उ०-पवन हुआँ करना [को०] । झुलावै, केकी कीर वत रावै देव, कोक्लि हुलाइ हुलसावं कर तारी दै।-पोहार अभि० ग्र०, पृ० १५७ । हुलु-सहा पुं० [स०] हुलारा-ज्ञा पुं० [अनुध्व०] जोर लगाकर ऊपर उठाने का प्रयास । हुलूक-मशा पुं॰ [देश॰] एक जाति का बदर । उ०-दूसरा भरा घडा उठा, हुलारा दे उमने सिर पर रख विशेष--उसकी लगाई बीस इक्कीम उन और रग प्राय सफेद लिया।--मम्मावृत०, पृ० १२७ । होता है। यह प्रामाम के जगलो मे भुद मे रहता है और हुलाल-सज्ञा सी० [हिं० हुलमना ] तरग । लहर। जल्दी पालतू हो जाता है । --सज्ञा सी० [हि हनना] डूबने से पहले नाव का उगमगाना । हुलास - सपा पुं० [सं० उल्लाम] १ अानद की उमग । उल्लास । हर्प की प्रेरणा । खुशी का उमडना । आहाद । उ०-तिनि हुल्ल-सशा पुं० [सं०] एक प्रकार का नृत्य । लोगनि की गति दाननि की प्रति निरखि सनीपति भूलि रहे। हुल्लड-सज्ञा पुं० [अनु० ० हुलहुल] १ शोरगुल । हल्ला । कोताहन । ब्रजसोभ प्रकाहिं नद पिलाहिं 'दाम' हुलाहिं कीन कहै । २ उपद्रव । ऊधम । धूम । ८ हलनन । ग्रादोलन ।” दगा -भिखारी ग्र०, भा० १, पृ० २२६ । २ उत्माह । होमला। बनवा । तबीयत का बदना। उ०-सुनहि राज, रामहिं वनवामू । देहु क्रि० प्र०-फरना । होता ।--मनना |--TRITI लेह सव सवति हुलासू ।-तुलमी (गद०) । ३ उमगना। हुल्लास-रारा पुं० [म० उल्लाम] १ चौपाई घोर निमणी के योग में बढना। ४ एक द जो चौपाई और विनगी के मेल से वना हुमा एक छद जियो अत के नागे नरणो में जगरण या बनता है । दे० 'हुल्लास' । रगना वजित है । जैसे,-ठानो तिरभगी घर गु.गी , हुलास'--सशा ली० सुंपनी । मजरोशन । बहुरगी मनहि है। चयट्टि यता पनि सो प्रागे धरि वसु हुलैया-