पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/२२६

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हुवेदा ५५३८ हुस्नोदमक चरनन कविता सुथरै । हुल्लाम सुछदा आनंदकदा जस बर चदा मारे गए थे। ये शीया मुसलमानो के पूज्य हैं । मुहर्रम इन्ही के रूप रजै । यो छद वखान सव मनमाने जाके बरनत सुकवि सजे । शोक मे मनाया जाता है । --छद ०, पृ० ६५। २ उल्लास । आह लाद । उमग । उ० हुसैनी- --सज्ञा पुं० [अ० हुसंन] १ अगूर की एक जाति । २ फारमी औरै के गुन और को गुन पहिले उल्लास । दास सपूरन चद लखि सगीत के बारह मुकामो मे से एक । सिंधु हिये हुल्लास ।--भिखारी० ग्र०, भा॰ २, पृ० १३३ । हुसैनी कान्हडा--सज्ञा ॰ [फा० हुसैनी + हिं० कान्हडा] सपूर्ण जाति हुवेदा-वि० [फा० हुवेदा] जाहिर । स्पष्ट । उ०-हुवेदा इश्क केरा का एक राग जिसमे सव शुद्ध स्वर लगते हैं । सूर कीता । दो जग तिस सूर सूं पुरनूर कीता।-दक्खिनी०, हुस्न'-मज्ञा पुं० [अ०] १ मौदर्य । सुदरता । लावण्य । उ०--उजि- पृ० १५४ । याला हुस्न का है अदा खूब अज्व गुल है। इस नाज वगीचे मे हुश-अव्य० [अनु॰] दे॰ 'हुश्' । हम बुलबुलो का गुल है ।-बज० ग्र०, पृ० ४२ । हुशकाई।--सहा श्री० [अन०] १ हुशकारने का भाव या कार्य । हुश यौ०--हुस्न का पालम = सौंदर्य का काल । सुदरता का युग । कारने की त्रिया। हुशकारने की उजरत । उ०-घेले की हुम्नखेज । हुस्नपरस्त । हुस्नपसद । हुस्नफरोश । वुलबुल हाथ न लगे और टका हुशकाई पड जाय, पुलिस को २ तारीफ की बात । खूबी । उत्कर्ष । जैसे,—हुम्नइतजाम । आंख मे गिर जाना है।-चोटी०, पृ०१८ । ३ अनूठापन । विचित्रता । जैसे--तुम्न इत्तफाक । हुशयार-वि० [फा०] दे० 'होशियार' । हुस्न-सहा स्त्री॰ [प्र०] सतीत्व (को॰] । हुशवार-वि० [फा०] दे० 'होशियार' । हुस्नपारा-वि० [फा०] सुदर। स्पवान । सुदरता को शृगारित हुशयारी--सज्ञा स्त्री॰ [फा०] दे० 'होशियारी' । करनेवाला किो०] । हुशार-वि० [फा० होशयार, हुशयार] दे० 'होशियार' । उ०- हारे मुढे हुशार मुढे देख मुढे भाई । डोगी नजर देखते वावा हुस्नइतजाम-सज्ञा पुं० [अ० हुस्ने इतिजाम] प्रवध की खूबी। अन्छा इतजाम । सुप्रवध । नजीकई लाई ।--दक्खिनी०, पृ० १२३ । हुश्-अव्य० [अनु॰] १ एक निषेधवाचक शब्द । अनुचित वात मुंह से हुस्नइत्तफाक-मज्ञा पुं० [अ० हुस्ने इत्तिफाक] देवयोग से या अचा- निकालने पर रोकने का शब्द । २ पशुप्रो और पक्षियो प्रादि नक किसी काम का अच्छा होना । को अपनी ओर बुलाने या स्थान से हटाने के लिये प्रयुक्त शब्द। हुस्नखेज-वि० [अ० हुस्न + फा० खेज] जहां के लोग सुदर होते हो। हुश्कार-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [अनु० हुश्] हुश् हुश् करने की आवाज । हुस्नदान- सशा पुं० [अ० हुस्न + हिं० दान ] पानदान । खासदान। हुश् कारना-क्रि० स० दृश् से अनु.] हुश् हुश शब्द करके कुत्ते को हुस्नपरस्त--सज्ञा पुं० [अ० हुस्न + फा० दान ] सौदर्योपासक । किसी ओर काटने आदि के लिये वढाना या पशु पक्षियो को सुदर स्प का प्रेमी। रूप का लोभी । किसी स्थान से हटाना। हुस्नपरस्ती-सशा लो० [अ० हुस्न + फा० परास्त ] सौंदर्योपासना। हुसियारg -वि॰ [फा० होशियार] दे० 'होशियार' । उ०- हम तो सु दर रूप का प्रेम । स्प का लोभ । वचिगे साहव दया से शब्द डोर गहि उतरे पार । कहत कवीर हुस्नपसद-वि० [अ० हुस्न + फा० पनद ] सौंदर्यप्रेमी [को॰] । सुनो भाई साधो इस ठगनी से रहो हुसियार |--कविता को०, हुस्नफरोश-मशा स्रो० [अ० हुस्न + फरोश ] रूप का सौदा करने- भा० १, पृ० ५१ । वाली स्त्री। गणिका। तवायफ। वेश्या (को०] । हुसियारी-समा स्त्री॰ [फा० होशियारी] ३० 'होशियारी' । देखरेख। हुस्नशिनास--वि० [अ० ] सौंदर्यप्रेमी [को०] । चौकसी । उ०- अब गदडी की करु हुमियारी, दाग न लागे देख विचारी ।---कबीर० रे०, पृ० १ । हुस्ना-सञ्ज्ञा प्री० [अ०] अत्यत सु दर स्त्री । हसीन औरत (को०] । हुसूल-सज्ञा पुं० [अ०] १ लाभ । नफा ! • प्राय । आमदनी । ३ हुस्नेखुदादाद--सज्ञा पुं० [फा० हुस्नेख दादाद] ईश्वरप्रदत्त सुदरता । प्राप्ति । मिलना । ४ फल । परिणाम । नतीजा । उ०-- प्रकृतिप्रदत्त लावण्य । प्राकृतिक सौंदर्य । सहज सुपमा । सिजदा है य सर का मारना जिसमे कुछ भी हसूल न हो।- हुस्नेजन-सज्ञा पुं० [अ० हुस्नेज़न] अच्छी भावना । सु दर धारणा [को०] । भारतेदु ग्र०, भा०२, पृ० ५७० । हुस्नेतलव- सज्ञा पुं० [अ० ] किसी वस्तु को मांगने अथवा लेने हुसेन-सञ्ज्ञा पुं० [अ० हुसैन] दे० 'हुसैन' । उ०---एक दिवस जवरैल जु का अच्छा ढग [को०] । आए । हसन हुसेन को दुख सुनाए।--हिंदी प्रेमा०, पृ० २३३ । हुस्नोइश्क-सज्ञा ० [अ०] १ सौंदर्य और प्रेम । सुदरता और स्नेह । हुसैन-मज्ञा पुं० [अ०] मुहम्मद साहब के दामाद अली के छोटे पुत्र २ नायिका और नायक [को०] । हुस्नोदमक-सझा सो० [अ० + फा० दम या दमक = अनु०] सौदर्य विशेप-इन्होने यजीद का शासन स्वीकार नही किया था और और काति । लावण्य तथा शोभा । उ०--है हेच नमक हुरनो- इसलिये करवला के मैदान मे अपने बड़े भाई हसन के साथ दमक हूरो गिलेमा ।- वीर म०, पृ० ४६६ । का नाम ।