पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/२२९

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५५४१ वाजी। २ एक स्वर्णमुद्रा । दे० 'हुन' (को०) । ३ वृहत्स हिता के अनुसार हूरना--क्रि० स० [हिं० हूल + ना(प्रत्य॰)] १ दे० 'हूलना' । १२ ठूस एक देश का नाम जहाँ हूण रहते थे।बृहत्०, पृ० ८६ । ठूसकर खाना । हूत'-वि० [स०] १ पुकारा हुआ । जिसे पाहूत किया गया हो। हूरव-सञ्ज्ञा पुं० [स०] स्यार । गीदड [को०] । बुलाया हुअा । २ आमत्रित (को०] । हूरहूण-सज्ञा पु० [स०] हूणो को एक शाखा जिसने योरप मे जाकर हूत'--सज्ञा पु० आह्वान करना । पुकारना । बुलाना [को०) । हलचल मचाई थी। श्वेतहूण । हूत'--संज्ञा स्त्री० [अ०] १ मछली। मीन । २ बारहवी राशि । मीन हूरा-सज्ञा पु० [हिं० हूलना] १ लाठी का निचला छोर। दे० 'हूला' । राशि [को॰] । २ चूंसा । मुक्का। हूतकार -सज्ञा पु० [स० हूत + कार अथवा हुङ्कार] गर्जन । लल- हूराहूरी 1-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [सं०] १ एक त्योहार या उत्सव जो दीवाली के कार । हुकार । उ०--गरजे गयदी ये जजोर झारे । मनी तीसरे दिन होता है । १२ मुक्का मुक्की । घूसेवाजी । मुक्के- हैं हनूमत की हूतकार ।-पद्माकर ग्र०, पृ० २७६ । हूति 1-सज्ञा स्त्री० [१०] १ बुलावा । आमत्रण । २. अाह्वान । ललकार। हर्छन-सज्ञा पुं० [२०] टेढी चाल । वक्र गति । धूर्तता [को०] । ३ पारया । अभिधान । नाम [को०] । हूछिता r-वि० [सं० हूछित] १ वक्र गति से चलनेवाला । २ धूर्त । हूतोल-अव्य० [प्रा० हितो] दे० 'हुति' । काइयाँ (को०)। हूदा-सपा पु० [2] दे० 'हूल', 'हूला' । हूर्णि [--सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] लवु प्रवाह । छोटी नहर या जलप्रणाली (को०] । हून'-सञ्ज्ञा पुं० [अ०] तिरस्कार । अपमान (को०] । हूल'-सच्चा स्री० [स० शूल] १ भाले, डडे, छुरे, आदि की नोक या हून-सज्ञा पुं० [स०] हूण । स्वर्ण । सोना । सिरे को जोर से ठेलने अथवा भोकने की क्रिया । २ लासा हूनना-क्रि० स० [स० हवन] हवन करना । अग्नि मे भस्म लगाकर चिडिया फँसाने का बाँस। ३ वमन करने की प्रवृत्ति । करना। उ०--सूर कवन रावन सरिस स्वकर काटि जेहि हुल्ल। ४ हूक । शूल । पीडा । (छाती या हृदय की)। सीस । हुने अनल अति हरष बहु वार साखि गौरीस ।- उ०-कोकिल केकी कोलाहल हूल उठी उर मे मति की गति मानस, ६॥ २८॥ लूली ।-केशव (शब्द॰) । हूनरल-सञ्ज्ञा पुं॰ [फा० हुनर] दे॰ 'हुनर' । उ०—हद अवर हूनर- क्रि० प्र०-उठना। दार हूनर भेट दें वहुभाव ।-रघु० 6०, पृ०७१ । --सच्चा श्री० [अनु० स० हुलहुल] १ कोलाहल । हल्ला । धूम । हूनरदार-वि० [फा० हुनर + दार] दे० 'हुनरमद'। उ०—हद २ अस्तव्यस्तता। उलट पलट । परिवर्तन । ३ हपध्वनि । अवर हूनरदार हूनर भेट दै वहुभाव ।--रघु० रू०, पृ० ७१ । प्रानद का शब्द । ४ युद्धाह्वान । ललकार । ५ खुशी । पानद । हूनिया -सञ्ज्ञा स्त्री० [स० हूण (= देश) ] एक प्रकार की भेंड जो तिब्बत के पश्चिम भाग में पाई जाती है । यौ ०हूलफूल । हूव-सञ्ज्ञा स्त्री० [अ० हुब्ब] दे० 'हुब्ध' । हूलना-क्रि० स० [हिं० हूल + ना (प्रत्य) ] १ लाठी, माले, छुरे हूव'-सज्ञा पुं० [अ०] १ पाप । गुनाह । दोष । २. हत्या । हनन । आदि की नोक या सिरे को जोर से ठेलना या घुसाना । सिरे या वध (को०] । फल को जोर से ठेलना या धंसाना । गोदना । गडाना। उ०-- हूबहू-वि० [अ०] ज्यो का त्यो । ठीक वैसा ही । बिल्कुल समान या हूले इतै पर मैन महावत, लाज के प्रांदू परे गयि पार्यंन । -पद्माकर (शब्द०)। २ शूल उत्पन्न करना। सदृश । तुल्य । हूम-सज्ञा पुं० [स० होम] दे० 'होम' । उ०--हिऐं हूक भरि नैन हूला-सज्ञा ० [हिं० हूलना] शस्त्र आदि हूलने की क्रिया या भाव । जल, विरह अनल अति हूम ।-माधवानल०, पृ० २०४ । हूश'-वि० [हिं० हूड या फा० हूश] १ असभ्य । जगली । उजड्ड । २ अशिष्ट । असस्कृत । बेहूदा । हूय-मचा पं० [सं०] आह्वान । आवाहन । जैसे,—देवहूय, पितृ हूय । -सञ्ज्ञा पुं॰ असस्कृत या असभ्यजन । अशिष्ट व्यक्ति । जगली हूर-सञ्ज्ञा स्त्री० [अ०] १ मुसलमानो के स्वर्ग की अप्सरा । उ०- आदमी । उ०-वे इसे हूशो की जबान बतलाते है ।-प्रेम- विना उसके जल्बा दिखाती कोई परी या हूर नही। सिवा घन०, भा०२, पृ० ६३ । यार के, दूसरे का इस दुनियाँ मे नूर नही ।-~भारते? ग्र०, भा० २, पृ० १६४ । २ वह औरत जिसकी आँखे और वाल हूस-सज्ञा पुं० [हिं० हूश] 'हूग । उ०--नीति विरुद्ध सदैव दूत अत्यत श्याम हो तथा शरीर अत्यत गौर एव दीप्त हो । वध के अघ साने । रूस कुमति फैसि हूस आप सो आप नसाने । अत्यत खूबसूरत औरत । अप्सरा सी सुदर स्त्री (को०) । --भारतेदु ग्र०, भा०१, पृ० ७६४ । हूर-सञ्ज्ञा पु० [अ०] १ हत्या। हनन । कतल । वध २ नुकसान । हूसड-वि० [हिं० हूस + ड (प्रत्य॰)] दे० 'हूश' । हानि (को०] । हूह-सबा बी० [अनु॰] हुकार । कोलाहल । युद्धनाद । उ० -(क) प्रसन्नता। । 40