पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/२३०

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५५४२ हृत्पीडा चले हूह करि यूथप वदर ।-तुलसी (शब्द०)। (स) हृतमन--वि० [सं०] सज्ञा रो हीन । वृद्धि या मस्तिष्क म विरहित (को०] । जय जय जय रघुवस मनि धाए कनि दइ हूह । --तुलसी हतराज्य--वि० [स०] जो राज्य मे वचिन किया गया हो (फो०] । (शब्द०)। हृतवासा वि० [सं०] जिमका वस्त्र हरण कर लिया गया हो (को०] । क्रि० प्र०--करना।-देना । हृतवित्त-वि० [३०] दे० 'हतद्रव्य' फिो०)। हूहू'--सञ्ज्ञा पुं० [अनु॰] अग्नि के जलने का शब्द । लपट के उठने या हृतणिप्ट-वि० [सं०] जो हरण करने से बच गया या शेप रह गया लहराने का शब्द । धाय धायें । जैसे,—हूहू करके जलना । हो (को॰] । २-सज्ञा पु० [म.] एक गधर्व का नाम । हृतशेष-वि० [स०] दे० 'हृतशिष्ट' । हृच्छय'--वि० [सं०] हृदय मे शयन या निवाम करनेवाला । हतसर्वस्व--वि० [स०] जिसका सब कुछ हरण कर लिया गया हो । हच्छ्य-संशा पुं० १ मनोभव । कामदेव । मनमिज । २ प्रीति । प्रेम । पूरगत वरवाद (को०)। स्नेह । ३ प्रात्मा । प्रात्मचैतन्य [को०] । हृतमर्वस्वा-वि० सी० [सं०] (वह स्त्रा) जिमका सवच हग्ण किया हृच्छयपीडित--वि० [स० हृच्छ्यपीडित] १ कामवासना से पीडित । गया हो । जिमका मरा छीन लिया गया हो। ३०-हृदय २ प्रेमभाव के कारण दुखी। प्रेम मे व्याकुल । को छीन लेनेवाली स्त्री के प्रति हृनमवस्वा रमणी पहाडी हच्छ्यवर्धन-वि० [स०] १ कामवर्धक । कामोद्दीपक । २ प्रेमभाव नदियों में भयानक, ज्वालामुजी के विस्फोट से वीभत्म और की अभिवृद्धि करनेवाला । स्नेहवर्धक (को॰) । प्रनय को अनल गिया में भी लहन्दार होती है ।--बद०, हृच्छूल-सचा पुं० [स०] १ मन की कसक । हृदय को पीडा । २ पृ०११६ । कलेजे का दर्द । हृदय मे होनेवाली वेदना या शूल जो एक हृतसार-वि० [सं०] जिसका मार भाग ले लिया गया हो। जिसका रोग है। उत्कृष्ट अग या भाग ले लिया गया हो फिो०] । हृच्छोक-सञ्ज्ञा पुं॰ [म०] मनस्ताप । हृद्गत वेदना या परिताप [को०]। हृताधिकार-वि० [सं०] जिमके अधिकार का हरण कर लिया गया हृच्छोष-सज्ञा ० [०] हृदयशून्यता । असहृदयता। हो । जो अधिकार या पद से च्युत कर दिया गया हो । अपदन्य। हृज्ज'-वि० [स० हृत् + ज ] मन से उत्पन्न । जो हृदय से या हृदय हति -सज्ञा स्त्री॰ [सं०] १ ले जाना । हरण । २ ध्वम । नाश । मे जायमान हो। विनाश । ३ लूटने की रिया। लूट । हरिण-सम्मा पुं० [सं०] १ कोप । क्रोध । २ प्रज्वलित होना । जल हतोत्तर-वि० [सं०] बिना उत्तर के छोटा हुआ । अनुत्तरित । उठना । प्रज्वलन (को०] । जिसका उत्तर न दिया गया हो या छोट दिया गया हो (को०] । हरिणया, हणीया--सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १ भर्त्सना । निंदा। विगर्हण। हतोत्तरीय-वि० [स०] जिनका उत्तरीय या उपवस्त्र हरण कर २ लाज । शर्म । हया । ३ कृपा । दया । अनुकपा (यो०] । लिया गया हो (को०)। हृत्-~वि० [सं०] १ ले जानेवाला । २ हर्ता । हरण करनेवाला। हत्कप--सा पु० [स० हृत्कम्प ] १. हृदय की कंपकंपी। दिल जैसे,-धनहृत् । ३ वहन करनेवाला । ४ मोहित या मुग्ध की धडकन । २ जी का दहलना । अत्यत भय । दहशत । करनेवाला (को०)। हत्कमल-सचा ई० [सं०] १ हृदय के पास स्थित एक प्रकार का हृत'---वि० [स०] १ जिसे ले गए हो। पहुँचाया हुआ । २ हरण किया चक्र जो योग मे माने गए पट्चको मे से एक है। हुआ । लिया हुआ । ३ वचित (को०) । ४ स्वीकार किया हुअा। 'हृत्पकज' (को०)। स्वीकृत (को०) । ५ मोहित । मुग्ध (को०)। ६ विभागयुक्त । हत्तल-सज्ञा पुं० [H० ] हृदय का तल । हृत्प्रदेश। अतस्तल । विभाजित । विभक्त (को०) । उ०-उसके हृत्तल पर विक्षोम भी हुया ।-सुनीता, पृ० ११९ । हृत'-सज्ञा पुं० हिस्सा । विभाग । भाग [को०] । हत्ताप-तज्ञा ० [सं०] हृदय की दाह या जलन। मनोवेदना (को०] । हृतचद्र-वि० [सं०] जो चद्रमा से वियुक्त या वचित हो । जैसे,- हत्पकज-संज्ञा पुं० [ स० हृत्पवाज ] कमल की तरह हृदय । कमल- कमल [को॰] । हृतज्ञान-वि० [सं०] ज्ञानरहित । अज्ञ [को॰] । हृत्पद्म-सज्ञा पुं॰ [स०] दे॰ 'हृत्पकज' । हृतदार-वि० [सं०] पत्नी से वियुक्त या वचित [को०] । हृत्पिड--सज्जा पुं० सं० हत्पिण्ड ] हृदय का कोश या थैली । हृतद्रव्य-वि० [स०] धन सपत्ति से रहित (को०] । कलेजा। जिगर । हृतधन-वि० [सं०] जिसकी सपत्ति नष्ट हो गई हो [को०] । हृत्पीडन-सहा पुं० [२०] हृदय को पीडित करना। हृदय को हृतप्रसाद-वि० [सं०] जो शाति मे वचित हो । शातिरहित । दुख देना । मन दुखाना [को०] । अशात (को०)। हृत्पीडा--सश स्रो० [सं०] हृदय की वेदना । मन की वेदना । रूपी हृदय।