पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/२५१

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? करना। होनिहार' होमी ६ असर देखने मे आना । प्रभाव या गुण दिखाई पडना । जैसे,-- होमकल्प-सञ्चा ५० [स०] हवन करने की विधि को०] । इस दवा से कुछ न होगा । १० जनमना। जन्म लेना। उद्भव होमकाल-सचा पुं० [सं०] हवन करने का निर्धारित समय [को॰] । पाना। जैसे,—उस स्त्री को एक लडंकी हुई है । ११ काम होमकाष्ठी -सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] यज्ञ की अग्नि दहकाने की फुकनी। निकलना । प्रयोजन या कार्य सधना। जैसे,-१०) से क्या होमकुड- होगा? और लाओ। --सञ्ज्ञा पुं० [स. होमकुण्ड) हवन की अग्नि को स्थापित करने के लिये बना हुआ कुड। होम की अग्नि रखने का गड्ढा । यौ०-होना जाना। १२ काम विगडना । हानि पहुँचना । क्षति आना ? जैसे,- होमना-क्रि० स० [सं० होम + हिं० ना (प्रत्य॰)] १ देवता के होम डिपार्टमेट-सशा पुं० [अ०] दे० 'स्वराष्ट्र विभाग' । नाराज होने से हमारा क्या हो जाएगा यौ०-होना जाना। उद्देश्य से अग्नि मे डालना। हवन करना । आहुति देना। सयो० क्रि०+देना। होनिहार' सज्ञा पुं० [हि० होना + हार] दे॰ 'होनहार' । होनिहारवि० होनेवाला । होनहार भावी। उ० -(क) होनि- २ उत्सर्ग करना। छोड देना । उ०-नदलाल के हेतु आपुनो सुख हार का करतार को रखवार जग खरभरु परा । —मानस, व होमति । -सुकवि (शब्द०)। ३ नष्ट करना। वरवाद १८४ । (ख) हम कह दुर्लभ दरस तुम्हारा । जानत ही कछु भल होनिहारा ।--मानस, १।१५६ । होम मिनिस्टर--सचा पुं० [अ०] दे० 'स्वराष्ट्र मत्री । होनी -सञ्चा खो० [हिं० होना] १ उत्पत्ति । पैदाइश । २ वह बात होम मेबर--सज्ञा पुं० [अ०] दे० 'स्वराष्ट्र मत्री' । जो हो गई हो । हाल । वृत्तात । ३ होनेवाली बात या घटना । वह वात जिसका होना ध्रुव हो। वह वात जिसका होना देवी होम सेक्रेटरी-सञ्ज्ञा पुं० [अ०] दे० 'स्वराष्ट्र मन्त्री' । होमाग्नि- --सज्ञा स्त्री॰ [सं०] हवनकुड की अग्नि (को०] । विधान मे निश्चित हो । भावी । भवितव्यता । उ०- रहै होनो प्रयास विना, अनहोनी न ह सके कोटि उपाई। होमार्जुनी-सञ्चा मो० [स०] होमधेनु (को॰] । --पद्माकर (शब्द०)। ४ हो सकनेवाली वात। वह वात होमि-- ---सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ अग्नि । २ चित्रक नाम का एक वृक्ष । जिसका होना सभव हो। चीते का पेड (को०) । ३ तपाया हुआ मक्खन का घी । घृत । मुहा०-होनी होय सो होय = होनेवाली बात तो होगी ही, ४ जल । पानी। उसके लिये चिंता क्या ? उ०—पलटू वरिही नाम को होनी होमियोपैथिक-वि० [अ०] १ चिकित्सा की होमियोपैथी नामक होय सो होय । लोक लाज नही मानिहौ तन मन लज्जा खोय । पद्धति के अनुसार । २ होमियोपैथी के अनुसार चिकित्सा -पलटू०, पृ०६१। करनेवाला। होवाव -~-सञ्ज्ञा पुं० [अ० हुबाब] पानी का बुलबुला । दे० 'बुदबुद'। होमियोपैथी-सञ्ज्ञा स्त्री० [अ०] थोडे दिनो से निकला हुआ पाश्चात्य उ.--यह तो एक होवाव है जी, साकिन दरियाव के बीच चिकित्सा का एक सिद्धात या विधान । वह चिकित्सापद्धति सदा ।-कवीर० दे०, पृ० ३८ । जिसे डाक्टर हैनिमैन ने जर्मनी मे आविष्कृत किया था । होवार-सज्ञा पुं॰ [देश॰] सोहन चिडिया का एक भेद । तिल्लर । रोग के समान लक्षण उत्पन्न करनेवाले द्रव्यो द्वारा रोगनि- होवार--सञ्ज्ञा पुं० अश्व । घोडा। (डि ०) । वारण की पद्धति। होम--सञ्ज्ञा पु० [स०] १ ब्राह्मणो द्वारा नित्य करणीय पचमहायज्ञो विशेष—इसका सिद्धात है कि जो वस्तु अधिक मात्रा मे कोई मे एक यज्ञ जिसे देवयज्ञ कहते है । २ देवताओ के उद्देश्य से रोग उत्पन्न करती है वही वस्तु सूक्ष्ममाना मे उस रोग का अग्नि मे घृत, जौ आदि डालना। हवन । यज्ञ। आहुति देने विनाश भी करती है। इस सिद्धात के अनुसार कोई रोग उसी का कर्म। द्रव्य से दूर होता है जिसके खाने से स्वस्थ मनुष्य मे उस रोग क्रि० प्र०—करना ।--होना । के समान लक्षण प्रकट होते हैं । इस पद्धति मे रोग के लक्षण मुहा०--होम करते हाथ जलना = सत्कार्य करने के फलस्वरूप तथा रोगी की मानसिक अवस्था के अनुसार दवा दी जाती है। कप्ट उठाना। अच्छा काम करते हुए बुरा बनना । होम कर मुख्यत इस प्रणाली मे रोगी की मन स्थिति पर विचार करके देना। (१) जला डालना। भस्म कर देना । (२) नष्ट दवा होती है। इसमे वैज्ञानिक विधि द्वारा विभिन्न अोपवियो करना । वरवाद करना । (३) उत्सर्ग करना। छोड देना। और सखिया, कुचला आदि अनेक विषो को स्पिरिट मे होमक- -सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] १ यज्ञ मे पाहुति देनेवाला । मन पढकर यज्ञ- डालकर उनकी मात्रा को निरतर हलकी करते जाते है और कुड मे हवन की सामग्री डालनेवाला। विशेष दे० 'होता' । इस प्रकार विपो की अल्प से अल्प मात्रा द्वारा रोग दूर होता का सहायक । होतृक [को०] । किए जाते हैं। होमकर्म--सञ्ज्ञा पुं॰ [स० होमकर्मन्! होम सवधी कार्य । हवन की होमी-सशा पुं० [सं० होमिन् ] हवन करनेवाला या आहुति विधियां । यज्ञकार्य [को०] । देनेवाला व्यक्ति [को॰] । हिं० २० ११-३०