पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/२५२

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लगाया [ होमीय होली होमीय--वि [सं०] १ होम सवधी। होम का । जैसे,--मय होरी --सज्ञा स्त्री० [म० होली] दे० 'होली' । उ०-अति रस वाढ्यौ द्रव्य । २ हवन कार्य मे उपयुक्त । हवन के योग्य । री बाढयो पिय प्यारी को होरी ठानत ।--घनानद०, पृ० ४४५ । यौ०-होमीय द्रव्य = होम के काम मे उपयुक्त होनेवाले द्रव्य, होरी'- '-सश स्त्री० [हिं० होर = ठहा हया)] एक प्रकार को बडी जसे, घी, साफल्य आदि । नाव जो जहाजो पर का माल लादने और उतारने के काम होमेधन-मज्ञा पुं॰ [ स० हे मेन्धन] होम कार्य में प्रयुक्त इधन । मे पाती है। यज्ञकाप्ठ [को०] । होल --सज्ञा पुं॰ [देश॰] पश्चिमी एशिया गे माया हुअा एक पौधा होम्य'--वि० [सं०] होम सबधी। होम का। होमीय । जो घोडो और चौपायो के चारे के लिये होम्य--सञ्ज्ञा पुं० १ घृत । घो। २ हवन में प्रयुक्त पदार्थ । जाता है। होम द्रव्य (को०)। होलक-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] अाग मे मुनी हुई चने, मटर ग्रादि की हरी होर --वि० [ अनु० ] ठहरा हुआ | चलने से रुका हुआ । फलियां । होला । होरा । होरहा । क्रि० प्र०--करना।--होना । होलडाल--सज्ञा पुं० [अ०] यात्रा मे विस्तर आदि बांधकर रखने के होर'-सज्ञा पु० [प०] ओर । मार्ग । राह । उ०—असानूं चेटक लाइ काम आनेवाला लवा चौडा एक प्रकार का थैला जो विस्तर की गया को कराँ कुछ होर न सुझदा ।--घनानद०, पृ० ३४० । तरह फैलाया जा सकता है। विम्तरवद । उ०-मैंने अपनी सभी छोटी मोटी चीजें और कपडे लत्ते वक्म मे संभालकर रखे होर----सज्ञा पुं॰ [फा०] रवि । सूरज । सूर्य [को॰] । और विस्तर होलडाल मे बांधा ।-मन्यामी, पृ० १२३ । होरख्श-सज्ञा पुं० [फा० होरख्श] सूर्य । होला'-सज्ञा स्त्री० [स०] होली का त्यौहार । होरमा--सहा पु० [देश॰] एक प्रकार की घास या चारा । सावक । यौ०-होला क्रीडन, होला खेलन - होली खेलना। फाग खेलना। होरमुज्द-सज्ञा पुं० [फा० होरमुन्द] एक ग्रह । वृहस्पति । मुश्तरी होलाष्टक। (को०] । होला' -सझा पुं० सिक्खो की होली जो होली के दूसरे दिन होती है । होरस--सष्ठ पुं० [यू०] यूनान के एक प्राचीन देवता का नाम । उ०- होरस देवता भी गृद्धमुख है।-प्रा० भा०, ५०, पृ० ८३ । होला'-सञ्ज्ञा पुं० [सं० होलक] १ आग मे भूनी हुई हरे चने या मटर होरसा--सञ्ज्ञा पुं० [स० घर्ष ( = घिसना)] पत्यर की गोल छोटी चौकी होलाक-सज्ञा ० [सं०] प्राग को गरमी पहुँचाकर पमीना लाने की की फलियां । २ चने का हरा दाना । होरा। होरहा । जिसपर चदन घिसते या रोटी बेलते हैं। चौका । आयुर्वेदोक्त एक क्यिा । एक प्रकार की स्वेदन विधि । होरहा- 2-सज्ञा पुं॰ [सं० होलक] १ चने का छोटा पौधा जो प्राय' होलाका-सचा त्री० [स०] १ वसन ऋतु आने पर मनाया जड़ से उखाडकर बाजारो मे वेचा जाता है और जिसमे से जानेवाला। एक उत्सव । होली का त्योहार । २ फाल्गुन चने के ताजे दाने निकलते हैं । २ चना, यव प्रादि को जड से मास की पूर्णिमा (को०)। उखाडकर अग्नि मे भूने हुए ताजे दाने । उ०—होरहा कोऊ जलाय खात कच्चा रस पीवत |--प्रेमघन॰, भा० १, पृ० ४४ । होलाष्टक-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] होली के पहले के आठ दिन जिनमे विवाह कृत्य नही किया जाता । जरता वरता । होरा'--मक्षा पुं० [सं० होला] दे० 'होला'। होरा'- -सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १ होली का त्योहार । २ लकडी, घास २- सज्ञा स्त्री० [स० यूनानी भाषा से गृहीत] १ एक अहोरान का होलिका- फूस आदि का वह ढेर जो होली के दिन जलाया जाता है। २४ वा भाग । घटा । ढाई घडी का समय । २. एक राशि या उ.--गोपद पयोधि करि होलिका ज्या लाय लक, निपट निसक लग्न का प्राधा भाग। ३-- ज्योतिषशास्त्र में एक लग्न । ४ परपुर गलबल भो।-तुलसी ग्र०, पृ० २४७ । रेखा। चिह्न। लकीर [को०] । ५ जन्मकुडली । ६ जन्मकुडली के अनुमार फलाफल निर्णय की विद्या । जातक शास्त्र । यो०-होलिकादहन, होलिकादाह = होली जलाना। ३ एक राक्षसी का नाम जो हिरण्यकशिपु को वहिन थी। विशेष होराविद्--सज्ञा पुं० [सं०] जन्मकुडली देखने मे कुशल व्यक्ति । दे० 'ढुढा"। होराशास्त्र का ज्ञाता । ज्योतिपी (को०] । होराशास्त्र--सज्ञा पुं० [सं०] फलाफल निर्णय की विद्या । जातक होलिकानल-सज्ञा पुं० [सं० होलिका + अनल] होलिका की अग्नि । होली की आग । उ०-ससार का कूडा करकट समझ शास्त्र । फलित ज्योतिष [को०] । होलिकानल मे झोक देना ।—प्रेमघन०, होरिला--सज्ञा पुं॰ [देश॰] नवजात बालक । नया पैदा लडका । पृ० २५२। (गीत)। होली १-सज्ञा स्त्री० [सं०] १ हिंदुनो का एक बडा त्योहार जो फाल्गुन होरिलवा, होरिला --सञ्ज्ञा पुं॰ [देश॰] दे० 'होरिल' । के अत मे बसत ऋतु के प्रारभ पर चंन कृष्ण प्रतिपदा को होरिहार+--सज्ञा पु० [हिं० होरी] होली खेलनेवाला। उ०--होन मनाया जाता है और जिसमे लोग एक दूसरे पर रग, अवीर लग्यो ब्रज गलिन मे होरिहारन को घोप।पद्माकर (शब्द०)। आदि डालते तथा अनेक प्रकार के विनोद करते हैं । उ०-- भा० २,