पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/२५३

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- होली होश्यार लगे गुलणन पे अजबस गम के होल्याँ। हुए पुरखून कुल मेहदी चेतना प्राप्त करना। होश सँभालना = अवस्था बढने पर सब के फूला ।-- दक्खिनी०, पृ० १६१ । वाते समझने बूझने लगना । सयाना होना। अनजान वालक न विशेप-प्राचीन काल मे जो मदनोत्सव या वसतोत्सव होता था, रहना । जैसे, मैंने तो जव से होश सँ माला, तब से इसे ऐसा उसी की यह परपरा है। इसके साथ होलिका राक्षसी की शाति ही देखता हूँ। होश मे आना = चेतना प्राप्त करना। वोव या का कृत्य भी मिला हुआ है। वसत पचमी के दिन से लकडियो ज्ञान की वृत्ति-फिर लाभ करना । वेसुध न रहना। मूछित या आदि का ढेर एक मैदान मे इकट्ठा किया जाना है जो वर्प के सज्ञाशून्य न रहना। होश की दवा करो = बुद्धि ठीक करो। अतिम दिन फाल्गुन को पूर्णिमा को जलाया जाता है । इसी को समझ बूझकर बोला। होश ठिकाने होना = (१) बुद्वि ठीक 'होली जलाना' या 'सवत् जलाना' कहते है। बीते हुए वर्ष का होना । भ्राति या मोह दूर होता। (२) चित्त स्वस्थ होना । अतिम दिन और ग्रानेवाले वप का प्रथम दिन दोनो इस उत्सव थकावट, घबराहट, डर या व्याकुलता दूर होना। चित्त मे ममिलित रहते हैं। की अधीरता या व्याकुलता मिटना। (३) अहकार या गर्व मिटना। दड पाकर भूल का पछतावा होना । जैसे, वह मुहा०-होली खेलना = होली का उत्सव मनाना। एक दूसरे पर मार खायगा तव उसके होश ठिकाने होगे। होश की दवा रग, अबीर आदि डालना। उ०--थे कयाँ होली खेलो भोरा करना = समझदारी प्राप्त करना। उ०-अक्ल के लो नाखून कान्ह जी। औरों का धोखा सू म्हारी आँस्याँ बूको मेलौ। जो होश की दवा करो। - फिसाना -घनानद०, पृ० ४४५। होली का झंडवा = वेढगा पुतला भा० ३, पृ० १३७ । होश विनोद के लिये खडा किया जाता है । फाख्ता हो जाना =होश उड जाना । उ० - पहलवान के होश २ लकडी, घास फूस आदि का ढर जो होली के दिन जलाया जाता फाख्ता हो गए। झूठी जूडो चौगुनी बढी । - काले०, पृ० ५६ । होश हवा होना या हाश हिरन होना = दे० 'होश उडना'। है। उ०—त्रिविध सूल होलिय जरै खेलिय अस फागु । जो जिय चहसि परम सुख तो यहि मारग लागु ।-तुलसी ग्र०, २ स्मरण । सुध । याद । स्मृति । पृ० ५६१ । ३ एक प्रकार का गीत जो होली के उत्सव मे क्रि० प्र०--करना ।—होना । गाया जाता है। मुहा०—होश आना = (१) दे० 'होश मे आना' । (२) स्मरण होली--सञ्ज्ञा स्त्री॰ [देश॰] एक कॅटीला झाड या पौधा । होना। याद आना । होश दिलाना = सुध कराना । स्मरण होलू-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० होला] भुने या उवाले हुए चने । (खोचेवाला)। कराना। याद दिलाना। होल्डर-सज्ञा पु० [अ०] १ अँगरेजी कलम का वह हिस्सा जो हाथ ३ बुद्धि। समझ। अक्ल । से पकडा जाता है और जिसमे लिखने की निव या जीभ खोसी यौ०--होशमद। जाती है। २ किसी वस्तु को पकडने का साधन । ३ बिजली ४ नशे के उतार की अवस्था (को०) । के लट्को लटकाने का साधन जो तार मे लगा रहता है। होशमद-वि० [फा०] समझदार । बुद्धिमान् । होल्डाल-सञ्ज्ञा पुं० [अ०] दे० 'होलडाल' । होल्दना-क्रि० स० [देश॰] धान के खेत मे घास पात दूर करने के होशमदी--सशा स्त्री॰ [फा०] समझदारी । अक्लमदी। होशियारी (को०) लिये हल चलाना । (पजाब)। होशयार--वि० [फा०] दे० 'होशियार' । उ०-लाला ब्रजकिशोर बाते बनाने मे बडे होशयार है ।-श्रीनिवास ग्र०, पृ० २०२ । होवनिहार-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० होना + हार (प्रत्य॰)] दे० 'होनहार'। होशियार-वि० [फा०] १ चतुर । समझदार । बुद्धिमान् । २ दक्ष । होवनिहारीg--वि०, सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० होना] दे० 'होनहार' । उ०-- निपुण । कुशल । जैसे,—वह इस काम मे बडा होशियार है । दीखति हे कछु होवनिहारी। तो काहू पै जाति न टारी।- ३ सचेत । सावधान । खवरदार । जैसे,—इतना खोकर अब सूर०, ४१५। से होशियार हो जानो। होश-सञ्चा पु० [फा०] १ बोध या ज्ञान की वृत्ति। सज्ञा। चेतना । मुहा 10--होशियार रहना = चौकसी करते रहना। किसी अनिष्ट चेत । जैसे,--वह होश मे नही है । से बचने का बराबर ध्यान रखना। क्रि० प्र०—करना ।--होना। ४. जिसने होश संभाला हो । जो अनजान बालक न हो। सयाना । यौ०- होश व हवास, होशोहवास = चेतना और बुद्धि । सुध बुध । ५ चालाक । धूर्त । मुहा०-होश उडना या जाता रहना = भय या आशका से चित्त होशियारी-सच्चा स्त्री॰ [फा०] १ समझदारी । बुद्धिमानी । चतुराई । व्याकुल होना । चित्त स्तब्ध होना । सुध बुध भूल जाना । तन २ दक्षता । निपुणता । ३ कौशल । युक्ति । सावधानी । जैसे,—इसे होशियारी से पकडना नही तो टूट जायगा । मन की संभाल न रहना। जैसे,- बदूक देखते ही उसके होश उड गये। होश करना = सचेत होना । बुद्धि ठीक करना । होश होश्यारी--वि० [फा० होशयार, होशियार] दे० 'होशियार' । उ०-~ दग होना = चित्त चकित होना । आश्चर्य से स्तब्ध होना । मन अछो होश्यार तुम सारे के अब तक । मेरा भी हे तुम्हारे मे अत्यत आश्चर्य उत्पन्न होना । होश पकडना = प्रापे मे होना। सूं सुखन यक। दक्खिनी०, पृ० १६७ ।