पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/२५५

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-सज्ञा इच्छा । लालमा।


मन मे जल्दी होल होता हो। शीघ्र भयभीत होने या घबराने हति--सञ्ज्ञा सो० [स०] छिपाव । गोपन । दुराव । २ प्रत्याख्यान । हौरा' ५५६७ है यो क्रि० प्र०--करना। -मचना। होना। हौस स्त्री० [अ० हवस १ चाहं । प्रबन हौरा' -सञ्ज्ञा स्त्री॰ [अ०] गौर वर्ण की वह स्त्री जिसके बाल और कामना । उ०--(क) सजे विभूषन बसन सब पिया मिलन आँखे पने श्याम वर्ण की हो [को० । की हौस ।-पद्माकर ।-(शब्द०) । (ख) हौस मर मिगरी हौरा हौरा, होरे हौरे-कि० वि० [देश॰] दे॰ 'होले होले' । सजनी कबहूँ हरि सो हँसि बात कहोगी ।-केशव हौल-सञ्ज्ञा पुं० [अ०] डर । भय । दहशत । खौफ । (शब्द०) । २ उमग । हर्षोत्कठा। उ०--रति विपरीत की पुनीत परिपाटी मनौ हौसन हिंडोरे की सुपाटी मे पढति है ।-- यौ०-हौलदिल । होलनाक । पदमाकर (शब्द॰) । ३ हौमला । उत्साह । साहसपूर्ण इच्छा। मुहा०--हौल पैठना या बैठना = जी मे डर समाना । हृदय मे हौसला--सञ्ज्ञा पुं० [अ० हौसलह] १ क्सिी काम को करने की प्रानद- भय उत्पन्न होना। पूर्ण इच्छा । उत्कठा । लालसा । जैसे,--उसे अपने बेटे का हौल अगेज-वि० [फा०] खौफनाक । भयदायक । व्याह देखने का हौसला है। हौल खौल--मचा स्त्री० [अनुध्व०] दे० 'होल जोल' । मुहा०--हौसला निकलना = इच्छा पूरी होना । अरमान निकलना। हौलजदा--वि० [फा० हौलज़दह] भयभीत । त्रस्त । डरा हुआ । २ उत्साह । अानदपूर्ण साहस । जोश और हिम्मत । जैसे,-फिर हौल जौल-मज्ञा स्त्री० [अ० हौल+जील (अनु०)] १ जल्दी। कभी मुझसे लडने का हौसला न करना। शीघ्रता । २ जल्दी के कारण होनेवाली घबराहट । मुहा०--हौसला पस्त होना= उत्साह न रह जाना । जोश ठढा क्रि० प्र० करना।--मचाना । पडना । हिम्मत न रहना । होसलो के पुतले बनना = अत्यधिक हौल दिल'-सज्ञा स्त्री॰ [फा०] १ कलेजा धडकना। दिल की धडकन । उत्साही होना । उ०--हौसलो के बने रहें पुतले । हार हिम्मत २ दिल धडकने का रोग । कभी न हम हारे ।-चुभते०, पृ० ५३ । हौलदिल'-वि० १ जिसका दिल धडकता हो । २ दहशत मे पडा ३ प्रफुल्लता । उमग । वढी हुई तबीयत । जैसे,-उसने बडे हौसले से बेटे का ब्याह किया है । ४ उद्दडता। गुस्ताखी । धृष्टता हुआ। डरा हुआ । ३. घबराया हुआ । व्याकुल । जिसका जी ठिकाने न हो। (को०) । ५ आवेग । जोश [को०] । हौलदिला-वि० [फा० हौलदिल] [वि० सी० हौलदिली] डरपोक। हौसलामद-वि० [फा०] १ लालसा रखनेवाला । २ बढी हुई तबीयत बुजदिल । का । उमगवाला । ३ उत्साही । साहसी । हौलनाक--वि० [अ० हौल + फा० नाक] डरावना। भयानक । भयकर। हौसु-सञ्चा स्लो [अ० हवस] दे० 'हौस' । उ०-दोस लगावत दीनदयालहिं हौसु हिये हरि भाँतिन स्यो है ।---ठाकुर०, होला जोली-सञ्चा स्त्री० [अ० हौल + अनु० जौल] दे॰ 'होल पृ० १२। होली-सज्ञा स्रो॰ [स० हाला( = मद्य)] वह स्थान जहां मद्य उतरता हौसुर-क्रि० वि० [देश॰] उच्च स्वर से । उ०—कठ लागि सो हौसुर रोई। अधिक मोह जो मिल विछोई ।-पदमावत०, और विकता है। आबकारी। कलवरिया। पृ० १६८1 होली हौली-कि० वि० [हिं० हौले हौले धीरे धीरे । उ०--होली ह्नव-सज्ञा पुं० [स०] गोपन । छिपावा। होली बढ गई धेनु, चोली हमजोली की मसकी।-आराधना, ह्नवन-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] गोपन । छिपाना (को०] । पृ० २५॥ होलू-वि० [अ० हौल + हिं० ऊ (प्रत्य॰) या हिं० होल] जिसके नत--वि० [सं०] गोपन किया हुआ । छिपाया हुआ (को०] । अस्वीकृति (को०] । ह्य-प्रव्य० [म० ह्यस्] गत कल । पिछला दिन [को०) । हौले हौले-क्रि० वि० [हिं० हरया] १ धीरे धीरे । प्राहिस्ता । मद गति यस्कृत--वि० [सं०] जो कल किया गया हो। जो बीते हुए दिन से । क्षिप्रता के साथ नही । जैसे,-हौले हौले चलना । २ हलके अर्थात् कल को घटित हुआ हो [को०] । हाथ से । जोर से नही । जैसे,-हौले हौले मारना । ह्यस्तन-वि० [स०] गत कल सबधी [को०] । होवा-सज्ञा सी० [फा०] पैगबरी मतो के अनुसार सब से पहली यौ०--ह्यस्तनदिन, ह्यस्तनदिवस = गत दिन । बीता हुमा पिछला स्त्री जो पृथ्वी पर आदम के साथ उत्पन्न की गई और जो मनुष्य जाति की आदि माता मानी जाती है । हव्वा । ह्यस्त्य--वि० [सं०] जो एक दिन पहले का हो [को०] । हौवा'-सज्ञा पु० [अनु॰ हो] दे० 'होया' । ह्या--अव्य० [हि० यहाँ >हियाँ] दे० 'यहाँ' । होश-सञ्ज्ञा पुं० [अ०, तुल० अ० हाउस] १ मकान । घर । गृह । यो-सञ्ज्ञा पुं० [हि० हिय] दे० 'हियो', 'हिया' । उ०- भवन । २ स्थान । जगह (को । -(क) लक्ष्मण के पुरिखान कियो पुरुषारथ सो न कह्यो परई। वेष जौल'। वाला। दिन ।