पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/३१

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स्त्रीग स्त्रीपुंसलक्षणा स्त्रीग -वि॰ [म.] स्त्रियो मे सभोग करनेवाला । परस्त्रीगामी । स्त्रीदेहार्ध- समा ५० [म.] शिव जिनके प्राधे अग मे पार्वती का स्त्रीगमन--सज्ञा पु० [स०] स्त्रीससर्ग । सभोग । मैयुन । होना माना जाता है। स्त्रीगवी--सज्ञा स्त्री॰ [स०] दूध देनेवाली गाय । दुधार गौ [को०] । स्त्रीद्विट-वि॰ [स० स्त्री द्विप्] दे० 'स्त्रोद्वेपी' । स्त्रीगुरु--सज्ञा स्त्री० [स०] वह स्त्री जो दीक्षा या मत्र देती हो । दीक्षा स्त्रीद्वेषी-वि० [म० स्त्रीद्वेपिन् | स्त्रियो का द्वेपी या उनके प्रति द्वेष- देनेवाला स्त्री। भावना रखनेवाला। विशेष--तत्रो मे सदाचारिणी और शास्त्रपारगत स्त्रियो से दीक्षा स्त्रीधन-सज्ञा पुं० [म०] वह धन जिमपर स्त्रियो का विशेष रूप से या मत्र लेने का विधान है। पूरा अविकार हो। विशेष-मनु के अनुसार यह छह प्रकार का हे - (१) विवाह मे स्त्रीगृह- -सज्ञा पुं० [स०] अत पुर । दे० 'स्त्यगार' (को०) । होम के समय जो धन मिले वह अध्यग्निक, (२) पिता के यहाँ स्त्रीग्रह--पज्ञा पुं० [स०] ज्योतिप के अनुसार बुध, चद्र और शुक्र ग्रह । से जाते समय जो मिले वह अध्यावाहनिक, (३) पति प्रसन्न विशेष--ज्योतिप मे पुरुप, स्त्री और क्लीव (नपुसक) तीन होकर जो दे वह प्रीतिदत्त, अोर (४) माता से प्राप्त मातृदत्त, प्रकार के ग्रह माने गए हैं जिनमे बुध, चद्र और शुक्र स्त्रीग्रह (५) पिता से प्राप्त पितृदत्त तथा (६) भ्राता से जो धन मिले है। जातक के पचम स्थान पर इन ग्रहो की स्थिति या दृष्टि वह भ्रातृदत्त कहलाता है। इस धन पर पानेवाली स्त्री का ही रहने से स्त्री सतान होती है और लग्न आदि मे रहने से सतान अधिकार होता और किसी आदमी का कुछ अधिकार स्त्रीस्वभाववाली होती है । नहीं होता। स्त्रीग्राही--वि० [स० स्त्रीग्राहिन् ] किसी महिला या स्त्री का विधि- स्त्रीधर्म-सझा पु० [स०] १ स्त्री का रजस्व ना होना । रजोदर्शन । २ समत अभिभावक बननेवाला [को०) । मैथुन । ३ स्त्री का धर्म या कर्तव्य । ४ स्त्री सवधी विधग्न । स्त्रीघातक--वि० [स०] दे० 'स्त्रीघ्न' को०] । स्त्रीमिणी-सज्ञा स्त्री० [म०] वह स्त्री जो ऋतु से हो। रजस्वला स्त्री स्त्रीघोप-सञ्चा पु० [स] प्रत्यूप । प्रभात । प्रात काल । तडका । स्त्रीधव-सचा पु० [स०] स्त्री का पति या भर्ता । पुरुष । स्त्रीघ्न-वि० [स०] स्त्री या पत्नी की हत्या करनेवाला । स्त्रीघातक । स्त्रीधूर्त-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] स्त्री को छलनेवाला पुरुष । स्त्रीचचल--वि० [स० स्त्रीचञ्चल] कामी । लपट । स्त्रीध्वज-सज्जा पु० [स०] १ गज । हाथी । हस्ती । २ किसी पशु स्त्रीचरित, स्त्रीचरित्र--सञ्ज्ञा पु० [स०] स्त्रियो द्वारा किया गया की मादा (को०)। कार्य । स्त्रियो का चरित्न (को०) । स्त्रीध्वज-वि० जिसमे स्त्रियो के चिह्न हो । स्त्री के चिह्नो से युक्त । स्त्रीचित्तहारी --सञ्ज्ञा पुं॰ [स० स्त्रीचित्तहारिन्] सहिजन । शोभाजन। स्त्रीनाथ---वि० [स०] जिसकी स्वामिनी औरत हो। स्त्री के द्वारा स्त्रीचित्तहारी-वि० औरतो या स्त्री का चित्त हरण करनेवाला । रक्षित (को०) । स्त्रीचिह्न-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ योनि । भग, स्तन आदि जो स्त्री होने स्त्रीनामा-वि० [म० स्त्रीनामन्] जिसका स्त्रीवाचक नाम हो । स्त्री के चिह्न है । २ स्त्री सबधी चिह्न (को॰) । के सदृश नामवाला। स्त्रीचौर– सन्चा पु० [स०] कामी । लपट ! व्यभिचारी। स्त्रीनिवधन-सज्ञा पुं० [सं० स्त्री निवन्धन] घर का काम धधा जो स्त्रियाँ स्त्रीजन-सधा पु० [स०] दे० 'स्त्रीजाति' [को०] । करती है। स्त्रीजननी-सज्ञा स्त्री॰ [स०] मनु के अनुसार वह स्त्री जो केवल स्त्रीनिजित-वि० [म.] दे० 'स्त्रीजित्' । कन्या उत्पन्न करे। (मनुस्मृति)। स्त्रीपण्योपजीवी-सञ्ज्ञा पु० [स० स्त्रोपण्योपजीविन्] वह जो स्त्री स्त्रीजाति-सज्ञा स्त्री॰ [स०] नारी वर्ग । नारी समुदाय (को०] । या वेश्या की आय से अपनी जीविका चलावे । औरत की कमाई स्त्रीजित्-वि० [स०] स्त्री या पत्नी के वश मे रहनेवाला। जोरू खानेवाला। का गुलाम। स्त्रीपर-सज्ञा पुं० [स०] कामुक । विषयी। स्त्रीतमा, स्त्रीतरा-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] १ अभिजात या कुलीन स्त्री। स्त्रीपिशाची-सना पुं० [स०] चुडैल जैसी स्त्री या पत्नी [को०] । श्रेष्ठा स्त्री। २ वह औरत जिसके स्त्रीत्वबोधक चिह्न पूर्ण हो । पूर्ण स्त्री। पूरी औरत (को॰] । स्त्रीपुधर्म -सज्ञा पु० [स०] पति तथा पत्नी के कर्तव्य से सबधित विधि विधान [को०] । स्त्रीता-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] दे॰ 'स्त्रीत्व' । स्त्रीत्व-सज्ञा पु० [स०] १ स्त्री का भाव या धर्म। स्त्रीपन । जना- स्त्रीपुयोग-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ स्त्री और पुरुष का एक स्थान पर नापन । २ व्याकरण मे वह प्रत्यय जो स्त्रीलिंग का सूचक होता होना या सयोग । २ ज्योतिष के अनुसार गहो का एक योग है। ऐसा प्रत्यय जिस शब्द मे लगता है, वह स्त्रीलिंग हो जाता स्त्रीपुस-मज्ञा पुं॰ [स०] वह स्त्री जो पुरुष हो गई हो [को०] । है। ३ परिणीता या विवाहिता होने का भाव । पत्नीत्व स्त्रीपुसलमणा-सज्ञा स्त्री॰ [सं०] पुरुषोचित व्यवहार करनेवाली (को०)। ४ नारीसुलभ कोमलता, दुर्वलता आदि (को॰) । नारी। मरदानी औरत ।