पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/३९

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स्थामवत् ५३५१ स्थावर स्थामवत्-वि० [स०] शक्तियक्त । दृढ । मजबूत (को०] । स्थालरूप-सञ्ज्ञा पुं० [स०] भोजन बनाने के वर्तन की शक्लवाला। पान की तरह आकृतिवाला को । | स्थाय -सबा पु० [सं०] १ आधार । पान । २ दे० स्थाम' । स्थालिक- सज्ञा पु० [स०] मल की दुर्गंध । | स्थाया- सज्ञा स्रोः [म०] पृथ्वी । धरती। स्थालिका--सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] एक प्रकार की मक्खी। स्थायिक- वि० [स०] दे० 'स्थायी' 'को० । स्थायिका-सवा दो [स०] स्थित होना। स्थित होने की क्रिया [को०] । स्थाली'-स्त्री० [स०] १ हडी । हँडिया। २ मिट्टी की रिकावी । ३ एक प्रकार का बरतन जो सोम का रस बनाने के काम मे स्थायिता-सहा ला० [सं०] दे० 'स्थायित्व' । आता था । ४ पाडर का पेड । पाटला वृक्ष । स्थायित्व-सबा पु० [सं०] १ स्थायी होने का भाव । टिकाव । ठह- स्थाली-वि० [सं० स्थालिन्] थाली सहित । पात्रयुक्त को । राव । २ स्थिरता । दृढता । मजबूती। स्थायी-वि० [सं० स्थायिन्] १ ठहरनेवाला। टिकनेवाला। जो स्थालीग्रह–सन्ना पु० [सं०] वह पदार्थ जो पाकपात्र से करछी या चम्मच भर निकाला गया हो (को०] । स्थिर रहे । २ बहुत दिन चलनेवाला। जो बहुत दिन चले । टिकाऊ । जैसे—(क) अब यह मकान पहले की अपेक्षा अधिक स्थालीदरण–पञ्चा पु० [स०] पान का टूटना । वर्तन टूट जाना [को॰] । स्थायी हो गया है। (ख) अव हमारे यहां धीरे धीरे स्थायी स्थालीद्रुम-- म--सधा पुं० [स०] बेलिया पीपल । नदी वृक्ष । साहित्य को भी पुष्टि होने लगी है । ३ बना रहनेवाला। स्थालीपक्व--वि० [स०] हडी या पतीली मे पकाया हुआ [को०] । स्थितिशील । स्थिर । ४ (किसी के) तुल्य या समान रूपवाला स्थालीपर्णी -मचा स्त्री॰ [स०] दे॰ 'शालिपर्णी' । (को०)। ५ जो किसी स्थान पर हो। रहनेवाला (को०)। ६ स्थलीपाक-सचा पुं० [सं०] १ आहुति के लिये दूध मे पकाया हुआ विश्वास करने योग्य । विश्वस्त । चावल या जौ। एक प्रकार का चरु । २ वैद्यक मे लोहे की एक स्थायी-सबा पु०१ नित्य या शाश्वत भावना अथवा कोई भी टिकाऊ पाक विधि। वस्तु, दृढ स्थिति या दशा । २. गीत का प्रथम चरण जो वार स्थालीपाकीय-वि० [स०] स्थालीपाक सबधी । स्थालीपाक का। वार गाया जाता है। टेक (को०)। स्थायीभाव-सचा पुं० [म. स्थायिभाव=हिं० स्थायी + भान] साहित्य स्थालीपुरीष-सचा पु० [सं०] पात्र मे जमी हुई मैल या तरौछ [को०] । मे तीन प्रकार के भावो मे से एक जिसकी रस मे सदा स्थिति स्थालीपुलाक-सधा पुं० [स०] स्थाली मे पका हुआ चावल (को०] । रहती है। स्थालीपुलाक न्याय-सच्चा पु० [स०] जिस प्रकार हाँडी का एक चावल विशेष-स्थायीभाव चित्त मे सदा सस्कार रुप से वर्तमान रहते छूकर या टोकर सब चावलो के पक जाने का अनुमान किया जाता हैं और विभाव आदि मे अभिव्यक्त होकर रसत्व को प्राप्त होते है, उसी प्रकार किसी एक बात को देखकर उस सबध की सब हैं। ये विरुद्ध अथवा अविरुद्ध भावो मे नष्ट नही होते, बल्कि बातो का मालूम होना । जैसे,—मैने उनका एक ही व्याख्यान सुन- उन्ही को अपने आपमे समा लेते है। ये सख्या मे नौ हैं, कर स्थालीपुलाक न्याय से सब विपयो मे उनका मत जान लिया। यथा-(१) रति । (२) हास्य । (३) शोक । (४) क्रोध । स्थालीविल-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] पाकपान (बटलोही या हाँडी आदि) का (५) उत्साह । (६) भय । (७) निंदा या जुगुप्सा। (८) भीतरी भाग। विस्मय और (९) निर्वेद । स्थालीविलीय-वि० [स०] पाकपात्र (देग, बटलोही, हॉडी आदि) स्थायी समिति-सचा खो० [म०] किसी सभा समेलन के कुछ निर्वा- मे उबलने या पकने योग्य । चित सदस्यो की एक समिति जिसका काम उस सभा या समेलन के दो महाधिवेशनो के बीच की अवधि मे उपस्थित होनेवाले स्थालीविल्य–वि० [स०] दे० 'स्थालीविलीय [को॰] । कामो की व्यवस्था करना है। स्थालीवृक्ष--सच्चा पुं० [स०] दे० 'स्थालीद्रुम' । स्थायुक'- वि० [सं०] [स्त्री० स्थायका, स्थायुकी] १ ठहरनेवाला । स्थाल्य--सञ्ज्ञा पुं० [स०] कौटिल्य अर्थशास्त्र के अनुसार सूखी जमीन मे टिकनेवाला। रहनेवाला। २ स्थितियुक्त । स्थितिशील । होनेवाले अनाज, ओषधि आदि । स्थावर'--वि० [स०] १ जो चले नही। सदा अपने स्थान पर रहने -सज्ञा पुं० गाँव का अध्यक्ष या निरीक्षक । वाला। अचल । स्थिर। २ जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थाल-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ आधार । पान । बरतन । २ थाल । लाया न जा सके । जगम का उलटा। अचल । गैर मनकूला। परात । थाली। ३ देग। देगची। पतीला। वटलोही । ४ जैसे,--स्थावर सपत्ति (मकान, वाग, गाँव आदि) । ३ स्थायी। दांतो के नीचे का और मसूडो का भीतरी भाग। स्थितिशील । ४ स्थावर सपत्ति सबधी। ५ निश्चेष्ट । निष्क्रिय स्थालक-सञ्ज्ञा पुं० [स०] पीठ की एक हड्डी। (को०)। ६ वनस्पति सवधी। वानस्पतिक (को० । स्थालपथ-वि० [सं०] स्थल मार्ग से आयात किया हुआ या मँगाया स्थावर-सज्ञा पुं० १ पहाड । पर्वत । २ अचल संपत्ति । गैर मनकूला हुआ [को०] । जायदाद । जैसे,—जमीन, घर प्रादि । ३ वह सपत्ति जो वश- स्थालपथिक-वि० [स०] १ स्थल मार्ग से यात्रा करनेवाला। २. परपरा से परिवार मे रक्षित हो और जो बेची न जा सके। स्थल मार्ग से आयात होनेवाला (को०] । जैसे,-रत्न आदि। ५ धनुष की डोरी। प्रत्यचा। चिल्ला। ३ दृढ । स्थिर (को०)। स्थायुकर 1