पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/४५

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1 स० | स्थूलवर्मकृत स्थौरणेय, स्थौरणेयक स्थूल वर्मकृत्-सज्ञा पु० [स०] भारगी । बभनेटी । स्थूलागर-वि० मोटे और बडे शरीरवाला (को० । स्थूलवल्पाल सझा पुं० [म०] १ लोध । लोध्र। २ पठानी लोध । स्थूलात्र--सज्ञा पुं० [स० स्थूलान्त्र] वडी अँतडी। पट्टिका लोध्र। स्थूलाशा-सज्ञा स्त्री॰ [ ] गधपत्र । स्थूलवालका- सझा स्त्री॰ [स०] एक नदी का नाम (को॰] । स्थूला-सज्ञा स्त्री० [म.] १ बडी इलायची । २ गजपीपल । ३. सोया नामक साग । शतपुष्पा। ४ सौफ। मिश्रेया। ५. स्थूलविषय- सज्ञा पुं० [सं०] दृश्य जगत् । भौतिक पदार्थ (को०] । कपिल द्राक्षा। मुनक्का । ६ कपास । ७ ककडी। | स्थूलवृक्ष-सज्ञा पुं० [स०] मौलसिरी का पेड। वकुल । स्थूलाक्ष सञ्ज्ञा पु० [स०] १ रामायण के अनुसार एक राक्षस का स्थूवृक्षफल-सहा पुं० [स०] मैनफल । मदनफल । नाम जो खर का साथी था । २ एक ऋपि का नाम (को॰) । स्थूलवैदेही- --सज्ञा स्त्री॰ [म०] जलपीपल । गजपीपल । स्थूलाक्षा-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] वाँस की यष्टिका। वॉस की छडी। बाँस की लाठीमा । स्थूल राखा-मञ्ज्ञा स्त्री० [स० स्यूलशडखा ] वह स्त्री जिसकी योनि विस्तृत हो । वडी योनिवाली औरत [को०] । स्थूलाजाजी-सज्ञा स्त्री॰ [स०] मैंगरैल । स्थूलाद्य-सक्षा पु० | महाभारत मे वरिणत एक प्राचीन स्थूलशर-मज्ञा पु० [म.] रामशर । भद्रमु ज । ऋषि का नाम । २ रामायण के अनुसार एक राक्षस का स्थूलशरीर-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] पच महाभूत से बना हुआ शरीर । नाम। भौतिक शरीर (को०] । स्थूलाम्र-सज्ञा पु० [स०] कलमी ग्राम । स्थूलशल्क- वि० [म०] जिसका शल्क अर्थात् छिलका या प्रावरण स्थूलास्य-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] साप । सप । स्थूल हो । मोटी चोईवाला [को०] । स्थूलो-सज्ञा पुं० [स० स्थूलिन्] ऊँट । स्थूलशाकिनी -सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] एक प्रकार का शाक (को०) । स्थूलेच्छ--वि० [८०] अत्यधिक कामनायो से युक्त । वढी हुई स्थूलगाट, स्थूलशाटक-संज्ञा पुं० [स०] मोटा या घनी वुनाई- इच्छाअोवाला (को०] । वाला कपडा (को॰] । स्थूलैरड-सज्ञा पुं० [म०] नडा एर ड ! स्थूलशाटिका, स्थुलशाटी सज्ञा स्त्री० [स०] दे० 'स्यूलशाट' [को०)। स्थूलैला-सज्ञा स्त्री० [स०] बडी इलायची। स्थूलशालि-सचा पु० [ स० ] एक प्रकार का मोटा धान या चावल । स्थूलोच्चय--मज्ञा पुं० [स०] १ गडोपल । २ हाथी की मध्यम चाल, जो न बहुत तेज हो न बहुत सुस्त । ३ छोटी फुसी। स्थूलतडुल। स्थूलशिवी 1-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [म० स्थूलशिम्बी] श्वत निष्पावी । सफेद सेम । मुहांसा (को०) ४ अपूणता । कमी। त्रुटि (को०) । ५. हाथी के दाँत का मध्यवर्ती र ध्र (को०) । बरसेमा । स्थ्लशिरा'-सञ्ज्ञा पुं० [स० स्थूल शिरस्] १ महाभारत मे वणित स्थूलोदर-वि० [म०] तु दिल । तोदवाला यो॰] । स्थेमा--मज्ञा पु० [मं० स्थेमन्] दृढता। स्थिरता [को०] । एक प्राचीन ऋषि का नाम। २ एक यक्ष का नाम (को०)। स्थेय-सज्ञा पुं० [म.] १ वह जो किसी विवाद का निर्णय करता ६ एक दानव (को०)। हो । निणयक । २ पुरोहित । स्थूलशिरा' -वि० जिसका शिर अन्य अगो की अपेक्षा बडा हो । स्थेय' --वि० [म०] १ जो स्थापित करने योग्य हो । २ निर्णय किए स्थूलशीपिका-सद्धा पु० [स०] दीमक, चीटियाँ आदि जिनका सिर जाने योग्य (को०)। शरीर की तुलना मे वडा होता है । छोटी च्यूटी। स्थेयस--वि० [म०] [वि० सी० स्थेयसी] अत्यत स्थिर अथवा दृढ । चिरस्थायी (को०] । स्थूलशूरण- सज्ञा पुं० [स०] एक प्रकार का सूरन या जमीकद । स्थेष्ठ--वि० [सं०] अत्यत दृढ [को॰] । स्थूलशोफ -- वि० [स०] वहुत फूला हुआ। अत्यधिक सूजा हुआ (को०] । स्थैर्य-सज्ञा पुं० [स०] १ स्थिर हाने का भाव । स्थिरता । २ दृढता। स्थूलपट्पद-सशा पु० [स०] १ वडी मक्खी या भौरा। वरै २ मजबूती । ३ अनवच्छिन्नता । निरतरता । स्थायित्व । ४ प्रात्म- खटमल किो०)। विनिश्चय । मन की दृढता। सकल्प (को०)। ५ धैर्यशीलता। स्थलसायक-समा पु० [स०] रामशर । भद्रमुज। सहनशीलता (को०)। ६ यि होने का भाव । जितेद्रियता । ७ ठोसपन । घनत्व (ो०)। स्थूलसक्त-सज्ञा पु० [स०] एक तीर्थ का नाम (को०] । स्थैर्यज-वि० [स०] द० 'स्थावर' । को०) । स्थूलस्कध-मना पू० [स० स्थूलस्कन्ध] वडहर । लकुच। स्थारा- सज्ञा खा. [म.] जहाज पर लादा हुआ माल (को०)। स्थूलहस्त'-सज्ञा पु० [सं०] हाथी का सूंड। स्थोरी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [२० स्थोरिन्] वाम ढोनवाला घाडा। लदू घोडा। स्थूलहस्त'-वि० दीर्घ या मोटी भुजाअोवाला [को०] । स्थोणेय, स्थाणेयक-हा पु० [१०] १ एक प्रकार का गधद्रव्य । स्थूलागर-सञ्चा पु० [सं० स्यूलाङ्ग] एक प्रकार का चावल । अथिपर्णी । थुनेर। २ गाजर (को०) ।