पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/५३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

स्पष्टवक्ता स्पृत पष्टवक्ता---सज्ञा पु० [स० स्पष्टवक्तृ] वह जो साफ साफ बाते उत्साह । जोस । तत्परता। जैसे,--इस नगर के नवयुवको मे कहता हो । वह जो कहने मे किसी का मुलाहजा या रियायत स्पिरिट नही है । ६ स्वभाव । मिजाज । १० प्रेतात्मा। रुह। न करता हो। स्पिलेचा--सञ्ज्ञा पुं० । देश ०] हिरालय की एक झाडी जिसकी टहनियों स्पष्टवादी-मज्ञा पु० [मं० अष्टवादिन] वह जो साफ साफ वातें से बोझ बांधते और टोकरे ग्रादि बनाते है। कहता हो। स्पष्टवक्ता । उ०--ऐसो हालत मे स्पष्टवादी, स्पीकर-~सच्चा पुं० [अ०] १ वह जो सभा, समिति या सर्वसाधारण निडर, समदर्शी, कुशाग्र बुद्धि और सच्चे ताकिको को उत्पत्ति मे खडे होकर किसी विषय पर वडल्ले मे बोलता या भाषण ही बद हो जाती है । --द्विवेदी (शब्द॰) । करता है। वक्ता। व्याख्यानदाता। जैसे,--वे बडे अच्छे स्पष्टस्थिति--पज्ञा स्त्री० [सं०] ज्योतिष मे राशियो के अण, कला, स्पीकर है, लोगो पर उनके व्याख्यान का खूब प्रभाव पडता विकला आदि मे (बालक के जन्म की) दिखलाई हुई ग्रहो की हे । २ ब्रिटिश पार्लमेट की कामन्स सभा, अमेरिका के सयुक्त ठीक ठीक स्थिति । राज्यो की प्रतिनिधि सभा तथा व्यवस्थापिका सभानो के स्पष्टाक्षर-वि० [स०११ जिसके अक्षर स्पष्ट हो। २ जिसका अध्यक्ष । सभापति । ३ ब्रिटिश हाउस आव लाडूस या लार्ड उच्चारण अक्षरश. स्पष्ट हो [को०) । सभा के अध्यक्ष जो लार्ड चान्सलर हुअा करते है । स्पष्टार्थ'-सज्ञा पु० [स०] स्पष्ट या बोधगम्य अर्थ किो०) । विशेष-ब्रिटिश हाउस प्राव कामन्स सभा का स्णकर या अध्यक्ष स्पष्टार्थ:--वि० जिसका अर्थ सरल या सहज बोधगम्य हो (को०] । पार्लमेट के सदस्यो मे से हो, बिना किसो राजनीतिक भेदभाव स्पष्टीकरण-ससा पु० [स०] स्पष्ट करने की क्रिया । किसी वात के चुना जाता है। इसका काम सभा मे शाति बनाए रखना को स्पष्ट या साफ करना । उ०--ऐसी बाते बहुत ही थोडी है और नियमानुसार कार्य सचालन करना है । किनी विषय पर जिनका मतलव विना विवेचना, टीका या स्पष्टीकरण के सभा के दो समान भागो मे विभक्त होने पर (अर्थात् प्राधे समझ मे आ सकता है ।---द्विवेदी (शब्द॰) । सदस्य एक पक्ष मे और आधे दूसरे पक्ष मे होने पर) वह अपना स्पष्टीकृत--वि० [स०] जिसका स्पष्टीकरण हुआ हो । साफ या 'कास्टिग वोट' या निर्णायक मत किसी के पक्ष मे दे सकता खुलासा किया हुआ। है । अमेरिका की प्रतिनिधि सभा या व्यवस्थापिका सभायो के स्पष्टीक्रिया--संज्ञा स्त्री॰ [स०] ज्योतिष मे वह क्रिया जिससे ग्रहो स्पीकर या अध्यक्ष साधारणत उस पक्ष के नेता या मुखिया का किमी विशिष्ट समय में किसी राशि के अश, कला, विकला होते हैं जिसका सभा मे बहुमत होता है। ब्रिटिश पालंमेट के आदि मे अवस्थान जाना जाता है। उ०--पहले जब अयनाश स्पीकर के समान इन्हें भी सभा के संचालन और नियन्त्रण का का ज्ञान नहीं था, तव स्पप्टीक्रिया से जो ग्रह पाता था, उसे अधिकार तो है ही इसके सिवा ये महत्व के अवसरो पर दूसरे लोग ग्रह ही के नाम से पुकारने थे।--सुधाकर (शब्द०) । को अध्यक्ष के आसन पर बैठाकर सदस्य की हैसियत से स्पाई ई-सज्ञा पुं० [अ०] १ वह जो छिपकर किसी का भेद ले । साधारण सभा में भी बहस कर सकते है और वोट दे सकते भेदिया। गुप्तचर । गोयदा । जैसे,—पुलिस स्पाई । २ वह दूत है। भारत मे भी विधान सभानो और ससद् मे स्पीकर होते हैं जो शन्नु की छावनी या राज्य मे भेद लेने के लिये भेजा जाय । और उनकी सत्ता तथा कार्यपद्धति वही है जो अमेरिका तथा गुप्त राजदूत । भेदिया। जैसे,-पेशावर के पास कई बोल- ब्रिटिश देश मे है। शेविक स्पाई पकडे गए है। स्पीच-सञ्ज्ञा स्त्री० [अ०] वह जो कुछ मुहँ से बोला जाय । कथन । स्पात--सञ्ज्ञा पुं० [स० अयस्पन या पुर्त० स्पेडा, हि० इसपात, इस्पान] २ वाक्शक्ति । बोलने को शक्ति । ३ किसो विषय की जबानी दे० 'इमपात'। की हुई विस्तृत व्याख्या । वक्तृता । व्याख्यान । लेक्चर । स्पार्शन-वि० [म०] जिसका बोध स्पर्श करने से हो या जो स्पर्श से उ०-गर्जे कि इस सफहे की कुल स्पीचे मरचेन्ट प्राव वेनिस ज्ञात हो किो०)। से ली गई है।-प्रेमघन०, भा॰ २, पृ० ४३४ । स्पिरिचुअलिज्म--सज्ञा पु० [अ०] वह विद्या या क्रिया जिसके द्वारा स्पीड मधा सी० [अ०] वेग । गति । चाल । तीव्रता । किसी स्वर्गीय या मृत व्यक्ति की प्रात्मा बुलाई जाती है और स्पीन किशमिशी-सज्ञा पुं० [पिशीन (स्थान का नाम) + किशमिश] उससे बातचीत की जाती है । भूतविद्या । अात्मविद्या । एक प्रकार का वढिया अगूर जो क्वेटा पिशीन प्रात में होता है। स्पिरिट-मज्ञा स्त्री० [अ०] १ शरीर मे रहनेवाली आत्मा। रूह । स्पृक्का-सज्ञा स्त्री॰ [म०] १ असबरग । २ लजालू । लाजवती । ३ २ वह कल्पित सूक्ष्म शरीर जिसका मृत्यु के समय शरीर से ब्राह्मी बूटी। ४ मालती। ५ सवती । शतपनी । ६ गगापती । निकलना और आकाश में विचरण करना माना जाता है। पानीलता। सूक्ष्म शरीर । ३ जीवन शक्ति । ४ एक प्रकार का बहुत नेज स्पृत्-सञ्ज्ञा पुं० [म. प्राचीन काल की एक प्रकार की ईंट जिसका मादक द्रव पदार्थ जिसका व्यवहार अंगरेजी शरावो, दवायो व्यवहार यज्ञ की वेदी आदि बनाने म होता था। और सुगधियो आदि मे मिलाने अथवा लपो आदि के जलाने मे स्पृत्'-वि० १ अपने को छुडाने, हटाने अथवा मुक्त करनेवाला। होता है । फूल शराब । ५ किसी पदार्थ का सत्त या मून तत्व । २ पानेवाला। प्राप्त करनेवाला ।को०) । जैसे,--स्पिरिट एमोनिया अर्थात् अमोनिया का सत। ६ किसी स्पृत--वि० [स०] १ जीता हुआ। विजित । २ रखा हुअा। सुरक्षित । वस्तु का सार । अर्क । ७ मदिरा का सार । सुरासार । ८. ३ मिला हुमा । प्राप्त (को०)।