पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/५७

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परतु तीनो हुमा (को०]। ८ फुलमजरी ५३६६ स्फोटहेतु कुलमजरी-मधा स्त्री० [सं०] हुलहुल नामक पौधा । स्फेष्ठ--वि० [स०] १ प्रचुरतम । २ अत्यत विस्तार मे युक्त किो०] । फुलिंग-सज्ञा ॰ [स० स्फुलिङ्ग] अग्नि का छोटा कण । ग्राग स्फोट--सज्ञा पुं० [स०] १ अदर भरे हुए किसी पदार्य का अपने चिनगारी। ऊपरी यावरण को तोड या भेदकर बाहर निकलना। फूटना। फुलिंग-- [---सञ्ज्ञा स्त्री॰ [म० स्फुलिङगा | अग्निकण । अग्नि की चिन जैमे,-ज्वालामुखी का म्फोट । २ शरीर मे होनेवाला गारी । स्फुलिग (को०] । फोडा, फुमी प्रादि । ३ मोती। मुक्ता। ४ सर्वदर्शनमग्रह फुलिंगिनी-सझा स्त्री॰ [स० स्फुलिङ्गिनी] अग्नि की सात जिह्वानो (पाणिनीय दर्शन) के अनुसार नित्य शब्द जिमसे वर्णात्मक मे से एक। शब्दो के अर्थ का ज्ञान होता है। जैसे, कमल शब्द मे क, म और ल ये तीन वर्ण है, और इन तीनो के अलग अलग फुलिगी--वि० [स० स्फुलिङ्गिन्] स्फलिंगयुक्त । चिनगारियोवाला । जिसमे से अग्निकण निकल रहे हो [को०) । उच्चारण से कुछ भी अभिप्राय नही निकलता । वरणों का साथ साथ उच्चारण क-ने पर जो म्फोट होता है, स्फूछित--वि० [स०] १ फैलाया हुा । विकीर्ण । २ विस्मृत । भूला उसी से कमल शब्द का अभिप्राय जाना जाता है। कुछ लोग इसी स्फोट (नित्य शब्द) को ससार का कारण मानते है। स्फूर्ज- सञ्चा पु० [स०] १ मेघगर्जन । बादलो का गरजना । २ ५ मीमासको द्वारा मान्य नित्य शब्द । प्राभ्यतर ध्वनि इद्र का अरन । वज्र । ३ एकाएक फ्ट निकलना । उद्भून या (को०)। ६ फूट पडना या खुलना । व्यक्त या प्रकट उदय होना । ४ प्रेमी प्रेमिका का प्रथम मिलन जिममे मानद होना (को०)। ७ फैलना । विस्तार । फैलाव (को०)। के साथ भय की भी प्राशका रहती है । ५ एक राक्षस का लघुबड । छोटा टुकडा । ६ धान्य का फटकना । शूर्पादि नाम । ६ स्फूर्जत पौधा (को॰) । द्वारा अन्न का प्रस्फोटन (को०)। १० फटना। विदीर्ण स्फूर्जक-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ तिदुक या तेदू नाम का वृक्ष । २. होना (को०)। सोना पाढा। स्फोटक'-सहा पु० [स०] १ पिटिका फोडा । फुसी । २ भिलावाँ । स्फूर्जथु-सज्ञा पु० [स०] १ विजली की कडक । २ चीलाई का भल्लातक। साग। विशेष-भिलावां का तेल लगाने से शरीर मे फोडा सा हो जाता है। स्फूर्जन--सज्ञा पुं० [स०] १ तिदुक या तेदू नाम का वृक्ष । २ वलिया स्फोटकर-वि० [सं०] फट जानेवाला । फूटनेवाला (आग्नेय पदार्थ पीपल । नदीतरु। ३ गरज । गडगडाहट (को०)। ४ स्फोट अादि)। (को०)। स्फोटकर---सज्ञा पु० [स०] दे० 'स्फोटवीजक' [को०] । स्फूर्जा-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] विद्युत् गर्जन । गडगडाहट । स्फोटन--सज्ञा पुं० [स०] १ अदर से फोडना। २ विदारण । स्फूर्ण--वि० [स०] १ गजित । २ दे० 'स्फूछित' [को०] । फाडना। ३ प्रकट या प्रकाशित करना। ४ शब्द। स्फूर्त- --वि० [स०] १ हिलता डुलता | कपित । २ जो एकाएक याद आवाज । ५ सुश्रुत के अनुसार वायु के प्रकोप से होनेवाली अाया हो । जिसकी अचानक स्मृति हुई हो (को०] । व्रण की पीडा जिसमे व्रण फटता हुआ सा जान पडता है। स्फूर्ति-- [--सझा स्त्री॰ [स०] १ धीरे धीरे हिलना । फड कना । स्फुरण । ६ हाथ की उंगलियां चटकाना (को०) । ७ शिव (को॰) । २ (विचार प्रादि) मन मे फुरना या उदय होना (को॰) । ८ एकाएक फट पटना (को०)। ६ अनाज फटकना (को०)। ३ काव्य की प्रेरणा । कविकर्म की उदभूति या प्रेरणा (को०)। १० हाथ आदि कँपाना या हिलाना (को०) । ११ परस्पर मिले ४ कोई काम करने के लिये मन मे उत्पन्न होनेवाली हलकी हुए व्यजनो का अलग अलग उच्चारण (को०)। उत्तेजना । फुरती। तेजी। जैसे-स्नान करने से शरीर मे स्फूर्ति स्फोटनी--सञ्चा स्त्री० [सं०] वरमा को०] । ग्राती है । ६ गर्व । घमड (को०) । ७ गिलना । विकसित होना स्फोटवीजक-मज्ञा पुं॰ [स०] भिलावाँ (को०] । (को०)। ८ उद्भूत या व्यक्त होना (को०)। ६ छलांग । चौकडी (को०)। स्फोटलता-सज्ञा मी० [स०] कनफोडा नाम की लता । स्फूर्तिकारक-वि० [स०] स्फूर्ति लानेवाला । फुर्ती या तेजी लानेवाला। स्फोटवाद-मज्ञा पुं० [सं०] वह मत या मिद्धात जो नित्य शब्द को स्फूर्तिदायक--वि० [म०] जिससे स्फूर्ति प्राप्त हो । स्फूर्ति देनेवाला । ससार का कारण मानता हो [को०] । स्फूर्तिमान्' १.--वि० [स० स्फूतिमत्] १ फुर्तीला । स्फनि से युक्त । स्फोटवादी--सया पुं० [ स० स्फोटवादिन् ] वह जो म्फोट या नित्य उ०--वह जैसे क्षण भर के लिये स्फूर्तिमान् हो गया।-इद्र- शब्द को ही समार का मूल हेतु या कारण मानता हो । वया- जाल, पृ० ३० । २ कपित । धडकता हुग्रा । विक्षुब्ध । करण या मीमामक । उ-पतजलि के इम कथन को चाहे कोमलहृदय । दयाचित्त (को०)। म्फोटवादी वैयाकरण जो व्याख्या करें पर इमका मोधा माधा यह अर्थ है।-शैती, पृ० २४ । स्फूर्तिमान् २-सा पु० शिव का उपामक । पाशुपत [को०] । स्फेयस-वि० [स०] जो अतिणय स्किार हो । जो प्रचुरतर एव विस्तृत स्फोटवीजक-सा पुं० [म०] भल्लातक । भिलावा । हो (को०] । स्फोटहेतु, स्फोटहेतुक-सश पुं० [सं०] भल्लातक। भिलावां । 3