पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/६०

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स्मरम्मर्य ५३७२ स्मिता स्मरस्मर्य--मझा पु० [स०] गधा । यादगार । जैसे,—महागज शिवा जी का स्मारक। महागनी विक्टोरिया का म्मारक । २ वह चीज जो निमी को अपना स्मरहर-सा पु० [म०] जिव । महादेव । म्मरण रखने के लिये दी जाय । यादगार । जैसे,—मेरे पास स्मराकुश-मज्ञा पु० [म० स्मगदकुश] १ लिंग । २ नख ।" यही एक पुस्तक तो पापका स्मारक है। ३ कामपीडित । कामातुर व्यक्ति (को॰) । स्मारकनिधि--मज्ञा स्त्री० [म०] किमी को स्मृति की रक्षा के लिये स्मराध--वि० [स० स्मरान्ध] कामाघ । एकत्र की गई धनगशि । जैसे, --कस्तृ या स्मारकनिधि । गाधी स्मराकुल-वि० [स०] कामपीडित । कामग्रस्त [को०) स्मारकनिधि। स्मराकृष्ट-वि० [म०] प्रेम द्वारा प्राकर्पित । प्रेमाभिभूत [को०] । स्मारण--मज्ञा पुं॰ [स०] १ स्मरण कराने की निया । याद दिलाना । स्मरागार--सञ्ज्ञा पु० [म.] भग । योनि । २ पग्मियान काना। फिर मे गिनना या जांच करना (ो । स्मरातुर---वि० [म.] कामात । कामातुर (को०] । स्मारणी--सशा स्त्री० [स०] ब्राह्मी या ब्रह्मी नाम की वनस्पति स्मराधिवास--सज्ञ' पु० [स०] अशोक वृक्ष । जिसके सेवन से स्मरण गक्ति का वढना माना जाता है । स्मराम्र--सज्ञा पुं० [स०] कलमी ग्राम । राजाम्र। स्मारिका-मज्ञा ली० [म०] वह कार्य या वन्नु (विशेपत पत्रिकाएँ, स्मरारि-सज्ञा पुं० [स०] कामदेव के शत्रु , महादेव । उ०--स्मरारि पुस्तिकाएं आदि) जो किमी विशिष्ट कार्य की स्मृति बनाए सम्मर निज रूपा । यथा दिखावहि विमल स्वरूपा ।--शकर- रखने के निमित्त प्रस्तुत की गई हो। दिग्विजय (शब्द०)। स्मारित'-मह पुं० [सं०] कृतमाक्षी के पांच भेदो मे से एक । वह स्मरात- वि० [म०] कामपीडित [को०] । साक्षी जिसका नाम पन्न पर न लिखा हो, परतु अर्थी अपने पक्ष स्मरासव--सज्ञा पु० [स०] १ ताड मे से निकलनेवाला ताडी नामक के समयन के लिये स्मरण करके बुलावे । मादक द्रव्य । २ थूक । लार । लाला स्मारित:--वि० जिमकी याद कराई गई हो । स्मरण कगया हुअा (को०] स्मरोत्सुक--वि० [स०] दे० 'स्मरातुर' [को०] । स्मार्त -सज्ञा पुं० [स०] १ वे कृत्य यादि जो स्मृतियो मे लिखे स्मरोद्दीपन-सज्ञा पुं० [स०] १ वह जो काम का उद्दीपन करता हो। हुए हैं। वह जो स्मृतियो मे लिखे अनुसार मव कृत्य कन्ता काम को उद्दीप्त करनेवाला। २ एक प्रकार का तेल । केश हो। ३ स्मृतियो के अनुसार चलनेवाला व्यक्ति या सप्रदाय तैल किो०] । ४ वह जो स्मृतियो आदि का अच्छा ज्ञाता हो। स्मृति शास्त्र स्मरोन्माद--सझा पु० [स०] कामजन्य उन्माद [को०] ! का पदित। स्मरोपकरण-सज्ञा पु० [स०] सुगवित पदार्थ प्रादि कामवर्धक स्मार्त-वि० १ स्मृति सवधी । स्मृति का। २ स्मृतियो मे वस्तृ (को०] । विहित या कहा हुआ (को०)। ३ विधिविहित । वैध (को॰) । स्मर्ण--सज्ञा पु० [स० स्मरण] दे० 'स्मरण' । ४ स्मृतियो को माननेवाना को०] । ५ जो म्मरण मे हो । स्मर्त्तव्य-वि० [म०] १ स्मरण रखने योग्य । याद रखने लायक । जो स्मृत हो (को०)। ६ गृह मवधी (को०) । २ जिसकी स्मनि मात्र शेप रह गई हो (को०)। स्मार्तकर्म-सशा पु० [सं०] स्मृतियो मे विहित कर्म । स्मर्ता'- सज्ञा पु० [स० स्मर्तृ] १ वह जो स्मरण रखे । याद रखने- स्मातकाल-सहा पु० [सं०] १ वह समय जब तक स्मरण बना रह सके । याददाश्त बने रहने की अवधि । २ १०० वर्ष का वाला । स्मरण रखनेवाला व्यक्ति । २ आचार्य । गुरु (को०) । समय । शताब्दी [को०] । स्मर्ताः--वि० स्मरण रखनेवाला। स्मातिक-वि० [स०] स्मृति सबधी। स्मृति का। स्मर्य स्म---वि० [म०] स्मरण रखने योग्य । याद रखने लायक । स्मार्य-वि० [म०] स्मरणीय । स्मरण करने योग्य [को०] । स्मरणग्य। स्माल-वि० [अ०] छोटा । लघु । स्मशान--सज्ञा पु० [स० श्मशान] मरघट दे० 'श्मशान' । यौ०--स्माल काटेज इडस्ट्री - छोटे या लघु गृहोद्योग । विशप---'श्मशान' के योग से बनानेवाले शब्दो के लिये देखो 'श्मशान' के शब्द। स्माल काज कोर्ट-सज्ञा पुं० [अ० स्माल काजेज कोर्ट ] वह दीवानी अदालत जहाँ छोटे छोटे मामले होने हैं । छोटी स्मार'---वि० [स.] कामदेव सवधी । स्मर सवधी। अदालत । अदालत खफीफा । स्मार'--सचा पुं० स्मृति । याद । स्मरण (को०] । विशेष--हिंदुस्तान मे कलकत्ता, ववई आदि वडे शहरो मे स्मारक'--वि० [स०] वि० स्त्री० स्मारिका] स्मरण करानेवाला । याद स्माल काज कोर्ट है। दिलानेवाला । जैसे, कोणोत्सव म्मारक सग्रह । स्मित'-सज्ञा पु० [स०] मद हाम्य । धीमी हंसी । उ०-श्रम स्मारक'-सा ० [सं०] १ वह कृत्य, पदार्थ या वस्तु आदि जो अभिलाप सगर्व स्मित क्रोध हरप भय भाव । उपजत एकहि किसी की स्मृति बनाए रखने के लिये प्रस्तुत किया जाय । वार जहँ तहँ किलकिचित हाव ।--केशव (शब्द०) ।