पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/६२

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म्यंदनारोह का जानकार। मृत [को०)। स्मृतिविद् ५३७४ स्मेर-सरा पुं० १मद हाम। टहराम । मुनगरट । १ प्रकाशन । स्मृतिविद्-वि० [स०] स्मृति शास्त्र का जानकर या ज्ञाता। धमजास्त्र यागिकारण । व्यक्ति । मुगाउना किो०] ! स्मृतिविनय-सज्ञा पुं॰ अपने कम के प्रति अनवधान व्यति को उपानम स्मरता-- मी० [सं०] १ मुगयुगना । गट 11 की रिया या या वाग्दट देना [को०)। माव । २ मा हाम। मदती। स्मृतिविभ्रम-सज्ञा पुं० [सं०] १ दे० 'स्मृतिम्रश' । २ ठीक याद न स्मेरमुगु-- [40] गद हाग युन। गृगा गता हुग्रा । हेम- पडना [को०)। मुकिो०)। स्मृतिविरुद्ध-वि० [स०] जो स्मृति या विधि के विरुद्ध हो । जो धमशास्त्र स्मेरविष्किार-1 पुं० [सं०] गयुगा पक्षी-मोर। मयूर पि० । के विपरीत हो (को०]। म्यद-~भधा पुं० [म० पद] १३पना । चूना । ग्मना । प्रवाहित स्मृतिविरोध-सज्ञा पुं॰ [स०] १ स्मृति या विहित विधि से विपरीत हाना । सहना। गनना। पानी होगा। पपीनाना। होना। अवैधता। अशास्त्रीयता । २ किमी विपय पर दो म्वेगद्गग।" च । प्रदन (रो०)। ६ शीघ्रतापय गना। स्मृतियो का अलग अलग विचार [को०] । न्यात गति (को०)। प्रसार का चक्षुगग । ८ चद्रमा। स्मृतिविपय-सज्ञा पु० [स०] दे० रमतिपय । स्यदा--मशा पुं० [40 पदा] ने। गिदुका वृक्ष । स्मृत्तिवेता--वि० [स० स्मृतिवेत्तृ । दे० 'स्मृतिविद्' । स्यदन'-- पुं० [म० म्पन्दन] १ च । पा) मना । धरा। स्मृतिशास्त्र--सज्ञा पु० [म०] धर्मशास्त्र । विशेप ० 'स्मृति' । स्राव । २ गनना । पानी हो जाना। स । गात्री। ४ जाना। चलना । गमन !" तेजी से जाना या बना । ६ ग्य। स्मृतिशेष-वि० [स०] जिसको केवल स्मृति ग याद ही रह गई हो । विशेषत युद्ध में राम मानवाला र । 30--चति न्यदन बदन नीम दै वदन कर द्विजवर पदहिं । नदनंदनपुर तरतो भया स्मृतिशैथिल्य---सज्ञा पुं॰ [स०] स्मृति की शिथिलता । स्मरण शक्ति सुभट गार्मा धरि महिं ।- गोपाल (गब्द०)। ७ वायु । की कमजोरी (को०)। हना । ८ गत आपिणी के २६ वे अहत् या नाम । (जैन) । स्मृतिसमत--वि० [सं० स्मृतिसम्मत] स्मृतिशास्त्र के अनुकूल । धर्म ६ तिनिश वृक्ष । तिनसुना । १० जल । ११ चिन् । तार । शास्त्र द्वारा अनुमोदित (को०] । १२ घोडा । तुरग । १. एक प्रकावा मत्र जिसमें पन्न स्मृतिसस्कार-मज्ञा पुं० [स०] स्मृति का प्रमिमनित लिए जाते थे। १४ तेंदू । तिहा वृक्ष । सस्कार । स्मरण शक्ति की छाप [को०] । स्यदन--वि०१ जल्दी ने जानेवाला । तीब्रगामी । द्रुतगागी । २ चुन। स्मृतिसाध्य--वि० [स०] जो स्मृति या धर्मशास्त्र द्वारा साध्य हो । फूर्तीना । ३ प्रवाहित होने या बहनेवाला । गलनेवाला। ४ जिसे स्मृतियो द्वारा प्रमाणित किया जा सके [को०) । क्षरणशीन । रमनेवाला (को०)। स्यदन तैल-~-सा पु० [२० स्पा ने वैचर मे एक प्रकार की स्मृतिसिद्ध-वि० [स [स०] स्मृतिशास्त्र द्वारा कथित । शास्त्र द्वारा प्रमाणित (को०। तैलोषध जो गगदर के लिये उपकारी मानी जाती है। विशेप-उनके बनाने की विधि न प्रसार है-चीता, आक, स्मृतिहिता-~-सज्ञा स्त्री॰ [स०] स्मरण शक्ति के लिये हितकारक शख- लिसात, पाट, कटूमर, मफेद बनेर, व्हर, हरताल, वतिहारी, पुष्पी नाम की लता। बन, सज्जी, और मालकेगनी, न सबका पल्क, जा कुन स्मृतिहीन-वि० [स०] जो स्मरण शक्ति से कमजोर हो । जो स्मृति मिलाकर एक सेर हो, ४ मेर तिल के तेल में पकाया जाता मान् न हो [को०)। है । इसके लगाने मे नगदर बन जाता है । इसे नित्यदन तेल स्मृतिहेतु-मज्ञा पुं० [स०] स्मृति का कारण मत पदार्थ, वस्तु आदि । भी कहते है। स्मृति का अकन, चिह्न या सस्कार [को०) । स्यदनद्रुम-सा पुं० [स० स्वन्दनदुग] १ तिनसुना। तिनिरा वृक्ष । स्मृत्यतर-म० पु० [स० स्मृत्यन्तर] अन्य स्मृतिशास्त्र । दूसरा धर्म विशेप- 1-स वृक्ष की तकलीरा के पहिए यादि बनाने के काम में शास्त्र या विधिशास्त्र (को०] । अाती थी, इसी से उसका नाम स्यदना पड़ा। स्मृत्यपेत-वि० [स०] १ जो स्मृतियो के विरुद्ध हो । शास्त्रविरद्ध । २ नदू । तिंदूक। २ जो याद न पडे । जिसकी याद न हो। विस्मृत । ३ जो स्यदनध्वनि-सा जी० [स० स्यन्दनध्वनि] रथ के चलने की ग्रावाज या विधिविहित न हो । अवैध । अन्याय्य । असत्य (को०)। स्मृत्युक्त-वि० [म०] स्मृतियो मे कथित । शास्त्रविहित । शास्त्रोक्त । स्यदना-वि० सी० [स० स्यन्दना दे० 'स्यदन'। स्मेर-वि० [म०] १ खिला हुअा। प्रफुल्लित । विकसित।२ मुस्कराता स्यदनारुढ-वि० [स० न्यन्दनास्ट] जो रथ पर सवार हो । रया हुआ । मद हास्य से युक्त । ३ घमडी । अभिमानी । ४ स्पष्ट । स्ट कि प्रत्यक्ष । व्यक्त (को०। स्यदनाराह~-संज्ञा पुं० [म० स्यन्दनारोह] वह योद्धा जो रथ पर चटकर युद्ध करता हो । रथी। ध्वनि [को] ।