पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/९०

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स्वल्पतर ५४०२ स्वविनाश स्वल्पतर--वि० [सं०] बहुत थोडा या बहुत साधारण । स्वल्पोयस-वि० [स०] अत्यत अल्प या छोटा। मामूली [को०] । स्वल्पतरु--सज्ञा स० [सं०] केमुक । केमुआँ । स्वल्पेच्छ--वि० [म.] कम या मामूली इच्छाअोवाला। जिसकी स्वत्पदु ख–सञ्चा वि० [स०] माधारण क्प्ट । हलकी पीडा [को०) । कामना अन्य हो । सतोपी [को॰] । स्वल्पदृक्-वि० [सं० स्वल्पदृश] जो दूरदर्शी न हो । अदूरदर्शी [को०] । स्ववश-सज्ञा पु० [म०] अपना कुल । अपना वश । स्वल्पदेहा-- --सज्ञा स्त्री० [सं०] नाटे कद की लटकी जो विवाह के योग्य स्ववशी-वि० [० स्ववशिन्] अपने वश का । परवर्ती पीटी का । नही मानी जाती [को०] । स्ववस्य--वि० [स०] अपने खानदान का । अपने परिवार का [को०] | स्वल्पनख-सज्ञा पु० [स०] नसी या हटविलामिनी नामक गधद्रव्य । स्ववच्छन्न-वि० [सं०] सम्यक् आवृत । अच्छी तरह देका हुअा (को०] । स्वत्पपत्रक---सशा पुं० [म०] गौरशाक । पहाडी महुअा। स्ववरन--सज्ञा पुं० [स० म्वर्ण] दे० 'सुवर्ण' । स्वल्पपर्णी- --मज्ञा स्त्री० [म०] मेदा नाम की अष्टवर्गीय अोपवि । स्ववर्ग---सञ्ज्ञा पु॰ [स०] प्रपना वर्ग। अपना समाज । अपना मित्रमडल स्वल्पफला--सज्ञा स्त्री० [स०] अपराजिता । हपुपा । हाऊवेर । या परिवार। स्वल्पवल-वि० [स०] दुर्वल । कमजोर । [को०] । स्ववर्गीय-वि० [स०] जो अपने वर्ग का हो । स्वत्पभापी-वि० [स० स्वत्पभापिन्] जो मितभापी हो । कम वोलने- स्ववर्णी रेखा-संज्ञा स्त्री० स० सुवर्णरेखा] एक नदी जो छोटा नागपुर वाला [को०] ' से निकलकर वगाल की खाडी मे गिरती है। स्वल्पयव-मज्ञा पुं॰ [स०] जो नामक अन्न । स्ववश---वि० [स०] १ जो अपने वश मे हो। स्वतन । स्वाधीन । स्वल्परूपा-सज्ञा स्त्री॰ [स०] शरणपुप्पी । वनसनई । २ जिसका अपने आप पर अधिकार हो । जो अपनी इद्रियो को स्वल्पवर्तुल--सज्ञा पु० [सं०] मटर । वश मे रखता हो। जितेद्रिय । स्वल्पवल्कला-सशा जी० [म०] तेजवल । तेजोवती । स्ववशता--संज्ञा स्त्री॰ [स०] स्ववश का भाव या धर्म । स्वल्पवयस्-वि० [म०] छोटी अवस्था का को०] । स्ववशिनी--सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] एक प्रकार का वैदिक छद । स्वल्पविटप--सधा पु० [स०] केमुक । केमुग्रा । स्ववश्य--वि० [स०] जो अपने ही वश मे हो। अपने आपपर अधिकार रखनेवाला। स्वल्पविराम ज्वर--सज्ञा पु० [स०] ठहर ठहरकर थोड़ी देर के लिये उतरकर फिर पानेवाला ज्वर। स्ववस--वि० [स० स्ववश] १ जो अपने वश मे हो। वशीभूत । स्वत्पविषय--सज्ञा पुं० [सं०] साधारण बात या मामूली अश [को०] । उ०--देखा स्ववस करम मन बानी।--मानस, १११६२ । २ दे० 'स्ववश'। स्वल्पव्यक्ति तव--सज्ञा पु० [सं० स्वत्पव्यक्ति तन्त्र] वह सरकार जिसमे राजसत्ता इने गिने लोगो के हाथो मे हो। कुछ लोगों स्ववहा-सज्ञा स्त्री॰ [स०] निसोय । त्रिवृत । का राज्य या शामन । विशेप दे० 'पोलिगार्की' । स्ववहित--वि० [सं०] जो भली भांति अवहित हो। एकाग्र । २ स्वल्पव्यय-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] १ कम खर्च । २ कृपण [को०] । सावधान । सतर्क। स्वत्पव्ययी--वि० [स० स्वल्पव्य यिन्] कम खच करनेवाला । अल्प या स्ववार-सहा पु० [ ] अपना घरबार । अपना घर [को०] । योडा खर्च करनेवाला। स्ववार्त-सहा पु० [म० स्ववात्त] अपनी वार्ता या वात । अपना हित । स्वत्पव्रीड-वि० [स०] वेशर्म । निलज्ज [को०] । अपनी अवस्था या स्थिति । स्वल्पशव्दा-सज्ञा स्त्री० [म.] बनमनई । राणपुप्पी। स्ववासिनी--मन्ना स्त्री० [सं०] वह कन्या अथवा विवाहिता स्त्री जो स्वल्पशरीर--वि० [म०] छोटे कद का । ठिंगना । नाटा [को०) । अपने पिता के घर रहती हो। म्वत्पशृगाल--वि० सजा पु० [म.] रोहित मृग। वनरोहा। स्ववासी-सज्ञा पु० [म० स्ववासिन्] एक साम का नाम । स्वल्पागुलि -मज्ञा स्त्री० [म० म्वल्पाडगुलि] कनिष्ठिका। कानी स्वविकत्यन--वि० [म०] अपनी ही बात कहनेवाला। सीटने या डीग उंगली को। मारनेवाला । सीटू । स्वत्पातर--वि० [म० रनल्पान्तर] जिनमे बहुत कम गतर या फर्क हो। स्वविक्षिप्त सैन्य -- सज्ञा पु० [स०] अपने ही देश मे विद्यमान सेना। स्वल्पायु-वि० [मै० स्वल्पायुम्] अल्पजीवी। अस्पाय (को०] । विशेप-कौटिल्य ने लिखा है कि स्वविक्षिप्त और मित्रविक्षिप्त स्वल्पाहार'-वि० [स०] कम खानेवाला । अत्पाहारी । (मिव के देश में स्थित) मेना मे स्वविक्षिप्त उत्तम है, क्योकि स्वल्पाहार-नशा पुं० अल्पाहार । सयत भोजन [को०] । समय पड़ने पर वह तुरत काम दे सकती है। स्वल्पम्मृति--वि० [म०] जिसकी स्मरण शक्ति कम हो [को॰] । स्वविग्रह --सशा पु० [स०] अपना स्प या शरीर । स्वल्पिप्ठ-वि० [म०] १ अत्यत थोडा या अल्प । २ बहुत छोटा । म्वविधेय-वि॰ [स०] जो स्वय करणीय हो । खुद ब खुद करने लायक । स्वत्पतर (को०)। स्वविनाश-संश पु० [स०] अपना विनाश । अात्महानि ।