पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/९२

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स्वस्तिककर्ण ५४०४ स्वस्थ १३ शरीर के विशिष्ट अगो मे होनेवाला उक्त प्राकार का एक स्वस्तिपुर-सज्ञा पुं० [सं०] महाभारत के अनुसार एक प्राचीन तीर्थ चिह्न । उ०-स्वस्तिक अाटकोण श्री केरा । हल मुसल पन्नग का नाम। शर हेरा ।--विश्राम (शब्द॰) । स्वस्तिभाव-सञ्ज्ञा पु० [सं०] शिव । शकर [को०] । विशेप--इम प्रकार का चिह्न सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार बहुत स्वस्तिमत्-वि० [स] [वि० सी० स्वस्तिमती] । कल्याण युक्त । शुभ माना जाता है। कहते है, रामचद्र जी के चरण मे इस सौभाग्यसपन्न सुखी (को०)। प्रकार का चिह्न था। जैनी लोग जिन देवता के २४ लक्षणो स्वस्तिमती--सज्ञा सी० [सं०] कार्तिकेय की एक मातृका का नाम । मे से इसे भी एक मानते हैं । स्वस्तिमुख -सञ्ज्ञा पु० [स०] १ ब्राह्मण । २ वह जो राजानो की १४ प्राचीन काल को एक प्रकार की बढिया नाव जो प्राय राजाओ स्तुति करता हो । वदी। स्तुतिपाठक । ३ पत्र । चिट्ठी [को०] । की सवारी के काम मे आती थी। १५ एक प्रकार के चारण स्वस्तिवचन- सज्ञा पुं० [स०] स्वस्ति अथवा कल्याणवाचक शब्द जो जयजयकार करते है (को०) । १६ कोई भी शुभ कहना (को॰] । या मगल द्रव्य (को०) । १७ भुजाप्रो को वक्ष पर इस स्वस्तिवाचक--सज्ञा पुं॰ [स०] १ वह जो मगलसूचक बात कहता या प्रकार रखना जिससे एक व्यत्यस्त चिह्न ४ वन जाय (को॰) । मनपाठ करता हो। २ वह जो आशीर्वाद देता हो । ३ शुभ- १८ एक विशेप आकार का प्रासाद (को०)। १६ विषयी। कामना । आशीर्वाद (को०)। व्यभिचारी (को०) । २० एक विशेष प्रकार का पिष्टक, पूत्रा स्वस्तिवाचन -सज्ञा पुं० [स०] १ कर्मकाड के अनुसार मगल कार्यो या रोट (को०) । २१ चौराहे से बना हुआ त्रिभुजाकार चिह्न के प्रारभ मे किया जानेवाला एक प्रकार का धार्मिक कृत्य जिसमे (को०) । २२ देवता के लिये उपकल्पित प्रासन या पीठ (को०)। गणेशपूजन के अनतर। कलश स्थापित किया जाता है और २३ मुकुटमणि जो त्रिकोणात्मक हो । त्रिकोण मुकुटमणि कुछ मगलसूचक मनो का पाठ ( पुप्याह वाचन आदि ) किग (को०)। २४ स्कद का एक अनुचर (को०) । २५ एक दानव जाता है। उ०-एकदिना हरि लई करोटी सुनि हरपी नँदरानी। का नाम (को॰) । विप्र बुलाय स्वस्तिवाचन करि रोहिणी नैन सिरानी। --सूर स्वस्तिककर्ण-वि० [स०] जिमके कान पर स्वस्तिक का चिह्न निर्मित (शब्द०)। २ द्रव्य आदि जो स्वस्तिवाचक को दिया जाय हो (को०] । (को०)। स्वस्तिकदान-सशा पुं० [सं०] स्वस्तिक के आकार मे हाथो को वक्ष स्वस्तिवचनक, स्वस्तिवाचनिक--सज्ञा पुं० [सं०] दे० 'स्वस्ति- पर रखना (को०] । वाचन' [को०] । स्वस्तिकपाणि-वि० [स०] १ स्वस्तिक के रूप मे हाथो की मुद्रा स्वस्तिवाच्य-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] शुभ कामना । वधाई। कल्याण की बनानेवाला। २ जिसके हाथो मे मगलद्रव्य हो (को०] । कामना [को०। स्वस्तिकयन-सज्ञा पुं० [स० स्वस्तिकयन्त्र] प्राचीन काल का एक स्वस्तिश्री-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] पत्र के प्रारभ मे लिखा जानेवाला मगल- प्रकार का यत्न जिसका व्यवहार शरीर मे फंसे हुए शल्य को सूचक शब्द। निकालने के लिये होता था। विशेप दे० 'स्वस्तिक-८' । स्वस्तेन-सञ्ज्ञा पुं० पुं० [सं० स्वस्त्ययन] दे० 'स्वस्त्ययन'। स्वस्तिकर-सञ्ज्ञा पुं० [स०] प्राचीन काल के एक गोत्रप्रवर्तक ऋपि स्वस्तीवचन-सञ्ज्ञा पुं० दे० स्वस्तिवाचन'। उ०--नद राय घर का नाम। ढोटा जायो महर महा सुख पायो। विप्र बुलाय वेद ध्वनि कीन्ही स्वस्तीबचन पढायो।-सूर ( शब्द०)। स्वस्तिकर्म-मचा पुं० [स० स्वस्तिकमन्] वह जिससे कल्याण हो। स्वस्त्यक्षर-सच्चा पु० [स०] किसी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना [को०] । कल्याणकारक कर्म (को०] । स्वस्त्ययन'-सज्ञा पुं० [स०] १ एक प्रकार का धार्मिक कृत्य जो किसी स्वस्तिका-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] चमेली। विशिष्ट कार्य की अशुभ बातो का नाश करके शुभ की स्थापना स्वस्तिकार-सपा पु० [स०] १. एक प्रकार के चारण । दे० के विचार से किया जाता है। उ०--पढन लगे स्वस्त्ययन ब्रह्म- 'स्वस्तिक'-१५। २ शुभ करना। कल्याण करना [को०] । ऋपि गाइ उठी सव नारा । ले नरनाथ अक रघुनाथहि रगनाम स्वस्तिकाह्वय-मज्ञा पुं० [स०] चौलाई का साग । सभारी । --रघुराज (शब्द०)। २ शुभ, कल्याण, समृद्धि प्रादि की प्राप्ति का साधन (को०)। ३ दान स्वीकार करने के स्वतिकृत्'-सज्ञा पुं० [सं०] शिव । महादेव । अनतर ब्राह्मण द्वारा स्वस्तिकथन (को०)। ४ मागलिक कृत्य स्वस्तिकृत्-- वि० मगल करनेवाला । कल्याणकारी। मे आगे आगे ले जाया जानेवाला जलपूर्ण कलश (को॰) । स्वस्तिद'-सशा पु० [स०] शिव । महादेव । स्वस्त्ययन-वि० कल्याणकारक । मगलप्रद । शुभद [को०] । स्वस्तिद-वि० मगल या कल्याण देने अथवा करनेवाला। स्वस्त्यानेय- सचा पु० [स०] एक वैदिक ऋपि का नाम । स्वस्तिदेवी-- सग श्री० [स०] वायु की पली, एक देवी [को०] । स्वस्थ-वि० [स०] १ जिसका स्वास्थ्य अच्छा हो । जिसे किसी प्रकार स्वस्तिपाठ-पग पुं० [सं०] स्वस्तिवाचक मनो का पाठ [को०] । का रोग न हो । निरोग । तदुरुस्त । भला चगा । जैसे, -इवर