पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/९५

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स्वाति ५४०७ स्वादु स० विशेप--इम नक्षत्र मे जन्मनेवाला कामदेव के समान स्पवान् स्त्रियों का प्रिय और सुखी होता है। कहते है, चातक इसी नक्षत्र मे बरसनेवाला पानी पीता है और इसी नक्षत्र मे वर्षा होने से सीप मे मोती, बॉम मे वशलोचन और साँप मे विप उत्पन्न होता है। २ खङ्ग । तलवार (को०) । ३ शुभ नक्षत्रो का एक समूह (को०) ४ सूर्य की एक पत्नी का नाम (को०) । स्वाति-सज्ञा पु० उरु और प्राग्नेयी के एक पुत्र का नाम । स्वाति--वि० स्वाति नक्षत्र में उत्पन्न । स्वातिकारी--सज्ञा स्त्री॰ [स०] पारस्कर गृह्यसूत्र के अनुसार कृपि की देवी। स्वातिगिरि-मज्ञा स्त्री॰ [म. ] एक नागकन्या का नाम (को॰] । स्वातिपथ--सज्ञा पु० [स० स्वाति + पन्य ] आकाशगगा। उ०-- वदी विदूपक वदन बहुनिधि सुयश उक्ति समेत। यह भानुकुल कीरति उदय जो स्वातिपथ सपेत ।-रघुराज (शब्द०) । स्वातिविदु-सज्ञा पुं० [ मे० स्वातिबिन्दु ] स्वाति नक्षत्र में बरसने- वाली जल की वूद (को०)। स्वातिमुख --मज्ञा पुं० [ स०] १ एक प्रकार की समाधि । २ एक किन्नर नरेश [को०] । स्वातिमुख ---सरा स्त्री० [ ] एक नागकन्या का नाम । स्वातियोग सज्ञा पुं० [ स० ] ज्योतिप के अनुसार प्रापाढ के शुक्ल पक्ष मे स्वाति नक्षत्र का चद्रमा के साथ योग । स्वातिसुत-सचा पुं० [ स० स्वाति + सुत ] मोती। मुक्ता। उ०- (क) स्वातिसुत माला विराजत श्याम तन यो भाइ । मनो गगा गौरि उर हर लिये कठ लगाइ । —सूर (शब्द०) । (ख) श्रवन विराजत स्वातिसुत करत न बने वखान । मनु कमल पत्र अग्रज रहे प्रोस उडग्गन आन ।--पृ० रा०, ११७५३ । (ग) वेनी छूटि लटै वगरानी मुकुट लटकि लटकानो। फूल खसत सिर ते मए न्यारे सुभग स्वातिसुत मानो ।—सूर (शब्द०)। स्वातिसुवन-~~-सधा पुं० [ स० स्वाति + हिं० सुवन ] मोती। मुक्ता । उ०---अतसी कुसुम कलेवर वूदै प्रतिबिंबित निरचार । ज्योति प्रकाश सुधन मे खोजन स्वातिसुवन आकार ।--सूर (शब्द०) । स्वाती--सज्ञा सी० [स० स्वाति] दे॰ 'स्वाति' । उ०---सीय सुखहिं वरनिय केहि भांती। जनु चातकी पाइ जल स्वाती।- तुलसी (शब्द०)। स्वाद-सज्ञा पुं० [म०] १ किसी पदार्थ के खाने या पीने से रसनेद्रिय को होनेवाला अनुभव । जायका । जैसे,—(क) इसका स्वाद खट्टा है या मीठा, यह तुम क्या जानो। (ख) आज भोजन में बिलकुल स्वाद नहीं है । २ काव्यगत रसानुभूति या मानद । काव्य मे चमत्कार सौंदर्य । जैमे,---उनकी कविता ऐसी सरस और सरल होती है कि सामान्य जन भी उसका स्वाद ले सकते है। ३ मजा । जैसे,-जान पडता है, आपको लडाई झगडे मे बड़ा स्वाद मिलता है। क्रि० प्र०-लेना ।-मिना । मुहा०--स्वाद चखाना= किसी को उसके किए हुए अपराध का दड देना । बदला लेना । जैसे,--मैं तुम्हे इसका स्वाद चखाऊँगा । ४ चाह । इच्छा । कामना। उ०—(क) गवमाद रन स्वाद चल्यो घन सरिस नाद करि । ल द्विज आसिरवाद परम अहलाव हृदय भरि ।--गोपाल ( शब्द०)। (य) द्विज अपहि ग्रामिरवाद पढि । नमत तिन्है अहलाद मढि । नृप लमेउ सुरथ जय स्वाद चढि । करत सिंह सम नाद वढि ।---गोपाल (शब्द०)। ५ मीठा रस । (डिं०)। स्वादक--सशा पु० [स० स्वाद] १ वह जो भोज्य पदार्थ प्रस्तुत होने पर चखता है। स्वादुविवेकी। उ०---स्वादक चतुर बतावत जाही । सूपकार बहु विरचत ताही ।-रामाश्वमेध (शब्द॰) । विशेप-राजा महाराजामो की पाकशालाग्रा मे प्राय ऐने कम- चारी होते हे जो भोज्य पदार्थ प्रस्तुत होन पर पहले चख लेते हैं कि पदाय उत्तम बना है या नहीं। ऐसे ही लोग 'स्वादक' कहलाते है। स्वादन-मज्ञा पुं० [ए] १ चखना। स्वाद लेना। २ रसग्रहण । पानद लेना। ३ मजा लेना। दे० 'स्वाद'। स्वादनीय-वि० [स०] १ स्वाद लने के योग्य । २ रस लेने के योग्य । मजा लेने के योग्य । ३ जायकेदार । स्वादिष्ठ । स्वादव--मज्ञा पुं० [१०] वह जिसका स्वाद रुचिकर हो । स्वादित-वि० [सं०] १ चखा हुआ । रस लिया हुया। २ स्वाद- युक्त । जायकेदार । ३ प्रीत । प्रसन्न । स्वादित्व--सजा पु० [स०] स्वाद का भाव । स्वादु । स्वादिमा-सञ्चा स्त्री॰ [स० स्वादिमन] १ मधुरिमा। माधुर्य। २ सुस्वादु होना। स्वादुता [को०] । स्वादिष्ट--वि० [स० स्वादिष्ठJ जायकेदार। स्वादिष्ठ। जैसे,- स्वादिष्ट भोजन । स्वादिष्ठ-वि० [स०] जो खाने मे बहुत अच्छा जान पडे । जिसका स्वाद अच्छा हो । जायकेदार । मुस्वादु । स्वादी--वि० [स० स्वादिन ' १ स्वाद चखनेवाला। उ०-बहु सुत मागध बदी जन नृप वचन गुनि हरपित चले। पुनि वैद्य पौरानिक सभाचातुर विपुल स्वादी भले।--रामाश्वमेध (शब्द०) । २ मजा लेनेवाला। रसिक । स्वादीयस्-वि० [स०] बहुत अधिक स्वादिष्ठ (को॰] । स्वादीला-वि० [स० स्वाद + हिं० ईला (प्रत्य॰)] स्वादयुक्त । स्वादिष्ठ । उ०-घास के स्वादीले पासो करके "वह राजेश्वर उसकी ( नदिनी गाय को ) सेवा मे तत्पर हुआ। ---लक्ष्मणमिह (शब्द०)। स्वादु'--सज्ञा पुं० [म०] १ मधुर रम । मीठा रम। मधुरता । २ गुड। ३ जीवक नामक अप्टवर्गोय ओपधि । अगुरुमार। ५ महुप्रा । मधृक वृक्ष। ६ चिरांजी। पियाल । ७ कमला नीबू । ८ कांस । काश हरण। ६ वर । वदर । १०. ४ अगर।