पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/९८

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वाला। स्वानुरूप ५४१० म्वामिनी अवस्थानो के बहुत ही प्रभावशाली चिन्न उपस्थित किए हैं। स्वाभाविकेतर--वि० [सं०] जो ग्वाभाविक से उतर हो। अनगिक । -पोद्दार अभि० ग्र०, पृ० १०१। अप्राकृतिक । गनिम [को०)। स्वानुरूप-वि० [मं०] १ अपने अनुत्प। अपने सदृश । अपने योग्य स्वाभाव्य --वि॰ [स०] स्वय उत्पन होनेवाला । अाप ही पाप होने- २ नैसगिक । प्राकृतिक । स्वाभाविक । सहजात (को०)। स्वाप-सज्ञा पु० [म०] १ नीद । निद्रा। २ स्वप्न । स्वाव । ३ स्वाभाव्य:--राजवि०१ सभापता । स्वभाव का माव । २ वैयक्तिक अज्ञान । ४ निस्पदता। गुण या विशेषता (को०)। स्वापक-वि० [म०] नीद लानेवाला। निद्राकारक । स्वाभास-वि० [सं०] अत्यत तेजोमया या दीप्तिमान् । स्वापतेय--सज्ञा पुं० [म०] १ कौटिल्य के अनुमार स्वकीय सपत्ति । स्वाभिमान--सरा पुं० [सं०] अपनी इज्जन पोर प्रतिष्ठा रा ध्यान । निज की वस्तु । २ धन सपत्ति [को०) । मान अपमान का धान । अात्माभिमान योग । स्वापद-सज्ञा पुं॰ [स०] दे० 'श्वापद' (को०] स्वाभिमानी-वि० [स० स्वाभिमानिन्] [ग्त्री० म्बानिगानिती] अपने स्वापन'-सज्ञा पुं० सं०] १ प्राचीन काल का एक प्रकार का अस्त्र पर अभिमान करनेवाला । अात्माभिमानी। जिसमे शन्नु निद्रित किए जाते थे। ८०-विद्याधर अस्त्र नाम नदन जो ऐमौ । मोहन म्वापन समन सौम्यकपन पुनि तंतो। स्वाभील--वि० [म०] अति प्रनउ । अन्यत नयानर [को०] । कर (गन्द०)। २ नीद लानेवाली प्रौपध। ३ निद्रित स्वामि--स पुं० [सं० स्वामिन, हि स्वामी] दे० 'स्वामी' । करना । सुलाना (को०)। उ०--मेवक म्यामि मा मिय पीके । हिा निरपधि मर स्वापन--वि० जिममे नीद पाए । नीद लानेवाला । निद्राकारक । विधि तुलमी के।-तुलसी (शब्द॰) । स्वापराघ--सजा पुं० [स] निज् या अपराध अपने प्रति किया हुआ स्वामिकाज-सज्ञा पुं० [सं० म्यामि + सार्य, प्रा०, अप० वाज] ३० पारग्ध । नि नाराध को०] । 'स्वामिकाय' । उ०--स्वामिकाज करिहा न रारी । स्वापव्यसन-सज्ञा पुं० [सं०] १ निद्रालुता । तद्राग्रस्त होना । २ जस धवलिहउ भुवन दमवारी |--मानम, २०१६० । निश्चेष्टता । निष्क्रियता । जाड्य (फो०] । स्वामिकातिक-सा पुं० [सं०] १ शिव के पुत्र कातिोय । देव स्वापी--वि० [सं० स्वापिन्] जिसमे नीद पाए । नीद लानेवाला (को० । सेनापति । विशेप दे० 'स्कद' । उ०-धरे चाप इस हाथ स्वाप्त-वि० [सं०] १ जो स्वयं प्राप्त किया जाय । २ जो प्रचुरतर म्यामिकातिक बल मोहन । -गोपाल (शन्द०) । २ छह प्रापात हो। बहुत ज्यादा । अत्यधिक । ३ जो पूरण विश्वस्त हो । ४ और दस मानायो का ताल जिमका योल इस प्रकार है-- कुशल । चतुर [को०)। + १ ११ धाधि धागे नाग तिन तिरफिट ति ना तिना निना के ताजिना। स्वाप्न--वि० [०११ स्वप्न सबधी । स्वप्न का । स्वप्निल । २ निद्रा या तद्रा सबधी [को०] । स्वामिकार्य--सरा पुं० [सं०] राजा या स्वामी का काम (को०)। स्वाप्निक-वि० [स०स्वाप्न + इक] दे० 'स्वाप्न'। स्वामिकार्यार्थी-वि० [स० न्वामिनार्यार्थिन् ] ग्यामी के कार्य की सफ- स्वाव-समा पुं० [अ०] कपडे या सन की बुहारी या झाड, लता चाहनेवाला फिो०) । के डेक प्रादि साफ किए जाते हैं । (लश०) । स्वामिकुमार-सग पुं० [#] शिव के पुत्र कार्तिकेय पा एक नाम । स्वाभाव--सज्ञ पु० [स०] अपना प्रभाव । अपने अस्तित्व का न होना स्वामिकार्तिक । (को०] । स्वामिगुण--सजा पं० [ स० ] स्वामी के सद्गुण । राजा के विशिष्ट स्वाभाविक'--वि० [स०] [स्त्री० स्वाभाविकता] १ जो स्वभाव गुरण कि। से उत्पन्न हुआ हो । जो ग्राप ही आप हो। २ स्वभावसिद्ध । स्वामिजघी-सरा पुं० [० स्वामिजदधिन् ] परशुराम का नाम । प्राकृतिक । नैसर्गिक । सहज । कुदरती। जैसे,—(क) जल मे शीतलता होना स्वाभाविक है । (ख) उसका दुष्ट अाचरण स्वामिजनक--सक्षा पुं० [सं०] स्वामी अर्थात् पति का जनक । श्वसुर । देखकर उनका कुट्ट होना स्वाभाविक था। (ग) उस कवि ने स्वामिता-सशा स्त्री० [म०] दे० 'स्वामित्व' । काश्मीर का क्या ही स्वाभाविक वर्णन किया है । ३ स्वामित्व-मगा पु० [म०] १ स्वामी या राजा होने का भाव । प्रभुना । जन्मजात (को०)। प्रभुत्व । २ अधिकारी होने का भार । मालिफपन । स्वाभाविक-मशा पुं० [स०] बौद्धो का एक मप्रदाय, जो सभी स्वामिन-सश सी० [हि० स्वामिनी ] दे० 'स्वामिनी'। वस्तुग्रो को प्रकृति के नियमानुसार वनी मानते है (को०] । स्वामिनी-सज्ञा सी० [सं०] १ मालिकिन । स्वत्वाधिकारिणी। स्वाभाविकी--वि [स०] स्वभावसिद्ध । प्राकृतिक। जैसे-हे जल । २ घर की मालिकिन । गृहिणी। ३ अपने स्वामी या प्रभु की आपमे शीतलता का होना तो महज बात है, स्वच्छता भी पत्नी। ४ श्रीराधिका। (वल्लभ सप्रदाय)। उ०-महित आपमे स्वाभाविकी है। -द्विवेदी (शब्द०)। स्वामिनी अतरजामी।--गोपाल (शब्द॰) । १ जिससे जहाज