पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/२०६

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पह्निका २०१८ पांचाली एक भाग अवस्ता शास्त्र का अनुवाद मात्र है । दूसरे भाग के के पद्रहवें दिन से सवध रखनेवाला। २. साम के पंद्रह मंत्रों ग्रथो में धर्म की व्याख्या और ऐतिहासिक उपारयान हैं। द्वारा दीप्त। [को॰] । शामी शब्दों की अधिकता और विशेषत उपयुक्त शैलीभेद पांचदश्य-सज्ञा पु० [सं० पाञ्चदश्य ] पद्रह का समूह [को०] । के कारण कुछ विद्वान यह मानने लगे हैं कि पहलवी किसी पाचनद-सञ्ज्ञा पुं० [स० पाञ्चनद] १. पचनद प्रदेश । पजाब प्रांत । काल मे किसी जाति की बोलचाल की भाषा नहीं थी, २ पचनद नरेश । ३ पजाव के निवासी [को०] । पारसवालों ने जब शामी (यहूदो अरब) लोगो से लिपिविद्या पाचभौतिक-सज्ञा पु० [सं० पाञ्चभौतिक ] पांचो भूतो या तत्वो सीखी और शामी वर्णमाला के द्वारा वे अपनी भापा लिखने से बना हुमा शरीर। लगे उस समय उन लोगों ने अपनी भाषा के उन सब शब्दो पाचभौतिक-वि० [वि०सी० पाञ्चभौतिकी ] पांच तत्वो या पच को लिखने का प्रयास नहीं किया जिसके समानार्थक शब्द महाभूतो द्वारा निर्मित । जैसे, पाच भौतिकी सृष्टि । उन्हें शामी भाषा मे मिल सके। ऐसे शब्द उन्होंने शामी पाचयक्षिक'-वि० [ स० पाञ्चयज्ञिक ] [वि॰ स्त्री० पांचयज्ञिकी ] के ही ज्यो के त्यो उठाकर अपनी भाषा मे घर लिए। पच महायज्ञ सबधी। पर वे लिखते तो थे शामी शब्द और पढ़ते उस शब्द का सामानार्थक अपनी भाषा का शब्द । जैसे, वे लिखते पाच यज्ञिक-सज्ञा पुं० पांच महायज्ञो मे से कोई एक [को॰] । 'मालिक' जिसका अर्थ शामी में राजा है और पढ़ते थे पांचरात्र-सशा पुं० [स० पाञ्चरात्र ] १. एक वैष्णव सप्रदाय । अपनी भाषा का 'शाह' शब्द । बहुत दिनो तक इस प्रकार २ पाचरात्र स प्रदाय का सिद्धात [को०] | लिखते पढ़ते रहने से जिस विलक्षण स कर भाषा का गठन पालिका-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [नः पाञ्चलिका] कपडे की बनी हुई गुडिया। हुआ वही उक्त विद्वानो को सम्मति में पह्नवी है। पांचवर्षिक-वि० सं० पाञ्चवर्पिक ] [वि॰ स्त्री० पांचवर्पिकी ] पह्निका-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] जलकुभी। पाँच बरस का । पचवर्षीय [को॰] । पांत-वि० [सं० पाट क्त ] १ पक्ति से सबध रखनेवाला । पक्ति पांचशाब्दिक-सज्ञा पुं० [स० पाञ्चशाब्दिक ] १ करताल, ढोल, संवधी। २ पक्ति का । ३ पांच वार होनेवाला । पांच बीन, घटा और भेरी आदि पांच प्रकार के बाजे । २ पाँच विभागो में होनेवाला (यज्ञ) । ४ दस अवयवोवाला । दस प्रकार का संगीत जो स्कद पुराण मे अगज, कर्मज, तत्रज, अगवाला [को०]। कास्यज और फूत्कृत कहा गया है (को०)। पाक्तेय-वि० [सं० पाड क्तेय ] पक्ति में बैठनेवाला । पक्ति मे पांचार्थिक-सज्ञा पुं० [ स० पाञ्चार्थिक ] शैव । शिवभक्त [को०] । समिलित होने लायक। पगत या पांत में औरो के साथ बैठने पाचाल'-सज्ञा पुं॰ [ स० पाञ्चाल ] १ वढ़ई, नाई, जुलाहा, धोबी योग्य [को०] 1 और चमार इन पांचो का समुदाय । २ भारत के पश्चि- पांक्त्य-वि० [ स० पाड क्स्य ] दे० 'पक्तेिय' । मोत्तर का एक देश । विशेष-दे० 'पचाल'। ३ पाचाल पांगुल्य-सज्ञा पु० [सं० पाह गुल्य ] लंगडापन । पगुत्व । पगुल होने का नरेश । का भाव [को०)। पाचाल-वि० [वि० सी० पांचाली ] १ पाचाल देश का रहनेवाला। पांचकपाल-वि० [सं० पाञ्चकपाल ] पचकपाल सबधी । पंचकपाल २ पाचाल देश सबधी। यज्ञ सवधी [को०] । पांचालक'-वि॰ [म० पाञ्चालक ] पजाव के निवासियों से संबद्ध । पांचजनी-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० पाञ्चजनी ] भागवत के अनुसार पचजन पाचाल देश का [को०] । नामक प्रजापति की कन्या का नाम । इसका दूसरा नाम पांचालफर-सञ्ज्ञा पुं० पचाल का राजा [को०] । प्रसिकी भी था। पांचजन्य-सञ्ज्ञा पुं० [म० पाञ्चजन्य ] १ कृष्ण के बजाने पांचालिका-संज्ञा स्त्री० [सं० पाञ्चालिका ] दे० 'पाचाली' । का शंख। पांचाली-सज्ञा सी० [सं० पाञ्चाली ] १ गुडिया । कपड़े की पुतली। पचालिका । पचाली। २ साहित्य में एक प्रकार विशेष-इसके विषय में यह प्रसिद्ध है यह शख उन्हें पचजन की रीति या वाक्य-रचना-प्रणाली जिसमे बड़े बड़े पांच छह नामक दैत्य के पास उस समय मिला था जब वे गुरुदक्षिणा समासो से युक्त और कातिपूर्ण पदावली होती है। इसका मे अपने गुरु सांदीपन मुनि को उनका मृत पुत्र ला देने के लिये व्यवहार सुकुमार और मधुर वर्णन में होता है। किसी किसी समुद्र मे घुसे थे। कृष्ण ने पचजन को मारकर अपने गुरु के के मत से गौडी और वैदर्भी वृत्तियो के सम्मिश्रण को भी पुत्र को भी छुडाया था और उसका शख भी ले लिया था । पाचाली कहते हैं । ३ पाडवो की स्त्री द्रौपदी का एक नाम यौ०-पांचजन्यधर = कृष्ण का एक नाम । जो पचाल देश की राजकुमारी थी। ४ छोटी पीपल । ५. २ विष्णु के शख का नाम । ३ पुराणानुसार हारीत मुनि के इद्रजाल के छह भेदो मे से एक । ६ शास्त्र (को०)। ७ स्वर- वंश के दीर्घबुद्धि नामक ऋषि का एक नाम । ४ अग्नि । साधन की एक प्रणाली जो इस प्रकार है- ५ पुराणानुसार जवूद्वीप के एक भाग का नाम । प्रारोहो-सा रे सा रे ग, रे ग रे ग म, ग म ग म प, म प म प पाचदश-वि० [स० पाञ्चदश ] [ वि० सी० पांचदशी ] १. मास घ, प ध प ध नि, ध नि ध नि सा ।