पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/१२३

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बड़रा ३३६२ बड़ी बड़रा-वि० [ हि० बड़ा + रा ( प्रत्य० ) ] [वि० सी० बहरी] बड़वारी-वि० [हिं० यह + चार] दे० 'वड़ा' । उ०-सकल वरातिन बड़ा। 30-फेरि चली बहरी मंखियान ते छूटि बड़ी बड़ी वसन प्रारा। रह्यो जोन जस लघु बटवारा .-रघुराज पांसू की, वूदै। -रघुनाथ (शब्द०)। (शब्द०)। बड़राना-क्रि० स० [अनु॰] दे॰ 'बर्राना'। बड़वारी-संशा ग्पी० [हिं० यदवार + ई (प्रत्य॰)] १. बड़प्पन । बड़लाई-सज्ञा स्त्री० [हिं० राई ] राई नाम का पौधा या महत्व । २. बडाई। प्रशंसा। उसके बीज। बड़वाल-संशा पी० [ देशज ] हिमालय के उस पार को तगई की बड़वा'-संज्ञा स्त्री० [सं० बढवा ] १. घोड़ी। उ०-अस्मदान भेडो की एक जाति । जी नै फेरि वड़वा भी न दीना-शिखर०, पृ० ६७ । २. अश्विनी रूपधारिणी। सूर्य की पत्नी. संज्ञा । ३. मश्विनी बड़वासुत-जा पु० [ म० बढयासुत ] अश्विनीकुमार । नक्षत्र । ४. दासी । ५. नारी विशेष ।, ६. वासुदेव की एक बड़वाहृत-गा पु० [सं० बढवाहत ] स्मृति के अनुमार पंद्रह प्रकार परिचारिका । ७. एक नदी । ८. वड़वाग्नि । के दासों में से एक | वह जो किसी दासी से विवाह करके . दास हुमा हो । वह वाकन । बड़वार-पशा पु० [ देशज ] १. एक प्रकार का धान जो भादो के अंत में प्रोर कुमार के प्रारंभ में हो जाता है। वड़हंस-संशा पुं० [हिं० वडा + हंस ] एक राग जो मेघराग का पुत्र माना जाता है। बड़वाकृत-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स० बडवाकृत ] वह व्यक्ति जो दासी से विवाह करने के कारण दास बना हो [को॰] । विशेप-कुछ लोग इसे संकर राग मानते हैं जो रुद्राणी, जयंती, बड़वाग, बड़वागि-संशा स्त्री॰ [ म० पंडवाग्नि ] दे० 'वर्डवाग्नि'। मारू, दुर्गा पौर घनाश्री के मेल से बनता है । कही कही उ०-(क) सोहै फिर सामुद्र मैं ज्वालवती वड़वाग ।-रा० यह मधुमाघय, शुद्ध हम्मोर और नरनारायण के मेल से बना कहा गया है। रू०, पृ० ३१ । (ख) वै ठाढे उमदाहु उत, जल न वुझ बड़वागि । जाही सौ लाग्यौ हियो ताही के हिय लागि ।- वहंससारग-मंचा १० [हिं० ब्रहहस+ सारग | संपूर्ण जाति का विहारी (शब्द०)। एक राग जिसमे सब स्वर शुद्ध लगते हैं। वड़वाग्नि-संज्ञा पु० [ स० घढवाग्मि ] समुद्रग्नि । समुद्र के भीतर वहंसिका-40 ग्री० [ मं० वडहसिका ] एक रागिनी जो हनुमत् की प्राग या ताप। के मत से मेघराग की स्त्री दही गई है। विशेष-भूगर्भ के भीतर जो अग्नि है उसी का ताप कही कही बड़हन-संशा पु० [हिं० बड़+धान ] एक प्रकार का धान । समुद्र के जल को भी खोलाता है । कालिका पुराण में लिखा । उ०-कोरहन, बड़हन, जदहन मिला। भी ससार तिलक है कि काम को भस्म करने के लिये शिव ने जो क्रोधानल खंडविला ।—जायसी (शब्द॰) । उत्पन्न किया था उसे ब्रह्मा ने बहवा या घोडी के रूप में बड़हर -संज्ञा पुं० [हिं० ] दे० 'बडहल'। करके समुद्र के हवाले कर दिया जिसमें लोक की रक्षा रहे । वडहल-संज्ञा पुं० [हिं० बड़ा + फल ] एक बड़ा पेड़ मोर उसका पर वाल्मीकि रामायण में लिखा है कि बड़वाग्नि पौवं अपि का क्रोधरूपी तेज है जो कल्पांत में फैलकर संसार को भस्म विशेप-यह वृक्ष संयुक्त प्रदेश, पश्चिमी घाट, पूर्व बंगाल और कुमाऊँ की तराई में बहुत होता है। इसके पत्ते छह सात बड़वानल-सज्ञा पुं० [सं० बडवानल ] दे० 'बडवाग्नि' । पंगुल लये पोर पान छह अंगुल चौड़े पोर कर्कश होते हैं । बड़वानलचूर्ण-संज्ञा पुं० [सं० वडवानलचूर्ण ] बंधक में एक चूर्ण फूल बेसन की पकौड़ी के समान पीले पोले गोल गोल होते हैं। जिसके सेवन से अजीणं का नाश और क्षुधा को वृद्धि उनमें पंखड़ियां नहीं होती। फल पकने पर पीले मौरं छोटे शरीफे के बराबर पर बड़े वेडौल होते हैं। वे गोल गोल उभार बड़वानरल रस-सज्ञा पुं० [सं० बडवानल रस] १. वडवाग्नि । २. के कारण बट्टो से मिलकर बने मालूम होते हैं । खाने में खट. एक रसौषध जो कई धातुपों के भस्म के योग से बनती है । मीठे लगते हैं । पके गूदे का रंग पीलापन लिए लाल होता इसका मधु के साथ सेवन करने से मेद रोग जाता रहता है। है। इसके फूल पौर कच्चे फल प्रचार भौर तरकारी के बड़वामुख-संज्ञा पुं॰ [ सं० वडवामुत्र ] १. बड़वाग्नि । २. शिव का काम पाते हैं। बहल के होर की लकड़ी कड़ी मोर पीली मुख । ३. कूर्म के दक्षिण कुक्षि में स्थित एक जनपद । ४. होती है और नाव तथा सजावट के सामान बनाने के काम एक विशेष समुद्र । ५. एक रसौषष । की होती है। प्रासाम में इसकी छाल से दांत साफ करते विशेष-पारा, गंधक, तांबा, अभ्रक, सोहागा, कर्कच लवण, हैं । वैद्य लोग इसके फल को बहुत.बादी मानते हैं । जवाखार, सज्जीखार, सेंधा नमक, सोठ, अपामार्ग, पलाश, वड़हार-संज्ञा पुं० [हिं० वर+श्राहार] विवाह हो जाने के पीछे पौर वरुणक्षार सम भाग लेकर पौर अम्लवर्ग के रस में वार वर मौर बरातियों की ज्योनार । वार सौंदकर लघुपुट पाक द्वारा तैयार करे। इसके सेवन से वड़ा-वि० [सं० वृद्ध, प्रा० वड्ड, वड्डन या वड्र] [स्रो० बड़ी ] ज्वर सौर संग्रहणी रोग दूर होते हैं। १. खूब लंबा चौड़ा । अधिक विस्तार का । जिसका परिमाए - फल । करेगा। होती है।