पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/१४३

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वैनाति $448 धनावन जैसे,—आज यह लड़का, खूव बनाकर पीटा गया है। बनाए जामवंत कहें लपत भे पार जर्जरित बनाय !- रघुराज नहीं बनना = संवारे न संवरना। उ०-कुछ वनाए नही (शब्द०) । २. अच्छी तरह से । उ०-लाग्यो पुनि संवा बनी अबतक ।-तुभते०, पृ०२। बनाए रखना = जीवित फरन नृप संतन की प्राय | कनक थार सातहुन के घोए चरन रखना। जीता रहने देना। जैसे, ईश्वर पापको बनाए वनाय । -रघुनाथ (शब्द॰) । रखें । (पाशीर्वाद)। पनाय२-संशा पुं० [हिं० यनाव ] बनावट । शृंगार । उ०- २. किसी पदार्थ को काट छांटकर, गढ़कर, संवारफर, पकाकर घाई झूलन सबै व्रजवघु मथै एक बनाय की।-नंद०, ग्रं०, या और किसी प्रकार तैयार करना। ऐसे रूप में लाना १०३७५1 जिसमें वह व्यवहार में पा सके । रूप परिवर्तित करके बनार-संज्ञा पुं० [?] १. चाफसू नामक प्रोषधि का वृक्ष । २. काम में पाने लायक करना । जैसे, फलम बनाना, भोजन कासमद। काला कासौंदा। ३. एक प्राचीन राज्य जो वर्तमान बनाना, कुरता बनाना। ३.ठीक दशा या रूप में लाना । काशी की उत्तर सीमा पर घा। कहते हैं, 'बनारस' का जैसा होना चाहिए वैसा करना । जैसे,—प्रनाज बनाना, नाम इसी राज्य के नाम पर पढ़ा। हजामत बनाना, बाल बनाना (= कंधो से सारना), तरकारी बनाना (= छोल या काटकर ठोक करना या बनारस-संशा पुं० [स० वाराणसो ] काशी । वाराणसी। पफाना ) । ४. एक पदार्थ के रूप को बदलकर दूसरे पदार्थ बनारसी' -वि० [हिं० यनारस +ई (प्रत्य॰)] १. कायी संबंधी। तैयार करना । जैसे, गुड़ से चीनी बनाना, मक्खन से घी काशी का । जैसे, बनारसी दुरट्टा, बनारसी जरी। २. काशी- बनाना, । ५. दूसरे प्रकार का भाव या संबंध रखनेवाला कर निवासी । बनारस का रहनेवाला । देना। जैसे, दुशमन को दोस्त बनाना, सबंधी बनाना। ६. घनारसी-संज्ञा स्त्री० [सं० वाराणसी, प्रा. चागारसि ] दे० कोई विशेष पद, मर्यादा या शक्ति प्रदान करना । जैसे, 'वाराणसी'। उ०—जो गुरु बसे घनारमी सिथ्य समुदर सभापति बनाना, मैनेजर बनाना, तहसीलदार वनाना, नेता तीर । एक पलक विसर नही जो गुन होय सरीर। वीर बनाना । ७. अच्छी या उन्नत दशा मे पहुँचाना । जैसे- सा० भा० १,पु०२। उन्होने अपने पापको कुछ बना लिया। ८. उपाजित करना। वसूल करना । प्राप्त करना । जैसे,—उसने बहुत रुपया घनारी- सी० [सं० प्रणाली ] एक बालित लंबो मोर छह बनाया । ६. समाप्त करना। पूरा करना । जैसे,—प्रमी अंगुल चौड़ी लकड़ी जो कोल्हू की खुदी हुई कमर में कुछ तस्वीर नहीं बनाई। १०.प्राविष्कार करना । ईजाद करना। नीचे लगी रहती है और जिससे नीचे नाद में रस गिरता है। निकालना । जैसे,—उन्होंने एक नई तरह की बाइसिकिल बनाई है जो पानी पर भी चलती है और जमीन पर भी। घनाल, बनाला-पंश पुं० [हिं०] २० 'चंदाल'। ११. मरम्मत करना। दोष दूर करके ठीक करना । जैसे, बनाव'---ससा पुं० [हिं० घनना + घाब (प्रत्य॰)] १. वनावठ । घड़ी बनाना, वाइसिकिल बनाना। १२. मुखं ठहराना । रचना । २. श्रृंगार । सजावट। उपाहासास्पद करना । जैसे,-माज वहाँ सब लोगो ने यो ०-यनाव चुनाव, पनाप सिंगार = शृंगाररचना । साज मिलकर इन्हें खूब बनाया । करके सज्जा। सजना संवरना । उ०-माज तो ऐसा बनाव घनाफति+-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० वनस्पति, प्रा० वणफ्फइ ] दे॰ चुनाव प्राई हो कि बस कुछ न पूछो ।—फिसाना०, भा० ३, 'वनस्पति'। पृ० ३३४ । ३. तरकीब । युक्ति । तदबीर । उ०—जो नहिं बनाफर-संज्ञा पुं० [सं० वन्यफल ? ] क्षत्रियों की एक जाति । जाऊं रहइ पछितावा । करत विचार न बनइ बनावा । (पाल्हा ऊदल इसी जाति के क्षत्रिय थे ।) —तुलसी (शब्द०)। बनावत, बनावनत-शा पुं० [हिं० बनना+अवनना ] बनाव@+२-संशा पु० [हिं० पनना ] सनने या पटने की स्थिति । विवाह करने के विचार से किसी लड़के और लड़की की मेल । उ०-सखि मोरा तोरा वनेला बनाव बहुरि नहिं जन्मपत्रियों का मिलान । इसे बनतावनत' भी कहते हैं। प्राइव हे ।-संत० दरिया, पृ० १७०। क्रि०प्र०-बनना ।-मिलना। बनावट-संसा सी० हिं० पनाना+वट (प्रत्य॰)] १. बनने या बनाम-प्रव्य० [फा०] नाम पर । नाम से । किसी के प्रति । बनाने का भाव । रचना | गढ़न । जैसे,--इन दोनो कुरसियों विशेप- इस शब्द का प्रयोग बहुधा प्रदालती कारवाइयों में की वनावट में बहुत पंतर है। २. कारी दिखावा । आडंबर । वादी और प्रतिवादी के नार्मों के बीच में होता है। यह वादी जैसे,-जिन पादमियों में बनावट होती है वे शीघ्र ही लोगों के नाम के पीछे और प्रतिवादी के नाम के पहले रखा जाता की निगाह से गिर जाते हैं। है । जैसे, रामनाथ (वादी) बनाम हरदेव (प्रतिवादी)। बनावटी-वि० [हिं० पनावट ] बनाया हुमा । नकली। कृत्रिम । बनाय-क्रि० वि० [हिं• बनाकर (= अच्छी तरह)] १. बिल्कुल । जैसे, बनावटी हीरा। पूर्णतया । उ०-पवन सुवन लंकेश हू खोजत खोजत जाय । बनावन'-संज्ञा पुं० [हिं० धनाना ] कंकड़ियां, मिट्टी, छिलके पौर ..