पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/१६९

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३४०८ बलात्कार दायन वलसुम बलसुम-वि० [हिं० बालू + सम ] वलुपा । जिसमें बालू हो। भा० ४, पृ० २६ । बला से = कुछ परवा नहीं। कुछ चिंता नहीं। वलसूदन -संज्ञा पुं० [सं०] १. इंद्र। २. विष्णु । बलस्थ'–वि० [सं०] ताकतवर | मजबूत [को०] । बलाइ'-सज्ञा स्त्री० [हिं० बलाय ] दे० 'बलाय' । बलस्थ-संज्ञा पुं० सिपाही । सैनिक [को०] । मुहा०-बलाइ लेना = मंगल कामना के साथ प्यार करना। उ०-पोछन मुख अपुने अंचल सौं, पुनि पुनि लेत बलाइ।- बलहा -सज्ञा पुं० [सं० बलहन् ] १. इंद्र । २. बल का, सेना का नंद० प्र०, पृ० ३४८ । नाश करनेवाला । ३, श्लेष्मा । कफ । बलाइg२-वि० [ ? ] बलशाली। बली। खौफनाक । भयंकर । बलहीन-वि० [सं०] निर्बल । कमजोर । उ०-छुधाचीन बलहीन बलाय । उ०-च्यारि सहस मीना प्रवल बैठे आइ बलाइ।- रिपु सहजेहिं मिलिहहिं आइ-मानस, १११८१ । पृ० रा०,७:७८ । बलांगक-संज्ञा पुं॰ [ सं० वलाङ्गक ] बसंतकाल | वसंत ऋतु । बलाक-संज्ञा पु० [सं०] १. वक । बगला । २. एक राजा का बला'-सज्ञा स्त्री० [सं०] १. वरियारा नामक क्षुप । दे० 'बरियारा। नाम जो भागवत के अनुसार पुरु का पुत्र और जहनु का २. वैद्यक के अनुसार पौधों की एक जाति का नाम । पौत्र था। ३. जातुकर्ण मुनि के एक शिष्य का नाम । ४. विशेष-इसके अंतर्गत चार पौधे माने जाते हैं-(क) बला एक राक्षस का नाम । ५. शाकपूरिण ऋषि के एक शिष्य या बरियारा । (२) महाबला या सहदेवी (सहदेइया) । (३) का नाम। प्रतिवला या कॅगनी और (४) नागवला वा गँगेरन । ये चारों पौधे पौष्टिक माने जाते हैं और इन्हे 'बलाचतुष्टय' बलाका-संशा स्त्री० [सं०] १. बगली। २. कामुकी स्त्री। ३. बगलों की पक्ति । ४. गति के अनुसार नृत्य का एक भेद । भी कहते हैं। इन चारों पौधों में 'राजबला' का मिश्रण 'बलापंचक' नाम से अभिहित है। इनके बीज, जड आदि ५. प्रेमिका । प्रिया (को॰) । का प्रयोग भौषध में होता है । बलाकारी-वि० [हिं० ] दे० 'वलकारी'। उ०-कुण बलाकारी गर्वहारी प्रकलवारी गाजए।-राम. धर्म०, पृ. २८७ । ३. मंत्र वा विद्या का नाम जिससे युद्ध के समय योद्धा को भूख और प्यास नहीं लगती । ४. नाट्यशास्त्र के अनुसार बलाकाश्व-सज्ञा पुं० [सं०] १. हरिवंश के अनुसार एक राजा नाटकों में छोटी बहन का संबोधन । ५. दक्ष प्रजापति की का नाम जो पजक का पुत्र था। २. जहनु वंश का एक एक कन्या का नाम । ६. पृथ्वी । ७. लक्ष्मी। ८. जैनियों के राजा। ग्रंथानुसार एक देवी जो वर्तमान अवसर्पिणो में सत्रहवें महंत बलाकिका-संज्ञा स्त्री० [सं०] छोटी प्राकृति के बगलों की एक के उपदेशों का प्रचार करती है । ६. दे० 'वला' । जाति [को०] 1 बला-संज्ञा स्त्री० [अ०] १. भापतिमाफत । गजब । २. दुःख । बलाकी - संज्ञा पुं० [सं० वलाकिन् ] धृतराष्ट्र के एक पुत्र का कष्ट । ३. भूत । प्रेत । भूत प्रेत की वाधा। ४. रोग । व्याधि । जैसे,—इस बच्चे की सब बना तू ले जा। बलाको'-वि० जहाँ बहुत बगले हों । बलाकाओं से परिव्याप्त । मुहा०-बला का = गजब का। घोर । अत्यंत । बहुत बढा. वलागत-संज्ञा सी० [अ० बलागत ] प्रालंकारिक ढंग से बात करने चढ़ा । जैसे,—वला का बोलनेवाला है । (किसी की) वला की शैली । उ०-वले पक्ल सूपा में कुछ होर था। हुनर के ऐसा करे या करती है = ऐसा नहीं करता है या फरेगा। बलागत में बरजोर था :-दक्खिनी०, पृ० ८०। जैसे,—(क) मेरी बला जाय अर्थात् मैं नहीं जाऊँगा । (ख) बलान-संज्ञा पुं० [सं०] १. सेनापति । २. सेना का अगला भाग । उसको बला दुकान पर बैठे अर्थात् वह दुकान पर नही बैठता घलान-वि० बलशाली । बली। या बैठेगा । (ग) एक बार वह वहां हो पाया फिर उसकी बलाठ-सज्ञा पुं० [सं० वलाट ] मूग । बला जाती है अर्थात् फिर वह नहीं गया। बला टालना= बलाढय'-संञ्चा पुं० [सं०] माष । उड़द । उरद । प्रापत्तियाँ दूर करना । संक्ट हटाना। उ०-सब बला टाल देस के सिर की।-चुभते०, पृ० ४४ । बला पीछे लगना= बलाढ्य - वि० [सं०] बलवान । बलशाली । बलान । (१) तंग करनेवाले प्रादमी का साथ में होना । (२) बखेडा बलात्-क्रि० वि० [सं०] १. बलपूर्वक । जबरदस्ती। बल से। साथ होना। किसी ऐसी बात से संबंध या लगाव हो जाना २. हठात् । हठ से। जिससे तंग होना पड़े। झंझट या प्राफत का सामना होना । बलात्कार-सज्ञा पु० [सं०] १. किसी की इच्छा के विरुद्ध बलपूर्वक पला पीछे लगाना = (१) बखेड़ा साथ करना । तंग करने कोई काम करना । जबरदस्ती कोई काम करना। २. वाले पादमी को साथ में करना । (२) झंझट में डालना । अत्याचार | अन्याय । ३. किसी स्त्री के साथ उसकी इच्छा बखेड़े में फंसाना। बला लगाना = परेशानी में डालना। के विरुद्ध संभोग करना । ४. दे० 'बलात्कार दायन' (को॰) । उलझन में फसाना। उ०-परेशाँ हम हुए जुल्फ उनकी बलात्कार दायन-सज्ञा पुं० [ सं०] स्मृति के अनुसार ऋणी को उलझी। बला मेरे लगाई अपने सर की।-कविता को०, मार पीटकर रुपया चुकता कराना। नाम ।