पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/२१०

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बात ३४४४ वात यौ०-बातचीत। मुहा०-बातों बातों में बातत्रीत करते हुए। कथोपकथन के बीच में । जैसे,-बातों ही बातों मे वह बिगड़ खड़ा हुप्रा । ८. किसी के साथ कोई व्यवहार या संबंध स्थिर करने लिये परस्पर कथोपकथन । कोई मामला ते करने के लिये उसके संबंध में चर्चा । जैसे - (क) ब्याह की बात । (ख) इस मामले में मुझसे उनसे बात हो गई है। (ग) जिससे पहले वात हुई है उसी के साय सौदा वेचेंगे । यौ०-वातचीत । मुहा०-बात ठहरना=(१) व्याह ठीक होना। विवाह संबंध स्थिर होना । (२) किसी प्रकार का निश्चय होना । बात लगना-विवाह के संबंध मे प्रस्ताव आदि होना। बात लगाना=विवाह का प्रस्ताव करना । व्याह संबध स्थिर करने के लिये कही कहना सुनना । बात लाना=वर या कन्या पक्ष से विवाह का प्रस्ताव लाना । ६. फंसाने या धोखा देने के लिये कहे हुए शब्द या किए हुए व्यवहार । जैसे,—तुम उसकी बातो में न आना। मुहा०-बातों में श्राना या जाना=कथन या व्यवहार से धोखा खाना। १०. झूठ या बनावटी कथन । मिस । बहाना । जैसे,—यह सव तो उसकी बात है। ११. अपने भावी आचरण के संबंध में कहा हुआ वचन । प्रतिज्ञा । कौल । वादा । जैसे,-वह अपनी बात का पक्का है। मुहा०-बात का धनी, पक्का या पूरा प्रतिज्ञा का पालन करनेवाला । कौल का सच्चा। मुह से जो कहे वही करने- वाला । दृढप्रतिज्ञ । बात का कच्चा या हेठा=प्रतिज्ञा भंग करनेवाला । (अपनी) यात नक्की करना=दे० 'बात पक्की करना। बात पर न रहनेवालाप्रतिज्ञा भंग करनेवाला । कौल पूरा न करनेवाला । घात पक्की करना=(१) परस्पर स्थिर करना ऐसा ही । दृढ निश्चय करना। (२) प्रतिज्ञा या संकल्प पुष्ट करना । वचन देकर और वचन लेकर किसी विषय में कर्तव्य स्थिर करना । घात पक्की होना=(१) स्थिर होना कि ऐसा ही होगा। (२) प्रतिज्ञा या संकल्प का दृढ़ होना । बात पर पाना = अपने कहे हुए धचन के अनुसार ही काम करने के लिये उतारू होना । जैसा मैने कहा वैसा ही हो, ऐसा हठ या प्राग्रह करना । बात पर जाना=कथन या प्रतिज्ञा पर विश्वास करना। कहे का भरोसा करना । (अपनी ) वात रखना=वचन पूरा करना । प्रतिज्ञा का पालन करना । उ०-वेद विदित बहु धर्म चलाउब राखु हमारी बाता । -रघुराज (शब्द०)। घात हारना-प्रतिज्ञा करना। वादा करना। वचन देना। जैसे,-मैं बात हार चुका हूँ नहीं तो तुम्हीं को देता। १२. वचन का प्रमाण । साख । प्रतीति । विश्वास । जैसे,- जिसकी बात गई उसकी जात गई। मुहा०-(किसी की ) वास जाना=बात का प्रमाण न रहना । (लोगों को ) एतबार न रह जाना। बात खोना=साख विगाड़ना। ऐसा काम करना जिससे लोग एतबार करना छोड दें। बात बनना-साख रहना। विश्वास रहना। जैसे,-अभी बाजार में उनकी बात बनी है। बात हेठी होना-बात का प्रमाण था साख न रह जाना। वचन का विश्वास या प्रतिष्ठा उठ जाना | घात की कदर न रह जाना । १३. मानमर्यादा । छाप । प्रतिष्ठा । इज्जत | कदर । जैसे,-- अपनी बात अपने हाथ । उ०-सुनो राजा लंकपति, पाज तेरी वात अति, कोन सुरपति, धनपति, लोकपति है।- तुलसी (शब्द०)। मुहा०-पात खोना=प्रतिष्ठा नष्ट करना । इज्जत गवाना । ऐसा काम करना जिससे लोग प्रादर प्रतिष्ठा करना छोड़ दें। यात जाना=प्रतिष्ठा नष्ट होना । इज्जत न रह जाना। उ०-उचित यासु निग्रह अव भाई। नतरु बात जदुकुल को जाई ।-गोपाल ( शब्द०)। बात घनना-प्रतिष्ठा प्राप्त होना। इज्जत पैदा होना। रंग जमना | लोगो पर अच्छा प्रभाव होना । जैसे,-दस प्राद- मियो में उनकी बात बनी हुई है। (अपनी) घात बना लेना=लोगों में प्रतिष्ठा प्राप्त कर लेना। लोगों के बीच इज्जत पैदा करना । नाम या यश प्राप्त करना। घात बिगाड़ना=(१) प्रतिष्ठा न रहना । इज्जत न रहना । लोगों के बीच वैसा श्रादर या संमान न होना। (२) हैसियत विगड़ना । दिवाला निकलना। बात बिगाड़ना=प्रतिष्ठा नष्ट करना । इज्जत खोना । ऐसा काम करना जिससे साख या मर्यादा न रह जाय । वात रख लेना-प्रतिष्ठा नष्ट न होचे देना। इज्जत न बिगड़ने देना। बात रह जाना-मान मर्यादा रह जाना । इज्जत रह जाना । १४. अपनी हैसियत, योग्यता, गुण, सामर्थ्य आदि के संबंध में कथन या वाक्य । जैसे,—अब तो वह बहुत लंबी चौड़ी बातें करता है । १५. आदेश । उपदेश । सीख । नसीहत । जैसे,- बड़ों की बात माना करो। क्रि० प्र०-पर चलना -मानना । मुहा०-बात उठाना=बात न मानना । कथन या प्रादेश का पालन न करना । कहे अनुसार न चलना। १६. रहस्य । भेद । मर्म । गुप्त विषय । जैसे,—इसके भीतर कोई बात है। मुहा०-घात खुलना=गुप्त विषय प्रकट होना । छिपी व्यवस्था ज्ञात होना । छिपा मामला जाहिर होना। बात फूटना= गुप्त विषय का कई आदमियों पर प्रकट हो जाना। रहस्य प्रकाशित होना। १७. तारीफ की वात । प्रशंसा का विषय । जैसे,—उससे पहले पहुंचो तब तो वात । १८. उक्ति | चमत्कारपूर्ण फवन । १९. 'गूढ अर्थ । अभिप्राय । मानी। उ०-चतुरन को कहिए कहा वात बात में बात ।-(शब्द०)।