पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/२६३

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२५०२ प्रवज्ञा। २. विभीन वियाहुँत बिमान-संशा पुं० [सं० विमान ] १. अनादर । घिया-वि० [सं० द्वि ] दूसरा । अन्य । अपर । २. वायुयान । विया-सज्ञा पुं० [म. दि ] शत्रु । (दि०)। विमानी-वि० [सं० नि+मान] मानरहित । निरभिमान । उ० पियाजा-संज्ञा पुं० [हिं०] : 'व्याज' । विधि के समान हैं विमानी कृत राजहंस विविध विबुध युत वियाजू-वि० [सं० व्याज + a] (धन) जिराका ब्यान लिया जाय । मेरु सो प्रचल है ।-केशव (शब्द॰) । सूद पर दिया हुप्रा (रुपया)। बिमानुज-मजा सं० [स० विमान ] दे० 'विमान' । स०-सनमाने पियाड़ा-संशा पुं० [हिं० यिया+ (प्रत्य०) ] वह खेत जिसमें कपि भातु सब सादर साजु विमानु।-तुलसी म०, पृ.६० पहले बीज बोए जाते हैं और छोटे छोटे पोधे हो जाने पर विमासणि-मशा स्री० [ स० विमर्शिन् >विमर्शिनी ] विचारिका । वहाँ से उखाड़कर दूमरे सेत में रोपे जाते हैं । विमर्श करनेवाली। परीक्षिका । उ---आगे है मन खरी वियाधाg-Hश पुं० [सं० व्याध] 2. 'व्याधा' । बिमासणि लेखा मांग दे रे । काहे सोवै नीद भरी रे, कृत बियाधि-सा मी० [सं० व्याधि] ३. 'माधि'। विचार तेरे। दादू० वानी, पृ० ५३८ । बियान-पुं० [हिं० बियाना] १. प्रसव । बच्चा देने की क्रिया । बिमूढ़-पि. [ म० विमूढ ] ६० 'विमूढ़' । २. बच्चा देने का भाव । ०० च्यान'। विमोचना-कि० स० [ स० विमोचन ] १. मुक्त करना। छोड़ना । विशेष-यह शब्द विशेषकर पशुपों के लिये प्रयुका होता है। २. गिराना । टपकाना। पियाना -मि. मं० [ स० विजनन ] (पशुप्रों प्रादि का) बच्चा बिमोटा~मा पु० [रशा] वामी । वल्मीक । देना । जनना । पि० दे० 'च्याना'। बिमोटा-भशा पु० [देश॰] विमोरा । बाबी । बियापना+-क्रि० म० [सं० व्यापन] ३० व्यापना'। विमोहना-क्रि० स० [ स० विमोहन ] मोहित करना । लुभाना । मोहना। उ०—एक नयन कवि मुहमद गुनी । सोइ विमाहा यियापितल–२० [ म० च्यापित ] व्याप्त । फैला हुप्रा । २०- नि.स्वादी निलिप्त वियापित नि.नित अगुन सुस धामी । जेइ कवि सुनी ।---जायसी (शब्द०)। -कचीर० २०, भा० ४, पृ० २८ । बिमोहना-फि० अ० मोहित होना । प्रासक्त होना । उ०-सरवर बियावान-संज्ञा पुं० [फा०] ऐसा उजाह स्थान या जंगल जहाँ कोसों रूप विमोहा हिये हिलोरहि लेइ । पवि छुवै मनु पावौ एहि तक पानी न मिले। मिसि लहरहि देह । -जायसी (शब्द०)। वियायानी-वि० [फ़ा पियाथान + ई (प्रत्य॰)] जंगल संबंधी । विमोटा-सज्ञा पु० [देश.] बांधी। बिमौरा-मश पु० [सं० वल्मीक ] टीले के प्राकार का दीमक के वियारा-पंा पुं० [देश॰] दे० 'ययार' । ३०-चंदन चौकी पै बैठनों रहने का स्थान | वल्मीक । वामी। प्रौउ चरन ढोरू बियार ।-पोद्दार पमि० ग्रं, षिय-वि० [ स० दि, प्रा. वि ] १. दो । युग्म । २. दूसरा। पृ०८७७1 द्वितीय। वियारी-संशा पी० [सं० पि+भद् (= भोजन करना) ] रात का विय-सशा पु० [सं० चीज, प्रा०वीय ] दे० 'श्रीज'। भोजन। विशेष-२० 'व्यातू । वियत-सज्ञा पु० [स० वियत् अाकाश । उ०---जई जहँ जेहि दियारू' -संज्ञा पुं० [देश॰] दे॰ 'बयार' । वायु । जोनि जनम महि पताल बियत । -तुलसी (शब्द०)। घियारू–संग सी० [वि + अद् ] वियालू । व्याल । वियर-सज्ञा ली० [अं०] जो की बनी हुई एक प्रकार की हलकी मियाल यु-संज्ञा पुं० [सं० व्याल, प्रा० वियाल] दे० 'ध्याल' । अंग्रेजी शराब जो प्रायः स्त्रियां पीती हैं । चियालू +-संज्ञा स्त्री० [वि+अद् ] रात का भोजन । विशेष- चियरसा-शा पु० [देश॰] एक प्रकार का बहुत ऊँचा वृक्ष जो पहाड़ों दे० 'व्याल'। मे ३००० फुट की ऊंचाई तक होता है । बियाह-संश पुं० [ प्रा० बियाह'] दे० 'विवाह'। विशेष - इसकी लकड़ी कुछ लाली लिए काले रंग की, बहुत घियाहचार-शा पुं० [हिं० बियाह + चार ] विवाह का मजबूत और कडी होती है और बड़ी कठिनता से कटती प्राचार | विवाह की रस्म । उ०-लाग वियाहचार सब है। लकड़ी प्रायः इमारत और मेज, कुर्सी पादि बनाने के होई।-जायसी ग्रं, पृ० १२६ । काम मे पाती है। इसमे एक प्रकार के सुगधित फूल लगते बियाहता-वि० स्त्री० [सं० विवाहित ] जिसके साथ विवाह हुमा हैं और गोंद भी होती है जो कई काम में पाती है। हो । जिसके साथ नियमानुसार पाणिग्रहण हुमा हो। बियहुता-वि० [सं० विवाहित ] [ स्त्री० वियहुती ] जिसके साथ बियाहुत-वि० [हिं० बियाह + उत] विवाह संबंधी । वैवाहिक । विवाह हुमा हो जिसके साथ शादी हुई हो । विवाहित । विवाह का। उ०-बाजे लाग वियाहुत बाजा।-इंद्रा०, विया'-सज्ञा पु० [देश०] दे॰ 'बीज'।' पृ० १६५। जंगली।