पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/२७१

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विलोना ३२१० बिल्ली विलोना (घी निकालने के लिये )। उ०-ज्यू मही पिल्ला-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं० पटल, हिं० पल्ला, बल्ला] चपरास की तरह विलोए माखण पावै । त्यू मन मथियो तें तत पावै । की पीतल की पतली पट्टो जिसे पहचान के लिये विशेष विशेष -सतवानी०, भा०२, पृ०१८ । २. ढालना। गिराना। प्रकार के काम करनेवाले (जैसे, चपरासी, कुली, लेसंसदार, उ.-तुलसी मदोवै रोइ रोइ कै बिलोवै आँसु बार बार खोचेवाले) वाह पर या गले में पहनते हैं । वंज । कह्यो मैं पुकारि दाढ़ीजार सो।-तुलसी (शब्द०) । बिल्लान-क्रि० प्र० [हिं० पिललाना] दे॰ 'विललाना' । उ०- बिलोना-सज्ञा पु० [हिं० विलोना ] वह वस्तु जो बिलोकर (क) पावन पावन होय रह्यो रे, नहिं प्रावन की बात । निकाली जाय । नवनीत । मक्खन । उ०—सत के बिलोना मीरा ब्याकुल बिरहनी रे, बाल ज्यो बिल्लात ।-सतवानी०, बिलोय मोर माई। ऐसा विलोय जामे तत्च न जाई । भा० २, पृ०७०। (ख) हथनियाँ पास चिल्लाती थी, वे -कबीर (शब्द०)। विवश विकल बिल्लाती थी।-साकेत, पृ० १५६ । बिलोना३-वि० [हिं०] 'बिलोन' । विल्ली-संज्ञा स्त्री० [सं० बिडाल, हिं० विलार ] केवल पंजो के बल बिलोपित-वि० [स० विलुप्त ] गायव | अंतर्धान । उ०-तव जिंदा चलनेवाले पूरा तलवा जमीन पर न रखनेवाले मांसाहारी बाबा मथुरा नगर से विलोपित हो गए।-कबीर मं०, पशुनों मे से एक जो सिंह, व्याघ्र प्रादि की जाति का है और अपनी जाति में सबसे छोटा है । विल्ली नाम इस पशु की पृ०४६७। विलोरनाल-क्रि० स० [ स० विलोडन] १. दे० 'विलोडना' । १. मादा का है पर यही अधिक प्रसिद्ध है। इसका प्रधान भक्ष्य चूहा है। छिन्न भिन्न कर डालना। अस्त व्यस्त कर डालना। उ०- घोरि डारी केसरि सुबेसरि बिलोरि डारी बोरि डारी चुनरि विशेष-इसकी लवाई एक हाथ से कम होती है और पूछ डेढ़ घुवाति रग रैनी ज्यो।-पद्माकर (शब्द०) । दो वालिश्त की होती है। दिल्ली की जाति के पौर पशुपो के जो लक्षण हैं, व सब विल्ली मे भी होते है-जैसे टेढ़े पैने बिलोल-वि० [सं० विलोल ] चचल । चपल । उ०-लवित सोभए नख जो गद्दी के भीतर छिपे रहते हैं पोर आक्रमण के समय हार बिलोल, मुदित मनोभय खेल हिडोल ।-विद्यापति, निकलते हैं; परदे के कारण मांख की पुतली का घटना पृ० ३४०,। बढ़ना; सिर की बनावट नीचे की ओर झुकती हुई; २८ बिलोलना-क्रि० सं० [सं० विलोलन ] डोलना | हिलना । उ० या ३० दांतो मे केवल नाम मात्र के लिये एक चौभर होना; डोलति अडोल मन खोलति न बोलति कलोलति बिलोलति विना माहट दिए चलकर शिकार पर झपटना, इत्यादि, न तोलति प्रसति सी।-देव (शब्द०)। इत्यादि । कुत्तो आदि के समान बिल्ली की नाक में भी विलोवना@+-क्रि० स० [सं० विलोढन, प्रा. विलोश्रण घ्राणग्राही चमं कुछ ऊपर होता है। इससे वह पदार्थों को "बिलोना' । उ०—(क) तब प्रेमलता जाइ के देखें तो श्री बहुत दूर से संघ लेती है जसोदा जी दही चिलोवति है।-दो सो बावन०, भा० १, भारतवर्ष में बिल्ली के दो भेद किए जाते हैं, एक बनविलाव पृ० १०८। और दूसरा पालतू बिल्ली । वास्तव मे दोनो प्रकार की बिलौका-सञ्ज्ञा पु० [ स० ] दे० 'विलौका' । बिल्लियां बस्ती में या उसके आसपास ही पाई जाती हैं। बिलौटा:-सज्ञा पुं० [हिं० बिल्ली+ौटा (प्रत्य॰)] विल्ली बनबिलाव का रंग स्वाभाविक भूरा, कुछ चित्तीदार होता है पौर वह पालतू से क्रूर और बलिष्ठ होता है । पालतू बिल्लियां बिलौर-सञ्ज्ञा पु० [ फ़ा० विलौर ] दे० 'बिल्लौर' । सफेद, काली, बादामी, चितकवरी कई रंग की होती हैं । विलौरा-संज्ञा पुं० [हिं० विल्ली या विलाई+ौरा (प्रत्य॰)] विल्ली उनके रोएं भी मुलायम होते हैं । पालतू विल्लियों मे अगोरा का बच्चा। या पारसा बिल्ली बहुत अच्छी समझो जाती है । वह दोल में बिलौरी-वि० [फा० बिलौर + ई (प्रत्य० 'बिल्लौरी' । उ०-तामें भी बड़ी होती है और उसके रोएँ भी घने, बड़े बड़े और धारा तीन बीच में सहर बिलोरी ।-पलटु, बानो, पृ० ७। मुलायम होते हैं। ऐसी बिल्लियां प्रायः काबुली अपने साथ बिल्कला-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स० ] यात्रार्थ निकलती हुई औरत [को०] । बेचने के लिये लाते हैं । बिल्ली बहुत दिनो से मनुष्यों के बीच बिल्कुल-क्रि० वि० [हिं० ] दे॰ 'विलकुल' । रहती पाई है। रामायण, मनुस्मृति, अष्टाध्यायी सवमें बिल्ली का उल्लेख मिलता है। मनुस्मृति में बिल्ली का जूठा खाने का बिल्मुक्ता-वि० [अ०] जो घट बढ़ न सके । जैसे, लगान विल्मुक्ता । निषेध है । बिल्ली पहले पहल कहाँ पाली गई, इसके संबंध मे विल्मुक्ता--संज्ञा पुं० १. वह पट्टा जिसकी शर्तों के अनुसार लगान कुछ लोगो का अनुमान है कि पहले पहल प्राचीन मिस्रवालो ने घटाया बढ़ाया न जा सके। बिल्ली पाली क्योकि मिस्र में जिस प्रकार मनुष्यो की मोमियाई बिल्ल-संज्ञा पुं० [स०] १. गड्ढा। गड़हा । २. वृक्षादि का थाला । लाशें मिलती हैं, उसी प्रकार बिल्ली की भी। मिस्रवाले जिस घालवाल । ३. हीग [को०] । प्रकार मनुष्यों के शव मसाले से सुरक्षित रखते थे उसी प्रकार घिल्ला'-सज्ञा पुं० [सं० विदाल, हिं० विल्ली ( का वाचक ) ] पालतू जानवरों के भी। पश्चिम के तथा अन्य अनेक देशों [ श्री बिल्ली ] मार्जार । दे० 'विल्ली' । में इनको पालतू जानवर के रूप में भी रखा जाता है। ] का वच्चा।