पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/२९६

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बुनना । यह न तो सूर्य से कभी बहुत पहले उदय होता है और न बुधसुत-संज्ञा पुं० [सं०] बुध का सुत । दुध का पुत्र । कभी उसके बहुत बाद अस्त होता है। इसमें स्वयं अपना पुरूरवा [को०] । फोई प्रकाश नही है और यह केवल सूर्य के प्रकाश के वुधा-संज्ञा स्त्री० [सं० जटामासी [को॰] । प्रतिबिंब से ही चमकता है। यह प्राकार में पृथ्वी का प्रायः बुधान'-संज्ञा पुं० [सं०] बुद्धिमान् व्यक्ति । ज्ञानी संत । २. १८ वा अंश है। प्राचार्य । उपदेष्टा। २. भारतीय ज्योतिष श स्त्र के अनुसार नौ ग्रहों में से चौथा ग्रह बुधान-वि० १. जानकार। विज्ञ । ज्ञानी। २. वेदशिक्षक । ३. जो पुगणानुसार देवतामों के गुरु वृहस्पति को स्त्री तारा जगा हुा । जागरित । ४. नम्रभाषी । मृदुभाषी [को०] । के गर्भ से चंद्रमा के वीर्य से उत्पन्न हुप्रा था। बुधि -संज्ञा स्त्री॰ [सं० वुद्धि ] दे॰ 'वृद्धि' । उ०-सूकर स्वान विशेप-कहते हैं. चंद्रमा एक बार तारा को हरण कर ले वृषभ खर की बुधि सोइ अोहिको पावै ।-जग० श०, गया था । ब्रह्मा तथा दूसरे देवतानों के बहुत समझाने पर भी भा०२, पृ०६०। जब चंद्रमा ने तारा को नही लौटाया तब वृहस्पति और चंद्रमा में युद्ध हुआ। बाद में ब्रह्मा ने बीच में पड़कर बुधित-वि० [ सं० ] जाना हुा । सपझा हुआ [को॰] । वृहस्पति को तारा दिलवा दी। पर उस समय तक तारा बुधिल-वि० [सं०] बुद्धिमान् । शिक्षित । विज्ञ (को॰] । चंद्रमा से गर्भवती हो चुकी थी। वृहस्पति के बिगड़ने पर बुधिवान-वि० [हिं० युधि + वान (प्रत्य॰) ] बुद्धिमान् । तारा ने तुरंत प्रसव कर दिया जिससे बुध की उत्पत्ति हुई । उ०- सोइ धूप अखंड विरानत है, बुधिवान सोई नर इसके अतिरिक्त काशीखंड तथा दूसरे अनेक पुगणों में भी श्रूप को गावत है।-नट० पृ० १२ । बुध के संबंध की कई कथाएं हैं। यह नपुंसक, शूद. अथर्ववेद बुध्न-संज्ञा पुं॰ [सं०] १. सतह । बुनियाद । अाधार । किसी वस्तु का ज्ञाता, रजोगुणी, मगध देश का अधिपति, वालस्वभाव, का अतिम हिस्सा । जैसे, वृक्ष की जड़ । २. प्राकाश | ३. धनु के आकार का पौर दूर्वाश्याम वर्ण का माना जाता है । शरीर । ४. शिव का एक रूप । (प्रायः 'अहि' के साथ रवि और शुक्र इसके मित्र और चंद्रमा इसका शत्रु माना 'बुध्न्य' रूप में भी प्रयुक्त)। ५. दस्ता । मुठिया [को॰] । जाता है । किसी किसी का मत है कि इसने वैवस्वत मनु की कन्या इला से विवाह किया था जिसके गर्भ से पुरूरवा का बुध्य-वि० [सं०] बोध के योग्य । जानने लायक [को०] । जन्म हुमा था। यह भी कहा जाता है कि ऋग्वेद के मंत्रों बुनकर-संज्ञा पुं० [सं० चयन + कर ] वस्त्र बुननेवाला । जुलाहा । का एसी ने प्रकाण किया था। उ.-और बुनकरों का मुहल्ला (ठान ) था ।-हिंदु० ३. पंडित, विद्वान्, शास्त्रज्ञ । सभ्यता, पृ०२६६ । ४. अग्निपुराण के अनुसार एफ सूर्यवंशी राजा का नाम । ५. चुनना-क्रि० स० [सं० वयन] १ जुलाहों की वह क्रिया जिससे भागवत के अनुसार वेगवान् राजा के पुत्र का नाम जो वे सूतों या तारों की सहायता से कपड़ा तैयार करते हैं । तृणविंदु का पिता था । ६. देवता । ७. कुचा। बिनना । उ० -हम बात कहै को प्रयोजन का बुनिबे मैं न बुध-संज्ञा पुं० [सं० बोध ] ज्ञान । बोध । समझ । उ०- बीन बजाइदै मैं ।-ठाकुर०, पृ० १५ । (क) बुध का कोट सबल नाहीं टूटे । नाते मनसा कीस विशेष-इस क्रिया में पहले करगह में लंबाई के बल बहत से सूत वीध लूटे । -रामानंद०, पृ. ३२। (ख) मजब लोग प्रो वराबर वरावर फैलाए जाते हैं, जिसे ताना कहते हैं। इसमें कोई हैं बुध के फम । जो इंसान देते हैं लेकर दिरम ।- करगह की राछों की सहायता से ऐसी व्यवस्था कर दी जाती दक्खिनी० पृ० १५१ । है कि सम संख्यानों पर पड़नेवाले सून पावश्यकता पड़ने वुधजन-संज्ञा पुं० [सं०] बुद्धिमान एवं पंडित । शिक्षित जन [को०)। पर विषम संख्यानों पर पड़नेवाले सूतों से अलग करके ऊपर उठाए या नीचे गिराए जा सकें। अब ताने के इन बुधजामी- संज्ञा पु० [सं० बुध+हिं० जन्मना (= उत्पन्न होना)] सूनों में से प्राधे सूनों को कुछ ऊपर उठाते और प्राधे को बुध के पिता, चंदमा। कुछ नीचे गिराते हैं । और तब दोनों के बीच में से होकर बुधरत्न-पंज्ञा पु० [सं०] बुध ग्रह का रत्न । पन्ना । पुखराज (को०) । ढरकी, जिसकी नरी में बाने का सून लपेटा हुआ होता है, बुधवान@ -वि॰ [हिं० बुध+वान ] दे० 'बुद्धिमान' । उ७- एक अोर से दूसरी पोर को जाती है, जिससे बाने का सून बुल्लि सुजान करेय दीवानह । फाइथ सब लायक बुधवानह । तानेवाले सूतो में पड़ जाता है। इसके उपरांत फिर ताने -प० रासो,-1 पृ०२०। के सूतों में से ऊपरवाले सूनों को नीचे और नीचेवाले सुतों बुधवार-संज्ञा पु० [सं०] सात वारों में से एक बार जो बुध ग्रह को ऊपर करके दोनों के बीच से उसी प्रकार बाने के सूत को का माना जाता है। यह मंगलवार के बाद और बृहस्पतिवार फिर पीछे की ओर ले जाते हैं। इसी प्रकार बार वार करने से पहले पडता है। रविवार से चौथा दिन । से तानो के सूतों में वाने के सूत पड़ते जाते हैं जिनसे बुधवासर-संज्ञा पुं० [स०] बुध का दिन । अंत में कपड़ा तैयार हो जाता है। ताने के सूतों में उक्त -