पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/३२९

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- रुपए बैठे। बैठनि बैठना, कारबार बैठना, इत्यादि । ५. तौल में ठहरना अडाना या टिकाना । जैसे, पेंच बैठाना, मूर्ति बैठाना, या परता पडना । जैसे,-(क) दस मन गेहूँ का नो मन चूल्हे पर बटलोई बैठाना, अंगूठी मे नग बैठाना । बैठा । (ख) रुपए का सेर गर धो बैठता है । मुहा०-नस बैठाना = हटी हुई नस मलकर ठोक जगह पर संयो॰ क्रि०-जाना । लाना । मोच दूर करना। हाय या पैर बैठाना = ग्राघात या ९. लागत लगना। खर्च होना। जैसे,-घोड़े की खरीद में सौ चोट के कारण जोड़ पर से उखड़ा हुप्रा हाथ या पैर ठीक १०. गुड का बह जाना या पिघल जाना। करना । बैठा भात = वह भात जो चावल और पानी एक ११. चावल पकाने मे गीला हो जाना । १२. क्षिप्त साथ भाग पर रखने से पके । वस्तु का निर्दिष्ट स्थान पर पहुँचना । फेंकी या चलाई ५. किसी काम को बार बार करके हाथ को अभ्यस्त करना । हुई चीज का ठीक जगह पर जा रहना । लक्ष्य पर मांजना । जैसे, लिखकर हाथ वैठाना । ६. पानी आदि पडना। निशाने पर लगना । जैसे,—गोली वैठना, डंदा मे घुली वस्तु को तल में ले जाकर जमाना । जैसे,—यह दवा बैठना १३. घोड़े प्रादि पर सवार होना । जैसे, घोडे सब मैल नीचे बैठा देगी। ७. धंसाना या डुवाना । नीचे की पर बैठना, हाथी पर बैठना । १४. पौधे का जमीन में गाड़ा ओर ले जाना । जैसे,—इतना भारी बोझ दीवार बैठा देगा। जाना । लगना । जैसे, जडहन वैठना । १५. किसी पद पर ८. सूजा या उभरा हुमा न रहने देना। दवाकर बरावर या स्थित होना या नियत होना । जमना । जैसे, जब तुम उस गहरा करना । पचकाना या घसाना । जैसे,—यह दवा गिल्टी पद पर एक बार वैठ जानोगे, तब फिर जल्दी नही हटाए को बैठा देगी। ६. (कारवार) चलता न रहने देना। जा सकोगे। १६. एक स्थान पर स्थिर होकर रहना। बिगाड़ना। १०. फेंक या पलाकर कोई चीज ठीक जगह जगना। १७. (किसी वस्तु मे) समाना । अंटना । भाना। पर पहुंचाना । क्षिप्त वस्तु को निर्दिष्ट स्थान पर डालना। १८. किसी स्त्री का किसी पुरुष के यहां पत्नी के समान लक्ष्य पर जमाना । जैसे, निशाना बैठाना, डंडा बैठाना । रहना । घर में रहना । जैसे,—वह स्त्री एक सोनार के घर ११. घोड़े प्रादि पर सवार कराना। १२. पौधे को पालने बैठ गई। १६. पक्षियों का अंडे सेना । जैसे, मुर्गी का के लिये जमीन में गाडना । लगाना । जमाना । जैसे, बैठना । २०. जोडा खाना । भोग करना । (बाजारू) । २१. जबहन बैठाना । १३. किसी स्त्री को पत्नी के रूप में रख बेकाम रहना। काम छोडकर खाली रहना। निरुद्योग लेना । घर में डालना। १४. काम धंधे के योग्य न रखना। रहना । निठल्ला रहना । बेरोजगार रहना । जैसे,—वह बेकाम कर देना । जैसे,-रोग ने उसे वैठा दिया । आज ६ महीने से बैठा है; कैसे खर्च चले ? २२. अस्त होना। बैठारना-कि० स० [हिं० बैठाना ] दे० 'बैठाना' । उ०—(क) जैसे, सूर्य का बैठना, दिन बैठना । सादर चरन सरोज पखारे । प्रति पुनीत पासन बैठारे।- वैठनि. -सज्ञा स्त्री॰ [हिं० बैठना ] दे० 'बैठना' । तुलसी (शब्द०)। (व) रत्न खचित सिंहासन धारयो । बैठनी-सा स्त्री० [हिं० बैठन ] करघे मे वह स्थान जहाँ तेहि पर कृष्णहि ले बैठारयो ।-सूर (शब्द०)। जुलाहे कपड़ा बुनते समय बैठते हैं । बैठालना-क्रि० स० [हिं०] ३० 'वैठाना' । उ०-बैठाला ज्योतिर्मुख बैठवा-वि० [हिं० वैठना ] बैठा या दवा हुा । जो उठा हुषा कर खोली छवि तमसोम हर कर ।-प्रचंना, पृ० ३८ । न हो। चिपटा । जैसे, बैठा जूता । बैडाल-वि० [सं० विडाल >वैढाल ] [ वि० स्त्री० बैढालो ] विल्ली वैठवाई है-राज्ञा स्त्री॰ [हिं० वैठना ] बैठाने की मजदूरी। बैठचाना-सज्ञा स० [हिं० बैठाना का प्र० रूप] १. बैठाने का वैडालव्रत-संज्ञा पुं० [सं०] [वि० बैढालन तक, बैढालवती ] बिल्ली के समान अपने घात में रहना और कार से बहुत काम दूसरे से कराना । २. पेड़ पौधे लगवाना । रोपाना । सीधा सादा बना रहना। बैठा-सज्ञा पु० [हिं० वैठना] चमचा या बड़ी करछी । (लश०)। बैडालबतिक-वि० [स०] दे० 'वैडालवती' (को०] । वैठाना-क्रि० स० [हिं० वैठना ] १. स्थित करना । प्रासीन चैहालवती-वि० [स० बैडालनतिन् ] बिल्ली के समान ऊपर से करना । उपविष्ट करना । खड़ा न रखकर कुछ विश्राम सीधा सादा, पर समय पर घात करनेवाला । कपटी । की स्थिति में करना । चढ़ना-क्रि० स० [हिं० वादा, बेदा ] बंद करना। वेढ़ना । संयो.क्रि०-देना।-लेना । (पशुपो को)। २. वैठने के लिये कहना । आसन पर विराजने को फहना । जैसे, बैण-संज्ञा पुं० [सं०] बांस को काटकर उसी से जीविका करने- लोग तुम्हारे यहाँ पाए है; उन्हे प्रादर से ले जाकर बैठायो । वाला । बांस का काम करनेवाला। ३. पद पर स्थापित करना । प्रतिष्ठित करना । नियत करना। वैत-सज्ञा स्त्री० [अ० ] पद्य । श्लोक । शेर। उ०-दरव न जसे,-किसी मूखं को वहाँ बैठा देने से काम न चलेगा। जान पीर' कहावै । बैता पदि पढ़ि जग समुझावै ।-कबीर ४. नियत स्थान पर ठोक ठीक ठहराना । ठीक जमाना । बी० (शिशु०), पृ० १८५। संबधी।