पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/३३८

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बोलना बोलो . मुहा०-बोल जाना=(१) मर जाना । संसार में न रह जाना। बोलबाला-ज्ञा पुं० [अ० घोल+फा० पाला (=ऊंचा) १. एक (अशिष्ट)। (२) निःशेष हो जाना। वाकी न रह जाना। बहुत ऊँचा सदावहार पेड़ जिसकी लकड़ी बहुत मजबूत और चुक जाना । जैसे,—अब मिठाई बोल गई; और मंगानो। भीतर ललाई लिए होती है। मकान में लगाने के लिये यह (३) पुराना या जीर्ण होना। और व्यवहार के योग्य न बहुत अच्छी होती है। २. (प्रसिद्धि का ) चरम उत्कर्ष रह जाना | टूट फूट जाना | घिस जाना या फट जाना । पर होना। जैसे,—तुम्हारा जूता चार ही महीने में बोल गया ।, (४) बोलवाना-क्रि० स० [हिं० बोलना का प्रे० रूप०] १. उच्चारण । हार मान लेना। हैरान होकर पोर मागे किसी काम में कराना । जैसे,—पहाड़े वोलवाना । २. दे० 'बुलवाना' । लगे रहने का बल या साहस न रखना । जैसे,—इतनी ही दूर बोलशेविक-मंज्ञा पु० [रूसी>अं०] रुसी कम्युनिस्ट पार्टी में में बोल गए, और दौड़ो। (५) सिटपिटा जाना । स्तब्ध हो मजदूरों और श्रमिकों के हितो और अधिकारों का समर्थक जाना । (६) दिवाला निकाल देना । खुख हो जाना। बहुसंख्यक दल । २. किसी वस्तु का शब्द उत्पन्न करना । किसी चीज का प्रावाज विशेष-अल्पमत दल को 'मनशेविक कहा जाता है । निकालना । जैसे,- (क) घंटा बोलना । (ख) यह जूता चलने में बहुत बोलता है। यौ-बोलशेविक क्रांति = वह संघर्षात्मक विप्लव, गदर या उलट फेर जो रूम में रूसी कम्युनिस्ट पार्टी ने जारशाही बोलना'-क्रि० प्र० [सं०/'>चूयते' से 'वूर्यते'. प्रा० वुत्लई ] के खिलाफ.बोलशे विज्म को आधार बनाकर किया था। १. मुह से शब्द निकालना । मुख से शब्द उच्चारण करना । घोलशेविज्म-संज्ञा पु० [ हसी>अं० घोलशेविषम ] वह सिद्धांत या जैसे, आदमियों का बोलना, चिड़ियो का बोलना, मेढक या मत जो श्रमिक वर्ग के हितों और अधिकारों को प्रमुख का बोलना, इत्यादि । मानता हो तथा उन्हीं के शासन या हुकूमत का समर्थक हो । पोलना-क्रि० स० १. कुछ बहना । कथन करना । वचन उच्चारण घोलसरी-संज्ञा पुं० [सं० बकुलश्री, हिं० मौलसिरी ] मौलसिरी। करना । जैसे, कोई बात वोलना, वचन बोलना । उ०-कोइ सो बोलसर, पुहुप बकोरी। कोई रूपमंजरी संयोकि०-देना।-जाना । गोरी ।-जायसी (शब्द॰) । मुहा०-बोल उठना एकाएक कुछ कहने लगना । सहसा कोई बोलसरी-संज्ञा पुं० [?] एक प्रकार का घोड़ा । उ०-किरमिज वचन निकाल देना। 'चुप न रहा जाना । जैसे,—हम लोग नुकरा जरदे भले । रूपकरान बोलसर चले ।-जायसी तो बात कर ही रहे थे, बीच में तुम क्यों बोल उठे। (शब्द०)। २. प्राज्ञा देकर कोई बात स्थिर करना। ठहराना । वदना । वोलसिरी -संज्ञा स्त्री० [सं० पकुलश्री ] दे० 'मौलसिरी' । जैसे,—(क) कुच बोलना, पड़ाव बोलना, मुकाम बोलना । बोलांश-संज्ञा पुं० [हिं० घोला + अंश ] वह अंश या भाग जो (ख) साहब ने आज खजाने पर नौकरी बोली है। ३. उत्तर किसी का कह दिया गया हो । में कुछ कहना । उत्तर देना। ४. रोक टोक करना । जैसे,- इस रास्ते पर चले जाओ, कोई नहीं बोलेगा। ५. छेड़छाड़ बोलाचाली-संज्ञा स्त्री० [हिं० बोलना + अनु० चालना ] बातचीत करना । सताना । दुःख देना । जैसे,—तुम डरो मत, यहां कोई या पालाप का व्यवहार । जैसे,—तुम्हारी उनकी बोलाचाली बोल नहीं सकता। ६.@+ किसी का नाम प्रादि लेकर क्यों बंद हो गई? इसलिये चिल्लाना, जिससे वह सुनकर पास चला आवे । बोलाना-क्रि० स० [हिं० बुलाना-] दे० 'बुलाना' । अावाज देना। बुलाना । पुकारना । उ०-ग्वालसखा ऊचे योलारी-संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] एक रस्म । बोलावा । 30-दादू जी चढ़ि बोलत बार बार ले नाम -सूर (पाव्द०)। ही फो सब शुभ और अशुभ कार्यों (विवाह, जन्म, जडूल, संयोकि०-लेना। जात, बोलारी) में मानते और स्मरण करते हैं। -सुदर ७.gf पाने के लिये कहना या कहलाना। पास पाने के लिये ग्रं० ( जी०), भा० १, पृ०८। कहना या संदेसा भेजना । २०-केसव वेगि चलो, बलि, बोलावा--संज्ञा स्त्री० [हिं० बुलाना ] ' कहीं पाने के लिये भेजा हुआ बोलति दीन भई वृषभानु की रानी। केशव (शब्द०)। सदेस या न्योता। निमंत्रण या माह्वान | 30-पिंगल बोलावा दिया सोहड़ सो प्रसवार ।-ढोला०, दू० ५७६ । मुहा०-योलि पठाना = बुला भेजना। उ०-नाम करन कर अवसर जानी। भूप वोलि पठए मुनि ज्ञानी ।-तुलसी कि.प्र-याना ।-जाना।-भेजना। (शब्द०)। 'बोलिकी-संशा सी० [हिं० घोल ] अोझा। मंत्र पढ़नेवाला । बोलनि-संज्ञा सी० [हिं० योल ] बोलने की स्थिति या किया। उ०-सखी कहै कह बोलिकिहि पानी। एक मंत्र अरु हाहू बोल । उ०-पायो बसंत रसाल प्रफुल्लित कोकिल बोलनि जानी।-नंद० प्र०, पृ० १३८ । श्रीन सुहाई।-मति० ग्रं०, पृ० ४२० । बोली-संञ्चा स्त्री० [हिं० बोलना] १. किसी प्राणी के मुंह से