पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/३७९

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भयंकर' भया O भयकर-संज्ञा पुं० १. एक प्रस्त्र का नाम । २. डुडुल पक्षी । जो उस समय होता है जब मनुष्य अपनी इच्छा से नही बल्कि केवल लोकापवाद के भय से सामयिक कर्म प्रादि भयंकरता-संज्ञा स्त्री॰ [स० भयङ्करता ] भयंकर होने का भाव । डरावनापन । भयानकता । भाषणता । करता है भयंद-वि० [ स० भयद ] भयदायक । भयंकर । उ०-बजे नद्द भयन-चा पुं० [ स० ] भय | डर । खौफ (को०] । नीसान भेरी भयदं, गज शृंग रीसं मनी मेघ नई।-० भयनाशन'-सा पु० [स० ] विष्णु। रा०,६।१४८। भयनाशन- वि० भय का नाश करनेवाला। भय'-संज्ञा पुं० [सं० १. एक प्रसिद्ध मनोविकार जो किसी प्राने- भयनाशिनी-संज्ञा स्त्री० [मं० ] पायमाणा लता। वाली भीषण अापत्ति प्रथवा होनेवाली भारी हानि की भयप्रतीकार-संशा पु० [ ] डर को दूर करना । भानिवारण । अाशंका से उत्पन्न होता है और जिसके साथ उस आपत्ति भयप्रद-वि० [सं०] जिसे देखकर भय उत्सन्न हो । भर उत्पन्न अथवा हानि से बचने की इच्छा लगी रहती है। भारी अनिष्ट या विपत्ति की संभावना से मन मे होनेवाला करनेवाला | भयानक । खौफनाक | क्षोभा डर । भोति । खौफ। भयप्रदर्शन-सा पु० [सं०] डराना । भयभीत करना [को०) । विशेष-यदि यह विकार सहसा और अधिक मान में उत्पन्न भयबाहाण-ज्ञा पुं० [म.] वह ब्राह्मण जो अपना ब्राह्मणत्व हो तो शरीर काँपने लगता चेहरा पीला पड जाता है, बताकर मागत भय से बचने की चेष्टा करे [को०) । मुह से शब्द नही निकलता और कभी कभी हिलने डुलने भयभीत-व० [सं०] जिसके मन में भी उत्पन्न हो गया हो । तक की शक्ति भो जाती रहती है। डरा हुपा। मुहा०-भय खाना = डरना। भयभीत होना । भयभ्रष्ट-वि० [सं०] जो भय से पश्चात्पद हो [को०] । यौ०-भयभीत । भयानक । भयंकर । भयमोचन-वि० [सं०] भर छुडानेवाला। रर दूर करनेवाला । २. वालको का वह रोग जो उनके कही डर जाने के कारण निभंय करनेवाला। होता है। ३. निऋति के एक पुत्र का नाम । ४ द्रोण के भयवर्जिता-वंडा बी० [ स०] व्यवहार में दो गांवों के बीच की एक पुत्र का नाम जो उसकी अभिमति नामक स्सी के गर्भ वह सीमा जिसे वादी और प्रतिवादी आपस में मिलकर ही से उत्पन्न हुआ था। ५. कुन्जक पुष्प । मालती। मान लें और जिसका निर्णय किसी दूसरे को न भयर-वि० [ स० भू (= होना)] दे० 'भया' या 'हुआ'। उ०- करना पड़ा हो। भय दस मास पूरि भइ घरी। पद्मावत कन्या अवतारी। भयवाद-संज्ञा पु० [हिं० भाई+पाद (प्रत्य॰)] १. एक ही गोत्र —जायसी (शब्द०)। या वंश के लोग। भाईवदी। २. बिरादरी का आदमी। भयकंप-संज्ञा पुं० [सं० भयकम्प ] भयजन्य कंपकंपी। डर के कारण सजातीय । कपना [को०)। भयविप्लुत, भयविह्वल-वि० [सं० ] प्रातंकित । भयभीत । भया. भयकर-वि० [सं०] जिसे देखकर भय लगे । भय उत्पन्न करनेवाला। कुल [को०)। मयव्यूह-शा पु० [सं०] प्राचीन काल फा एक प्रकार का व्यूह भयचक-वि० [ स० भय+/चक ] दे॰ 'भौचक' । जो युद्धकाल में इसलिये रचा जाता था जिसमें भय उपस्थित भयन्वर-सज्ञा पुं॰ [ स०] भय और शोक से उत्पन्न होनेवाला होने पर राजा उसमें प्राश्रय लेकर अपनी रक्षा करे । ज्वर ।-माधव०, पृ. २६ । भयशील-वि० [स० ] डरपोक । भातु। भयडिंडिम-सञ्ज्ञा पु० [ स० भयडिण्डिम ] प्राचीन काल का एक भयशून्य-वि० [सं०] निडर । निर्भय । प्रकार का लड़ाई का वाजा । भयस्थान-संज्ञा पुं० [स०] भप की जगह । भा का कारण। भयता-संज्ञा पु० [ स० मयडू हिं० ] चंद्रमा । (डिं०) । भयहरण-वि० [ स०] भय नाश करनेवाला। भर दुर भयत्रस्त-वि० [स०] अत्यत भयभीत । वहुत डरा हुआ। करनेवाला। भयत्राता-वि० पु० [स० भयत्रातृ ] भय से रक्षा करनेवाला । भयहारी-वि० [सं० भयहारिन ] डर छुडानेवाला । भपहरण । डर डर मिटानेवाला या छुड़ानेवाला । दूर करनेवाला। भयद-वि० [ स० ] भय उत्पन्न करनेवाला । भयानक | डरावना । भयहेतु-संश पुं० [स० ] दे० 'भास्यान' । खौफनाक । उ०-गद्ध गरुड़ हड़गिल्ल भजत लखि निकट भया'-सज्ञा ली० [सं०] एक राक्षसी जो काल की वहन और हेति भयद रव ।-भारतेंदु मं०, भा० १, पृ० २९८ । की स्पी थी। विद्युत्करा इसी के गर्भ से उत्पन्न हुआ था। भयदर्शी-वि० [ स० भयदर्शिन् ] भय करनेवाला । भयानक [को० | २. एक प्रकार की नाव । ६२ हाथ लंबी, ५६ हाथ चौड़ी भयदान-सज्ञा पुं० [०] वह दान जो भय के कारण किया जाय । ३६ हाथ ऊँची नाव । (युक्तिकल्पतरु)। भयदोप-संज्ञा पुं० [सं०] जैनों के अनुसार एक प्रकार का दोष भयाg२-वि० [स०/भू (= होना)] दे० 'हुमा उ०- भयानक। का