पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/३९१

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वा भव्य भवाँ-नंज्ञा ली० [हिं० भवना ] भौरी । फेरी । चक्कर । उ०- जनु यमकात करहिं सब भना। जिय पै चीन्ह स्वर्ग अपसवा ।-जायसी (शब्द॰) । भवाना--क्रि० स० [सं० भ्रमण ] घुमाना। फिराना । चक्कर देना उ०-(क) या विधि के सुनि बेन सुरारी । मुष्टिक एक भवाइ के मारी।-विश्राम (शब्द०)। (ख) तेहि मंगद कह लात उठाई । गहि पद पटकेउ भुमि भवाई । —तुलसी (शब्द०)। भवांगण-सञ्ज्ञा पु० [सं० भवाङ्गण ] शिवमंदिर का प्रांगन । भवांतर-सञ्ज्ञा पु० [ स० भवान्तर ] वर्तमान शरीर से पूर्व या परवर्ती जन्म [को०)। भवांबुनाथ-संज्ञा पु० [ म० भवाम्बुनाथ ] संसाररूपी समुद्र । उ.- भवावुनाथ मंदरम् । ~मानस, ३।४। भवा-संज्ञा स्त्री॰ [स०] पार्वती। भवानी । दुर्गा ।-नंद० प्र०, पृ० २२४ । भवाचल-सञ्ज्ञा पु० [स०] कैलास पर्वत जो पुराणानुसार मंदर पर्वत के पूर्व मे है। भवातिग-वि० [स०] वीतराग [को०] । भवात्मज-सज्ञा पु० [स०] १. कार्तिकेय । २. गणेश [को०] । भवानी-संज्ञा स्त्री० [स०] भव की भार्या, दुर्गा । ०-भवानीकांत = शिव । भवानीगुरु, भवानीतात = हिम- वान् । भवानीनंदन= (१) कार्तिकेय । (२) गणेश । भवानी- पति, भवानीवल्लभ, भवानीसख शिव । भवाब्धि-संज्ञा पु० [स०] संसार रूपी समुद्र । भवाभीष्ट-सञ्ज्ञा पु० [सं०] गुग्गुल । भवायन-सज्ञा पु० [स०] शिव का उपासक या भक्त । शैव । भवायना, भवायनी-संज्ञा स्त्री॰ [ स०] शिव के सिर पर रहने- वाली, गंगा। भवि-वि० [स० भव्य] दे० 'भव्य' । उ०-केशव की भवि भूषण की भवि भूषण भू-तन मे तनया उपजाई ।-केशव (शब्द॰) । भविक-वि० [स०] मगलकारी। धार्मिक । मगलकर । कल्याण- कर (को०)। भवित-सञ्चा पुं० [सं०] जो हो चुका हो । वीता हुमा । भूत । भवितव्य-सज्ञा पु० [ स०] अवश्य होनेवाली बात । भवनीय । होनहार । भवितव्यता-सज्ञा स्त्री० [सं०] १. होनी। भावी । होनहार । २. भाग्य । किस्मत । भविता-वि० [सं० भवितृ ] होनेवाला। होनहार को०] । भविन-संश्चा पु० [सं०] कवि [को०) । भविल'–वि० [सं०] १. होनेवाला । भावी। २. उत्पन्न । जात । जीवित । ३. सुदर । भला । भव्य [को०] । भविल-संज्ञा पुं० १. मकान । घर । २. उपपति । जार । ३. विपयासक्त । भोगासत । विलासी [को०] । भविष-सज्ञा पुं० [सं० भविष्य ] दे० 'भविष्य' । उ०-भूत भविष को जाननिहारा। कहतु है बन सुम भवन की बारा- नंद००, पृ० १५६। भविष्य'-वि० [म० भविष्यत् ] वर्तमान काल के उपगंत अानेवाला (काल) । वह (काल) जो प्रस्तुत काल के समाप्त हो जाने पर मानेवाला हो । पानेवाला (काल)। भविष्य-संज्ञा पु० दे० 'भविष्यत्' । यौ०-भविष्यकाल = व्याकरण में यह काल जो प्रभो न पाया हो । पानेवाला काल । भविष्य ज्ञान = भविष्य की जानकारी। भविष्य या होनहार का ज्ञान । भविष्यपुराण = १८ पुराणों मे से एक का नाम । वि० दे० 'पुराण' । भविष्यगुप्ता-सज्ञा स्त्री॰ [स०] काल के अनुसार गुप्ता नायिका का एक भेद । वह नायिका जो रति मे प्रवृत्त होनेवाली हो और पहले से उसे छिपाने का उपयोग करे । भविष्य सुरति गुप्ता । भविष्यत् -सञ्ज्ञा पु० [सं०] वर्तमान काल के उपरात पानेवाला काल । पानेवाला समय । पागामी काल । भविष्य । भविष्यद्वक्ता-संज्ञा पुं० [स०] १. वह जो होनेवाली बात पहले से ही कह दे । भविष्यवाणी करनेवाला। २. ज्योतिषो। भविष्यद्वाणी-सशा स्त्री० [स०] भविष्य में होनेवाली वह बात जो पहले से ही कह दी गई हो । भविष्यद्वादी-सज्ञा पु० [ स० भविष्यवादिन् ] दे० 'भविष्यद्वक्ता' । भविष्यसुरविगोपना-संञ्चा खी० [स०] दे० भविष्यगुप्ता' । भवा'-वि० [म० भविन् ] जीवित ' सत्तायुक्त । भवो-संज्ञा पु० १. मनुष्य । मानव । २. प्राणधारी । जीव- धारी (को०] । भवीलाg+-वि० [हिं० भाव+ईला (प्रत्य॰)] १. जिसमे कोई भाव हो। भावयुक्त । भावपूर्ण । २. बांका । तिरछा । भवेश-संज्ञा पु० [सं०] १. संसार का स्वामी । २. महादेव । शिव । भवेस-संचा पु० [स० भवेश] १. दे० 'भवेश' । २. शिव । उ०-पावनि करी सो गाइ भवेस भवानिहिं ।- तुलसी (शब्द०)। भवैया -वि० [सं० भ्रमण ] घूमनेवाला । उ०—सो वेस्या भवेयान के साथ रह्यो।-दो सौ बावन०, भा० १, पु० २२८ । भव्य-वि० [स०] १. जो देखने मे भारी और सुदर जान पड़े । शानदार । २. मगलसूचक । ३. सत्य | सच्चा। ४. योग्य । लायक । ५. भविष्य में होनेवाला। ६.श्रेष्ठ। बड़ा । ७. प्रसन्न । ८. वर्तमान । विद्यमान (को॰) । भव्य--सज्ञा पु० १. भलता नामक वृक्ष । २. कमरख । ३. नीम । ४. करेला। ५. वह जिसे लिंगपद की प्राप्ति हो। भवसिद्धक । (जैन)। ६. वह जो जन्म ग्रहण करता हो। शरीर धारण करनेवाला । ७. नवें मन्वंतर के एक ऋषि का नाम । ५. पुराणानुसार ध्रुव के एक पुत्र नाम । ६. मनु चाक्षुष के अंतर्गत देवतामो के एक वर्ग का नाम ।