पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/४०६

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भारतखंड ३६४५ भारद्वाज यौ०-भारतखंड। भारतजात । भारतमंदल । भारतमाता । (को०)। ६. मंडन मिश्र की पत्नी का नाम जिसने शंकराचार्य भारतरत्न । भारतवर्ष । भारतवासी । भारतसंतान । से शास्त्रार्थ किया था। भारतसावित्री। भारतोकरण-सज्ञा पु० [स० भारतीय+करण] किसी वस्तु या संस्था ३. नट । ४. भरत मुनि प्रणीत नाट्यशास्त्र (को०) । ५. अग्नि । को भारतीय बनाना अर्थात् उसमें भारतीय तत्वों-या भारत- ६. सूर्य का एक नाम जब वे मेरु के दक्षिण होते हैं । दक्षि वासियों का प्राधिक्य करना । जैसे, सेना का भारतीकरण । णायन सुर्य (को०) । ७. भरत गोत्र में उत्पन्न पुरुष । ८. भारती वीर्थ-संज्ञा पुं० [स०] एक तीर्थ का नाम । लंबा चौड़ा विवरण । कथा । उ०-गोकुल के कुल के गली भारतीय-वि० [स०] १. भारत संबधी । भारत का। जैसे, भारतीय के गोय गायन के जो लगि कछु को कछू भारत भने नहीं।- चित्रकला, भारतीय दर्शन प्रादि । २. भारत का रहनेवाला । पद्माकर (शब्द०)। ९. घोर युद्ध । घमासान लड़ाई । भारत का निवासी। उ.-घरी एक भारत भाभा असवारन्ह मेल । जूझि कुवर यौ०-भारतीयकरण = दे० 'भारतीकरण' । सव निबटे गोरा रहा अकेल ।-जायसी (शब्द०)। भारतुला-सञ्ज्ञा श्री० [स० ] वास्तु विद्या के अनुसार स्तभ के नौ भारतखंड-संज्ञा पु० [सं० भारतखण्ड ] दे॰ 'भारतवर्ष'। भागों में से पांचवा भाग जो बीच मे होता है । भारतजात-वि० [सं०] भारतवर्ष में उत्पन्न । भारतेंदु -सञ्ज्ञा पु० [स० भारतेन्दु] १. भारतवर्ष का चद्रमा । २.हिंदी भारतमंडल-संज्ञा पुं० [सं० भारतमण्डल ] दे॰ 'भारतवर्ष' [को०] । गद्य के प्रवतक हरिश्चद्र जी (संवत् १९०७-१६४१) को उनकी भारतरत्न-संज्ञा पु० [सं० भारत+रत्न ] स्वतत्र भारत की सरकार विविष रचनामों और हिंदीसवा पर जनता द्वारा संमानार्थ द्वारा दिया जानेवाला एक सर्वोच्च सम्मान । प्रदत्त उपाधि जो कालातर में उनके नाम का पर्याय हो गई। भारतवर्ष-संज्ञा पु० [सं०] पुराणानुसार जंबू द्वीप के अंतर्गत नौ भारथ@'-सज्ञा पु० [हिं० भारत] १. दे० 'भारत' । २. युद्ध । संग्राम । वर्षों या खंडों में से एक जो हिमालय के दक्षिण और उ.-भारथ होय जूझ जो अोधा । होहि सहाय प्राय सब गंगोत्तरी से लेकर कन्याकुमारी तक और सिंधु नदी से ब्रह्मपुत्र जोषा ।-जायसी (शब्द॰) । ३. अजुन का एक संबोधन । तक फैला हुआ है । आर्यावर्त । हिंदुस्तान । भरथर-शा [सं०] भारद्वाज नामक पक्षी । भरदुल [को०] । विशेष-ब्रह्मपुराण में इसे भरतदीप लिखा है और अग, यव, भारथो-सञ्ज्ञा पुं॰ [स० भारत] योद्धा । सिपाही। उ०-भयउ अपूर्व मलय, शंख, कुश और वाराह प्रादि द्वीपों को इसका उपद्वीप सीस कढ़ कोपी । महा भारथी नाउँ अतोपी। जायसी लिखा है जिन्हें अब अनाम, जावा, मलाया, आस्ट्रेलिया प्रादि (शब्द०)। कहते हैं और जो भारतीय दीपज के पंर्तगत माने जाते भारथ्थ@t-सज्ञा पुं० [सं० भारत ] लड़ाई । युद्ध । संघपं । उ०- हैं । ब्रह्माडपुराण में इसके इंद्रद्वीप, कशेरु, ताम्रपणं, गभस्ति- प्रिय ए, ऊमर समरउ, करिस्यइ थाँ भारथ्थ ।-ढोला०, मान्, नागद्वीप, साम्य, गंधर्व भोर वरुण ये नौ विभाग बतलाए गए हैं और लिखा है कि प्रजा का भरण पोषण करने के कारण भारदड-संज्ञा पुं० [ स० भारदण्ड ] १. एक प्रकार का साम | मनु को भरत कहते हैं। उन्ही भरत के नाम पर इस देश का २. भारयष्टि । वहंगी। नाम भारतवर्ष पड़ा । कुछ लोगो का मत है कि दुष्यंत के पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम 'भारत' पड़ा। इसी प्रकार भारदंड-संचा पुं० [हिं० भार+ दंड ] एक प्रकार का दंड । एक प्रकार की कसरत । भिन्न-भिन्न पुराणो मे इस संबंध में भिन्न-भिन्न बातें दी हैं। विशेष—इसमें दंड करनेवाला साधारण दंड करते समय अपनी भारतवर्षीय-वि० [सं०] भारत का । भारत संबंधी । पीठ पर एक दूसरे प्रादमी को बैठा लेता है । वह पुरुष उसके भारतसावित्री-संज्ञा स्त्री० [सं०] महाभारत के अनुसार एक स्तोत्र पैरों की नली पर पाँव जमाकर हाथों से उसकी कमर की या स्तुति [को०] । करधनी या बंधन पकड़कर झुका रहता है और दंड करनेवाला भारतानंद-सञ्ज्ञा पुं॰ [ सं० भारतानन्द ] ताल के साठ मुख्य भेदों में उसका बोझ संभाले हुए साधारण रीति से दंड करता से एक भेद का नाम । (संगीत)। जाता है। भारति-सज्ञा स्त्री० [सं० भारती] १ सरस्वती। २. वाणी । भारद्वाज-संज्ञा पु० [सं०] १. भरद्वाज के कुल में उत्पन्न पुरुष । उ०-मति भारति पंगु भई जो निहारि, बिचारि फिरी २. द्रोणाचार्य । ३. मंगल ग्रह । ४. भरदूल नामक पक्षी। उपमान सवै । —तुलसी (शब्द०)। उ०-भारद्वाज सुपंषी उभयं मुख उद्दर एक । -१० रा०, भारती-सरा स्त्री॰ [स०] १. वचन । वाणी। २. सरस्वती । ३. मा० २, पृ० ५१६ । ५. वृहस्पति के एक पुत्र का नाम । ६. एक पक्षी का नाम । ४. एक वृत्ति का नाम । इसके द्वारा अगस्त्य ऋपि (को०)। ७. एक देश का नाम । ८. हड्डी। ६. रौद्र और बीभत्स रस का वर्णन किया जाता है । यह साधु एक ऋषि का नाम जिनका रचा हुमा श्रौतसूत्र और गृह्यसूत्र वा संस्कृत भाषा में होती है। ५. ब्राह्मो । ६. संन्यासियों के है। १०. कौटिल्य द्वारा निर्दिष्ट एक ग्रंथकार जिन्होने अर्थ- दस नामों से एक । ७. एक नदी का नाम । ८. नाटय कला शास्त्र पर मथ लिखा था (को०) ।