पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/४२५

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भीम ३६६४ भीमसेनी' होता है। HO हैं, लौटकर पृथ्वी पर नहीं पाए। इसका व्यवहार ऐसे पदार्थ भीमयु-० [सं०] भयानक सतरनाको०] । या व्यक्ति के लिये होता है जो एक बार जाकर फिर न लौटे। भोमर- पु० [स०] १. युद्ध । समर । २. गुप्तचर । नामूप । उ०-पत्र निज नैन अनाथ भए । मधुवन हू ते माधव भंदिया (तो)। सजनी कहियत दुरि गए । मयुरा बसत हुती जिय प्राशा भीमरथ-सा . [ 10 ] १. पुराणानुनार ए ग्रनुर जिसे विश्रण यह लागत व्यवहार । प्रा मन भयो भीम के हाथी सुपने ने अपने म बातार में मारा था। २. राष्ट्र के एक पुत्र प्रगम अपार ।- सूर (शब्द०)। का नाम । ३. विकृति के एक पूरा नाम । ४. ME ८. विदर्भ के एक राजा जिन्हे दमन नामक ऋपि के घर से एक पुत्र का नाम (को०)। दम, दात पौर दमन नामक तीन पुत्र तथा दमयंती नाम की भीमरथी-4 to [.] १. पुराणानुनार गाय पवन से निकली कन्या हुई थी। ६. महर्षि विश्वामित्र के पूर्वपुरुष जो हुई एस. नदी मिमे स्नान गरन का बहुत माहात्म्य है। पुरुरवा के पौत्र थे । १०. कुभकरणं के पुत्र का नाम जो २. वैद्यक के अनुसार मनुष्य की यह प्रवरया जो ७ वें वर्ष रावण की सेना का एक सेनापति था। कि मानवें माम की मानवी रान ममाप्त होने पर होती है। भीम'-वि० १. भोपण । भयानक। भयंकर | २. बहुत बड़ा । कहते हैं, मन लिया ठिा होती है। भीमक-मज्ञा पु० [भ] पुराणानुसार एक प्रकार के गण जो और जो इमे पार र जाता है, वह वहा पुवात्मा पार्वती क्रोध से उत्पन्न हुए थे। भीमकर्मा-वि० [सं० भीमकर्मन् ] १. भयंकर काम करनेवाला । भीमरा'-स० [२०] भोमा' (नदी)। २. महापराक्रमी । प्रत्यंत शक्तिशाली (को० । भोमरा-दी गोषण । भय गर । भीमकार्मुक-वि० [म० ] जिसका धनुष विशाल हो। बहुत बड़े भीमराज-पुं० [ मृजराज ] एक प्रसिद्ध चिड़िया को काले धनुपवाला [को०] । रग की होती है। भीमकुमार-मज्ञा पुं० [ ] भोममेन के पुत्र घटोत्कच । विशेष-इसकी टांग पोटी प्रौर पले बढ़ा बरे होते हैं और भीमचंडी-सक्षा सी० [सं० भीमचएडो ] एक देवी का नाम । इसकी दुम मे वत १० पर होते हैं। यह प्रायः नामको खाती है और कभी कभी बड़ी चिड़ियों पर भी प्रायमरण भीमता-संज्ञा स्त्री० [स०] भीम या भगानक होने का भाव । करती है। यह बहुत लडाकी होती है और मोटी छोटी भयंफरता। डरावनापन । उ०-कोन के तेज वलसीम भट भोम से भोमता निरखि करि नैन ढोके । -तुलसी चिहियो को, जिन्हें पकड मलती है, निगल जाती है। यह ( शब्द०)! बोली की नकल करना बहुत मंच्या जानती है और अनेक पशुपों तथा मनुष्य की योगी बोल सकती है. इसी भीमतिथि-संज्ञा स्री० [सं० ] दे० 'भीमसेनी एकादशी' । स्वाभाविक बोली भी बहुत मुहर होती है। वह अपना घोसना भीमदर्शन-वि० [स०] भीम रूपवाला । जिसे देखने से डर लगे । खुले हुए स्थानो में नती है। इनके श्री पर लात या भीमद्वादशी-सा श्री० [म.] माघ शुक्न बादशी तिथि [को०] । गुलानी पधे होते है। भीमनाद-मशा पु० [ म०] १. सिंह । शेर । २. भयंकर पावाज । भोमरिका-० [...] पुरणानुसार सहरमामा के गर्भ से ३. प्रनय काल मे प्रगट होनेवाला एक जलद (को०) । उसन श्री को एक मा। भीमपराक्रम'-वि० [सं०] जिमका पराक्रम भप पैदा करे । महाबली। भीमल-वि० [ 0] मान । उगना लि०) । भोभपराक्रम-ज्ञा पु० विष्णु का एक नाम [को॰] । भीमविक्रम- [सं०] उतनी या भान शक्तिवाना। भोमपलाशी-संज्ञा स्त्री० [स०] मपूर्ण जाति की एक संकर भोमविक्रांत'- पु० [ म. भीम वक्रान्त ] हि । रागिनी जिसके गाने का ममय २१ दंड से २४ दड तक है। भीमविक्रांत-वि. महा बलशाली (सोल यह धनाथी और पूर्वी को मिलाकर बनाई गई है। इसमे गाधार, धैवत प्रौर निषाद तीनों स्वर फोमल am भामविग्रह-वि० [२०] भयाना प्राकृति या शरीरवाला (यो । शुत लगते हैं। इसमें पचप वादी और मध्यम संबादी होता भीमवेग-1 [१०] अत्यंत तीव्र गति या वेगवाला [को०) । है। कुछ लोग इसे श्रीगग की पुत्रवधु भी मानते हैं । भीमशंकर- पुं० [अ० भीमशक्षर ] भगवान् शकर के द्वादश भीमपुर-सज्ञा श्री० [ म०] कुंडिनपुर । पवित्र लिंगो मे से एक। यह जोतिसिंग पूना जिले के डाकिनी नामक स्थान में है। भीमवन'-मज्ञा स्त्री० [म०] १. एक प्रकार की अग्नि । धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम । भीमशासन-जना पु० [ ] यमराज का एक नाम (फो। भीमबल-वि० दे० 'भीमपराक्रम'। भीमसेन-उमा पु० [ स०] युधिष्ठिर ने छोटे भाई भोम । वि० दे० 'भोम'। भीममुख-सशा पु० [सं०] १. एक प्रकार का वाण । (रामायण) भीमसेनो'- पु० [हिं० भीमसेन+ई (प्रस) ] भोमसेनी २.एम वानर का नाम । कपूर । वरास। 'कपूर'। २.