पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/४३५

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भराई चीनी | भूरा। भुवन (ग) राई नौन वारति भुराई देखि प्रांगनि में दुरै न दुराई सुनि मिरग भुलाही। नर मोहहिं सुनि पैग न जाही।- पंनुराई सो भगति है।-देव (शब्द॰) । जायसी (शब्द०)। (ख) पंडित भुलान न जानहिं चालु । भुराई २-शा पु० [हिं० भृरा ] भूगपन । भूग होने का भाव । जीव लेत दिन पूछ न कालू ।-जायसी (शब्द॰) । (ग) भुराना :-क्रि० स० [हिं० भुलाना वा भुलना] १. भूनना । यसुदा भरम भुनानी झूले पालना रे ।-गीत (शब्द०)। २. उ.-मैं अपनी सब गाय चरहीं। प्रात होत बल के संग भटकना । भरमना । राह भूलना । उ०-सो सयान मारग जैहो तेरे यहे न भुरहौं ।-सूर (शब्द॰) । २. दे० 'भुरवना' । रहि जाय । करै खोज कबहूँ न भुलाय ।-कवीर (शब्द०)। ३. भून जाना। विस्मरण होना । बिसरना । उ०-(क) उ०-तुम भुरए हो नंद कहत हैं तुमसो ढोटा । दघि प्रोदन के का देह धरि पाए छोटा।-सुर (शब्द॰) । मात महातम मान भुनाना। मानत मानत गवना ठाना।- कवीर (शब्द०)। (ख) घड़ी अचेत होय जो पाई । चेतन की भुरावना-क्रि० स० [हिं० भुलाना] १. दे० 'पुराना' । सब चेत भुनाई।-जायसी (शब्द०) । (ग) एवमस्तु, कहि उ० --मोचन लागी मुराई की पातन सौतिन सोच भुगवन कपट मुनि बोना कुटिल कठोर । मिलब हमार भुनाव जनि लागी ।-- मतिराम (शब्द॰) । २. दे॰ 'भुरवना' । कहहु त हमहिं न खोरि। तुलसी (गन्द०)। भुसंड-70 पु० [ स० भुरण्ट ] १. एक गोयप्रर्वतक ऋपि का नाम भुलावा-सज्ञा पुं० [हिं० /भूल + यावा (प्रत्य॰)] छल । धोखा । २. भारुड पक्षी। चक्कर । जैसे,—इस तरह भुनावा देने से काम नहीं चलेगा। भुको-मा पो० [देश॰] १. 'भुरका'। क्रि० प्र०-देना ।- में डालना। भुरिका भुर्भुरी-वजा नी० [.] एक प्रकार की मिठाई । भुर्रा' - वि० [हिं० भूरा या भयरा ? ] बहुत अधिक काला । घोर भुवंग-संज्ञा पुं० [१० भुजङ्ग, प्रा० भुश्रंग] [स्त्री० भुगिनि भुगिन] साप । उ०-साकट का मुख बिंब है निकसत वचन कृष्ण । जैसे,—विलकुल काला भुर्रा सा प्रादमी तुम्हें ढूढने भुवंग । ताकी औषधि मौन है विप नहिं व्याप अग।- पाया था। कबीर (शब्द०)। भर्रा-संज्ञा पु० [हिं० बूरा, भूग] चीनी को पकाकर बनाई हुई भुवंगम-संज्ञा पुं० [सं० भुजङ्गम, प्रा० भुअंगम ] साँप । उ०- (क) फपट करि व्रजहि पूतना पाई। गई मूरछा परी धरनि भुनक्कड-वि• [ हि° भूलना+अक्कड ( प्रत्य)] भूलने के ते मनो भुवंगम खाई । सुरदास प्रभु तुम्हरी लीला भगतन गाइ स्वभाववाला । विस्मरणशील । बहुत भूलनेवाला । सुनाई-सूर (शब्द०)। (ख) माइ री मोहि डस्यो भुवगम भुलना-संज्ञा पुं० [हिं० भलना ] १. एक घास का नाम | कारो |- सूर (शब्द०)। विशेप-इसके विषय में लोगों में यह प्रवाद है कि इसके खाने भुवः-संज्ञा पुं॰ [स०] १. वह आकाश या अवकाश जो भूमि और सूर्य से लोग सब बातें भूल जाते हैं । के यतगत है। अतरिक्ष लोक । यह सात लोको के अंतर्गत मुहा०-भुलना खर खाना= विस्मरणशील होना। दूसरा लोक है । २. सात महा व्याहृतियो के अतर्गत दूसरी २. वह जो भूल जाता हो । भूलनेवाला व्यक्ति । महाव्याहृति । मनुस्मृति के अनुसार यह महाव्याहृति प्रोकार भुलभुला-सशा पु० [अनु॰] प्राग का पलका । गरम राख । की उकार मात्रा के संग यजुर्वेद से निकाली गई है । भुनवाना-कि० स० [म० भूलना का प्रे०रूप ] १. भूलना का भुव'-संद्या पु० [ स० ] अग्नि । भाग। प्रेरणार्थक रूप । भूनने के लिये प्रेरणा करना । भ्रम मे भुव०२-संशा सी० [स० भू का सप्तम्यंत रूप भुवि वा भुमि ] डातना । २. विस्मृत करना । विसारना । दे० 'भुलाना' । पृथ्वी । उ०—(क) रोवै वृषभ तुरंग ग्ररु नाग । स्यार दिवस भुलसना-कि० प्र० [हिं० भुलभुला ] पलके में झुलसना । गरम निसि बोले काग । कंपै भुव वर्षा नहिं होई । भए शेच चित रारा में झुलसना । उ०-लाल गुलाव अंगारन हूँ पुनि क्छु यह नृप जोई ।-सू' (शब्द०)। (ख) भार उतारन भुा पर न नरसी । सुकवि नेह को वेल विरह झर नेकु न झरसी। गए । साधु संत को वह सुख दए । लल्लू (शब्द०)। व्यास (शब्द०)। भुव-सशा स्त्री॰ [स० भ्र ] भौंह । भ्र । उ०—(क) गहन दहन भुलाना'-क्रि० स० [हिं० भूलना ] १. भूलने का प्रेरणार्थक रूप । निदहन लक नि संक बैंक भुव । —तुलसी (शब्द॰) । (ख) भुव भ्रम में डालना। धोखा देना। उ०-बंधु कहत घर बैठे तेग सुनैन के बान लिए मति वेसरि की संग पासिका है । नावै । अपनी माया माहिं भुलावै ।-लल्लू (शब्द०)। २. -हरिश्चद्र (शब्द०)। भूलना । विस्मृत करना। उ०—(क) हाँस हंसि वोली टेके भुवन-संज्ञा पुं० [स०] १. जगत् २. जल । ३. जन । लोग | ४. लोक । कोपा । प्रीति भुलाइ चहै जल बांधा ।—जायसी (शब्द०)। विशेष-पुराणानुसार लोक चौदह हैं-सात सर्ग और सात (स) ये हैं जिन सुन वे दिए, करति क्यों न हित होस । ते सव अवहिं गुनाइयतु तनक हगन के दोस।-पद्माकर पाताल । भूः. भुमः. स्वः, महः जनः, तपः और सत्य ये सात सर्ग लोक हैं और मतल, सुतल, वितल, गभस्तिमद, महातल, (शब्द०)। रसातल और पाताल ये सात पाताल हैं। भुलानाल-क्रि० प्र० १. भ्रम में पड़ना। उ० -(क) हाथ वीन ५. चौदह फी संख्या का द्योतक शब्दसंकेत । ६. सृष्टि ।