पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/४४१

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भूत का गधद्रव्या de का नाम। ३६८० भूतपूर्व भूत-वि० १. गत । बीता हुआ । जैसे , भूतपूर्व । भूनकाल । २. भूतजटा-संञ्चा मो० [सं०] जटामासी । युक्त। मिला हुआ। ३. समान । सदृश । ४. जो हो भूतजननी-संज्ञा स्त्री० [स० ] जगज्जननी। समस्त विश्व की चुका हो । हो चुका हुआ। माता [को०] । विशेप-इन अर्थों मे इसका व्यवहार प्रायः यौगिक शब्दो के भृतजय-संशा स्त्री॰ [स०] महाभनो या तत्वो पर प्राप्त विजय [को०] । अत मे होता है। भततंत्र-मंशा पु० [ म० भूततन्त्र ] जिन या प्रेतो की विद्या [फो०] । भूतक-मज्ञा पु० [स०] पुराणानुसार सुमेरु पर के २१ लोको मे से भृततृण-संग पु० [ स०] १. एक प्रकार का विष । २. एक प्रकार एक लोक । भूतकर्ता-सह -सञ्ज्ञा पुं० [स० भूतक ] प्रजापति । ब्रह्मा । स्रष्टा [को०] । भूतत्व-संज्ञा पुं॰ [ स०] १. भून होने का भाव । २. भूत धर्म । ३. भूतकला-ज्ञा स्त्री॰ [ स०] एक प्रकार की शक्ति जो पचभूतो को भूमि संवधी तत्त। उत्पन्न करनेवाली मानी जाती है। भूतत्वविद्या-संशा सी० [स०] भूगि के तत्वो को बतानेवाली भूतकाल-पज्ञा पु० [ ] व्याकरण मे क्रिया का एक काल । दे० विद्या । दे० 'भूगर्भशास्त्र' । 'भूत'-१३ । भूतदमनी-संशा सी० [ स०] शिव की एक शक्ति का नाम [को०) । भूतकालिक-वि० [स०] भूतकाल सबंधी : भूतदया-तज्ञा श्री० [ म० ] चराचर के प्रति दयाना । प्राणियों के भूतकृत-संज्ञा पु० [स०] १. देवता । २. विष्णु । प्रति दया [को॰] । भूतकेतु-शा पु० [स०] पुराणानुसार दक्ष सावणि के एक पुत्र भूतद्रावो-सशा पु० [ सं० भूतदाविन् ] लाल कनेर | भूतद्रुम-सया पु० [स०] श्लेष्मांतक वृक्ष । भूतकेश-या पु० [स०] १ सफेद दूब । २. इद्रावारुणी । ३. सफेद भूतधरा-सया पु० [सं०] १. घरती । पृथ्वी। तुलसी। ४. जटामासी। भूतधात्री-संशा खी० [सं०] १. पृथ्वी । २. निद्रा जो सवको सुला भूतकोटि-सचा पुं० [सं०] जो पूर्णतया सत्वयुक्त या सत्तायुक्त न देती है (को०)। हो [को०] । भूतधारिणी-सशा स्त्री० ]म] दे० 'भूनपरा' । भूतक्रांति -पचा स्त्री॰ [ स० भूनक्रान्ति ] भूनावेच । भूतधाम-सज्ञा पुं० [सं० भूतधामन् ] पुराणानुसार इंद्र एक पुत्र भूतखाना-संञ्चा पु० [हिं० भूत + फा० खाना ( = घर)] बहुत मैला कुचैला या अंधेरा घर । भूतनगरो-पा स्री० [सं० भूत+ नगरी ] कावेरी नदी के किनारे भतगंधा-सचा त्री० [स० भूनगन्धा ] पुरा नामक गंधद्रव्य । का एक गांव । उ०-पुथ्थो मे द्राविउ देश में काचीपुरी के भूतगण-मा पु० [म०] १. शिव के गण । २. भूरों का समूह । पास धो कावेरी गगा के तट 'भूतनगरी' ग्राम में |- भतगत्या-व० [स०] विश्वासपूर्वक । सत्यतापूर्वक (को०] । भक्तमाल०, पृ०२८८ । भूतग्रस्त-० [स०] जिसे भून भूतनाथ-संज्ञा पु० [स०] शिव । भूतग्राम-धा पु० [स०] १. शरीर । देह । २. संसार । जगत् । भूतनायिका-प्रज्ञा स्त्री० [सं०] दुर्गा । प्राणिसमूह । भूतनाशन- संज्ञा पु० [म०] १. रुद्राक्ष । २. सरसों। ३. भिलावा । भवघ्न' मा पु० [स०] १. ऊँट । २. लहसुन'। ३. भोजपत्र का पेड़ । ४. हीग। भूतन-बै भूतो का नाश करनेवाला । भूतनिचय-संज्ञा पुं० [स०] मूल भूतों । समूह, शरीर को०] । भृतघ्नी-सज्ञा स्त्री० [स०] तुलसी । भूतनी-सरा सी० [हिं० भूत ] नुडैल । स्त्री भून । भूतिनी। भृतचतुर्दशा- भतपक्ष-सा पु० [स०] मास का कृष्ण पक्ष । अंधेरा पक्ष । 1-प्रज्ञा स्त्री० [स०] कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी। नरक अंधेरा पाख । बदी। चौदस । (इस दिन यम की पूजा और तर्पण होता है । ) भूतपति-संज्ञा पु० [सं०] १. महादेव । २. कालो तुलसी। ३. भूतचारी = सा पुं० [ भूतचारिन् ] महादेव । शिव । अग्नि (को०) । ४. माकाश (को०) । भूतचिंतक-शा पु० [ स० भूतचिन्तक ] मन भूतो की चिंता या भूतपत्री-संज्ञा झी० [सं०] तुलसी । अन्वेषण करनेवाला । स्वभाववादी। भतपाल-संज्ञा पुं॰ [स०] विप्रणु । भूतचिता-श स्त्री० [स० भूतपिन्ता ] तत्वो का अन्वेषण और भूतपुष्प-लज्ञा पुं० [ स० ] श्योनाक वृक्ष । उनकी छानवीन (को०] । भूतपूर्णिमा-सज्ञा स्त्री० [सं०] आश्विन की पूर्णिमा। शरदपुणिमा । भूतज 1- वि० [म०] भूतो से उत्पन्न । भूत का । भूत संबधी । भूतपूर्व-वि० [स० ] वर्तमान से पहले का। इससे पहले का। यौ०-भूतज उन्माद = दे० 'भूतोन्माद' । जैसे,-भूतपूर्व मंत्रो, भूतपूर्व संपादक । का नाम । co