पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/४४९

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स० HO भूरिपलितदा ३६८८ भूलना भूरिपलितदा-जा स्त्री० [सं०] पाडुर फली । मूर्जकंटक-संज्ञा पु० [सं० भूजंकण्टक ] मनु के अनुसार एक वर्ण- संकर जाति । भूरिपुष्पा -मचा ली [ स० ] शतपुष्पा। भूरिप्रयोग -वि० [स० ] बहुप्रचलित । भूर्जपत्र 1-सज्ञा पु० [स०] भोजपत्र । भूरिप्रेमा-संज्ञा पु० [ स० भूरिन मन् ] चक्रवाक । भूर्णि-सज्ञा खा. ] १. पृथ्वी। २. मरभूमि । रेगिस्तान । भूरिफेना-. ना. [ स० ] सप्तला । शिकाकाई [को०] । भूर्भुव-संज्ञा पु॰ [स०] ब्रह्मा के एक मानसपुत्र का नाम । भूरिवल-सज्ञा पु० [ स०] धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम | भूर्लोक-ज्ञा पु० [स०] मर्त्यलोक । ससार । जगत् । भूरिषला-- सज्ञा स्त्री॰ [ म० ] अतिबला । कंगही । फकही। भूल-शा नी० [हिं० भूनना] १. भूनने का भाव । २. गलती। चूक । जैसे,—इस मामले मे अापने बड़ी भूल की। उ.- भूरिभाग-वि० [ ] धनवान | समृद्ध । कियो सयानी सखिन सौं नहिं सयान यह भून । दुरे दुराई भूरिभाग्य-वि० [स०] भाग्यशाली । बडभागी। फूल लौ क्यों पिय मागम फूल -जायसी (शब्द०)। भूरिभिन्नता-सज्ञा स्त्री॰ [ म० ] अत्यधिक मिन्न होना। पूर्णतः यौ०-भूल चूक। असमानता । उ०-भूरि भिन्नता में अभिन्नता छिपा स्वार्थ मुहा०-भूल के कोई काम करना=कोई ऐसा काम करना जो में सुखमय त्याग ।-वीणा, पृ. ३४ । पहले न करते रहे हो। भ्रम में पड़कर कोई काम कर भूरिमंजरी-॥ त्री० [स० भूरिमञ्जरी ] सफेद तुलसी। बैठना । जैसे,-अाज हम भून के तुम्हारे साथ चल पड़े। भूरिमल्ली-मज्ञा स्त्री० [स०] ब्राह्मणी या पाढा नाम की लता । भूल के कोई काम न करना = कदापि कोई काम न करना। भूरिमाय'–वि० [म.] वडा मायावी । भारी मायावी । हरगिज कोई काम न करना । जैसे, हम तो कभी भूल भूरिमाय'-सा पु० [सं०] शृगाल । सियार । २. लोमड़ी। के भो उनके घर नहीं जाते । भूलकर भून से | गलती से। भूरिमूलिका-सच्चा सी० [ स० ] ब्राह्मणी लता । पाढ़ा । भूलकर नाम न लेना=कभी याद न करना । भूले भटके कभी कभी। भूरिरस-सञ्ज्ञा पु० [सं० ] ईख । ऊख । ३. कसूर । दोष । अपराध । ४. अशुद्धि । गलती। जैसे,- भूरितग्ना-संज्ञा स्त्री॰ [ स० ] सफेद अपराजिता । हिसाव में २) की भूल है। भूरिलाभ-संज्ञा पु० [सं०] १. वह जो बहुत लाभदायक हो। बहुत क्रि० प्र०-निकलना ।-पड़ना। वडा लाम । अधिकतम लाभ । भूलक@f-संज्ञा पु० [हिं० भूल + क (प्रत्य॰)] भूल करनेवाला । भूरिविकम-वि० [सं०] बहुत बड़ा वीर । जिससे भूल होती हो। भूरिवोर्य-सज्ञा पुं० [स० ] पुगणानुसार एक राजा का नाम । भलग्ना-संज्ञा स्त्री॰ [स०] शंखपुष्पी । भूरिशः-वि० [स० भूरिशन् ] प्रत्यंत । बहुत । २०-विपत्ति से भूलचूक-लश स्त्री० [हिं० भूख + चूक ] भून । नम । गलती। संकुल उक्त पथ भी। उन्हे बनाता भय भीत भूरिशः ।- प्रिय०, पृ० १५१ . मुहा- भूलचक लेनी देनी = हिसाब मे भून चूक हो तो लेन देन की कमी वेशी ठीक कर ली जाय । (यह पुरजे, बिल, भूरिश्रवा-सज्ञा पु० [म० भूरिश्रवप्] बाह्नीक के चंद्रवंशी राजा सोम- बीजक प्रादि पर लिखा जाता है।) दत्त का पुत्र जो कौरवो की अोर से महाभारत मे लड़ा था। भलड़-पंज्ञा पु० [हिं०] भून जानेवाला । भुनक्कड । विशेष-महाभारत द्रोणपर्व के अनुसार भयंकर युद्ध मे इसने अर्जुन के प्रिय शिष्य सात्यकि को पराजित किया और उसको भलता-पज्ञा स्त्री० [सं०] कॅप्रा नाम का कीड़ा । अशक्त करके मारना चाहता था। इसी बीच अर्जुन ने कृष्ण भूलना-फि० स० [ सं० विह्वत ? या स० भ्रंश, प्रा० धावा./ का सकेत पाकर वाण मे इसकी भुजा काट दी तदनंतर भुल्ल ] विस्मरण करना । याद न रखना । ध्यान न रखना । उठकर सामकि ने इसे मार डाला। जैसे,—(क) प्राप तो बहुत सी बातें यों ही भून जाते हैं । भूरिपेण --संज्ञा पु० [सं०] भागवत के अनुसार एक मन का नाम | (ख) कल रात को लौटते समय मैं रास्ता भून गया था। २. गलती करना। ३. खो देना । गुम कर देना। भूरिसख-वि० [स०] जिसके बहुत से मित्र हो । भूरिसेन-शा पु० [स०] राजा शांति के तीन पुत्रो मे एक भूलनारे-क्रि० प्र० १. विस्मृत होना । याद न रहना । जैसे,- अब वह बात भून गई । २. चूकना । गलती होना। ३. पुत्र का नाम । धोखे में प्राना । जैसे-आप उनकी बातों में मत भूलिए । ४. भूरुंडी-पंचा स्त्री० [ स० भूरुण्डी] हस्तिनी नामक वृक्ष । हाथो सुड़ । अनुरक्त होना। आसक्त होना । लुभाना। ५. घमंड में भूरुह --सज्ञा पु० [ म०] १. वृक्ष । पेड़ । २. अर्जुन वृक्ष । ३. शाल होना। इतराना । जैसे,—आप १००) को नौकरी पर ही का वृक्ष। भूने हुए हैं । ६. गुम होना । खो जाना। उ०-जैसे चांद भूरुहा-नशा सी० [सं०] दूब । गोहन सव तारा। परयो भुनाय देखि उजियारा- भूर्ज-सना पु० [स०] भोजपत्र का वृक्ष । जायसी (शब्द)।