पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/४६८

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भौता .३७०७ भौली नाम। भौत-वि० [प्रा० बहुत्त ] दे० 'बहुत' । उ०-भौत सतियापन यह प्रकार का प्रासन । ५. नरकासुर जो भूमि का पुत्र था सत प्रजब माने सखी।-दक्खिनी०, पृ० ५१ । (को०) । ६. जल [को०] 1 ७. प्रकाश । ज्योति (को०)। ८. पात्र भौतरनी-संञ्चा स्त्री० [सं० भव + तरणो ] वह नाव या साधन जिससे ऋषि का नाम (को०) । ६. अन्न (को०)। १०. कुट्टम । पक्की संसारसागर का पार किया जा सके। उ०-धर्मनि सुनु जमान (को०) । ११. मंजिल । खड। मरातिब (को०) । १२. प्रापनि करनी । जेहि मिले उ शब्द भौतरनी ।-कबीर सा०, वह केतु या पुच्छल तारा जो दिव्य और अतरिक्ष के परे हा । पु०४२१ । भौमक-ज्ञा पुं॰ [ स०] भूमि पर रहनेवाला जीव । प्राण।। भौतिक'-संज्ञा पु० [स०] १. महादेव । २. मुक्ता । मोती। ३ भौमादन-सञ्चा पु० [ स०] २० 'भोमवार' । उपद्रव । ४. माघि व्याधि । ५. तत्व । भोतिक तत्व (को०)। भोमदेव-सञ्ज्ञा पु० [ स० ] ललितविस्तर के पनुसार प्राचीन काल ६.प्राख नाक भादि इf यां। की एक प्रकार की लिपि । भौतिक-वि० १. पंचभूत संबंधी । २. पांचो भूतो से बना हुआ । भौमन-पञ्चा पु० [ स०] विश्वकर्मा (को०] । . पार्थिव । उ०-भोतिक देह जीव अभिमानी देखत ही दुख भीमप्रदोप-सञ्चा पु० [सं०] वह प्रदोष व्रत जो मंगलवार को पड़े। लायो।-सुर (शब्द॰) । ३. शरीर संबंधी । शरीर का । वह त्रयोदशी जा मगलवार के सायंकाल में पड़े। इस प्रदाष यौ०-भौतिक सृष्टि । का माहात्म्य साधारण प्रदाष की अपेक्षा कुछ विशेष माना ४. भून योनि से सबंध रखनेवाला । जाता है। यौ०-भौतिक विद्या। भौमब्रह्म-सञ्ज्ञा पु० [स० भौमब्रह्मन् । वेद, ब्राह्मण और यज्ञ [को०] । भौतिकमठ-संञ्चा पुं० [सं०] आश्रम । मठ । भोमरत्न-पता पुं० [स० ] मूगा । प्रवाल । भौतिकवाद-सज्ञा पु० [सं०] वह मत या सिद्धात जो पंचभूतों को भौमराशि-सञ्ज्ञा स्ना [ स० ] मेष और वृष राशियां जिनका स्वामी मुख्य मानता है। मगल है। भौतिकविज्ञान-संज्ञा पुं० [स० ] तत्वों के गुण प्रादि के विवेचन भौमवती-सशा स्त्री॰ [ स० ] भौमासुर ( नरकासुर ) की स्त्री का की विद्या या विज्ञान । भौतिकविद्या-संशा स्त्री० [सं०] वह विद्या जिनके अनुसार भूत भौमवार, भौमवासर-सञ्चा पुं० [सं०] मंगलवार । प्रेत प्रादि से बातें की जाती हैं और उनके भदभुत व्यापार जाने भौमासुर-सञ्ज्ञा पु० [ स०] नरकासुर नाम का पसुर । वि० दे० अथवा रोके जाते हैं। भूतों प्रेतों को बुलाने और दूर करने 'नरकासुर'। को विद्या। भौमिक-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १. भूमि का अधिकारी या स्वामी । भौतिकसृष्टि--संज्ञा स्त्री० [सं०] आठ प्रकार की देवयोनि, पांच जमीदार । २. बगालयों में एक जातिविशेष । प्रकार की तिर्यग् योनि और मनुष्य योनि, इन सबकी भौमिक-वि० भाम सबधी । भौमिकीय-वि० [स० भांतिक ] भूमि सबधी । भूमि का । भौती-संज्ञा श्री० [सं० रात । रात्रि । रजनी। भीमि-सञ्ज्ञा स्त्री० [स] पृथ्वी की कन्या। सीता। भौती-संज्ञा स्त्री॰ [ देश० ] एक वालिश्त लंबी और पतली लकड़ी भौमृती-वि० ला. [ स० भयवती या देश० ] भयभीत । भययुक्त । जिसकी सहायता से ताने का चरखा धुमाते हैं। भेडती । उ०-धन भौमूती भुइ पड़ी।-बी० रासो०, पृ० ६१ । ( जुलाहा)। भौत्य-सञ्ज्ञा पु० [सं०] पुराणानुसार भूति मुनि के पुत्र और चौदहवें भौम्य-वि० [सं० ] भूमि संदवी । पृथ्वी पर का । भौमिक [को॰] । भोर--सा पु० [स० भ्रमर ] १. ८० 'भौरा' । २. घाड़ो का मन का नाम । एक भेद । दे० 'मौर' । ३. द. भवर' । भौन-संज्ञा पुं० [सं० भवन ] घर । मकान । उ०-उर भोन मैं मौन को घूघट के मुरि वैठि बिराजति बात बनी।-धनानंद, भौरिक-सञ्ज्ञा पु० [ स०] कोपाध्यक्ष [को०] । पृ० ६२। भौरिकी-सञ्चा खो० । स०] टकसाल जहाँ सिक्के ढाले जाते हैं [को०] । भौमा@+-क्रि० स० [सं० भ्रमण ] चक्कर लगाना । घुमना । भोपाल-संज्ञा पुं० [सं०] भूपाल का पुत्र । राजकुमार । [को०] । भौरी-सञ्ज्ञा स्त्री० [रश०] उपलो पर सेंकी गई छोटी छोटी गोल लिट्टी। टिड़ा। उ.- भूखे देवो भौरियां सबै गूरू गाबिद । भौम-वि० [सं०] १. भूमि संबंधी। भूमि का। २. भूमि से -संतवाणी०, पृ० १३६ । उत्पन्न । पृथ्वी से उत्पन्न । जैसे, मनुष्य, पशु, वृक्ष प्रादि । भौलिया -सञ्ज्ञा स्त्री० [रश०] बबरे की तरह की पर उससे कुछ भौम-सज्ञा पुं० १. मंगल ग्रह । उ०-भूपर से ऊपर गया हो वानरेंद्र छोटी एक प्रकार की नाव जो ऊपर से ढकी रहती है। मानो एक नया भद्र भीम जाता था लगन में-साकेत भौली-सञ्चा बी० [सं०] एक राग (को०] । पु० ३३७ । २. पंबर । ३. लाल पुनर्नव । ४. योग में एक समष्टि ।