पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/४८८

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मंगलाय ३७२७ मना - फिर लौटा दिया जायगा। जैसे, मंगनी की गाड़ी, मंगनी की किताब । ३. इस प्रकार मांगने की क्रिया या भाव । क्रि० प्र०-देना।-माँगना ।लेना। ४. विवाह के पहले की वह रस्म जिसके अनुसार वर मोर कन्या का संबंध निश्चित होता है। जैसे, चट मंगनी, पट ब्याह । उ०-धत्, मेरी मंगनी हो गई है, देखते नहीं यह रेवामी बूटे का ताल ।-गुलेरी। विशेष-साधारणतः वर पक्ष के लोग कन्या पक्षगलों से विवाह के लिये कन्या मांगा करते हैं, और जब वर तथा वन्या के विवाह की बात चीत पक्की होती है, तब उसे मगनी कहते हैं | इसके कुछ दिनों के उपरांत विवाह होता है । मगनी केवल सामाजिक रीति है, कोई धार्मिक कृत्य नहीं है । अतः एक स्थान पर मगनी हो जाने पर संबंध छूट सकता है और दूसरी जगह विवाह हो सकता है । मॅगलाय-संज्ञा पुं० [ दलाली मग (= पाठ) + श्राय (प्रत्य॰)] अठारह की सख्या । (दलाल)। मॅगवाना-क्रि० स० [हिं० मांगना का प्र रूप] १. मांगने का काम दूसरे से फगना। किसी को मांगने मे प्रवृत्त करना । जैसे,—तुम्हारे ये लक्षण तुमसे भीख मंगवाकर छोड़ी। २.किसी को कोई चीज मोल घरीदकर या किसी से मांगकर लाने में प्रवृत्त करना । जैसे,—(क) अगर मैं किताव मंगवाऊँ तो भेज दीजिएगा। (ख) एक रुपए को मिठाई मगवा लो। सयो किन-देना ।-रखना।-लेना । मँगाना-फि० स० [हिं० मांगना का प्रे० रूप ] १. दे 'मंगवाना। २. मगनी का संबध कराना । विवाह की बात- चीत पक्की कराना। मॅगेतर -पि० [हिं० मगनी + एतर (प्रत्य॰)] जिसकी किसी छ साथ मेंगनी हुई हो। किसी के साथ जिसके विवाह की बातचीत पक्की हो गई हो। मॅगोलश पुं० [देश॰] एक जाति । विशेष दे० 'म गोल' । मॅजना-फि० अ० [सं० मज्जन] १. रगड़कर साफ किया जाना । मांगा जाना । २. किसी कार्य को ठीक तरह से करने की योग्यता या शक्ति पाना। अभ्यास होना । मश्क होना। जैसे, लिखने में हाप मंजना । मैं जल-सा जी० [अ० मसिल ] दे० 'मंजिल'। उ०-ये सराइ दिन पारि मुफामा । रहना नाहि म जउ जो जाना।- घट०, पृ०३००। मजाई-1 [हिं० मानना] १. मांजने को किया या भाव । २. माजने की मगदुरी। मैं जाना-क्रि० स० [ह गाँजना का प्रे० रूप] मांजने का काम दुसरे से कराना । निती गो गाजने में प्रयुत करना। मजाना-क्रि० स० मावता । मलकर साफ करना । 30- सूत मी कया माई। सीमा काय विनत विधि पाई:- पायसी (शब्द०)। मजारिखन-संशभा [ 119 miatt). '17' 130-13 मह जो परेवा धरा । माइ मजारि होन्ह व ग-त्रामी प्र० (गुप्त), पृ. २३८ । मजावट-1 [हिं० में जना ] गाजने या म ने 17 माप । २. माजने या मनोवाकिया। ३.लि.सी काम में हाथी मना । हाथ की सफाई। मजीठ- पु. [ मा'मनीट। 30-मए मजीठ पानन्द रंग लागे। कुसुम रग विर रहा न माने-पसी पं० (गुप्त), पृ० १६० । मजोरा-मा पु० [स० मीर ] १.६. 'मनोरा' । २. नुपुर । उ०-इन बात, म पु म पीरा।-नंद०प्र०, पृ. १३६ । मजूपाल-~is i• [सं० मभूषा ] २० मजूपा' । उ०-कीरति हूस म चूप प्रगट भई सुख सोभा सिपि हे हो। ~पनानद, पृ०४८७ मंजूसा@-संवा मोल [सं० मजूमा ] . मंडपा'। 3०-चौर पुकारि भेद गढ़ मुसा । सोले राजदार मंजुषा-पदमावत, पृ०२८०॥ म झा-अव्य० [सं० मध्य ] बीच में । उ०- परमावति कर जो वेवानु । जनु परभात परै लसि भानु । जायसी पं०, पु० १४७ । मॅझदारां-संशा श्री० [सं० मध्यधारा ] ६० 'मझधार' 1 30-हमें मझदार में छोड़कर सुरपुरी को विधार गए । मान०, पृ० २४४॥ म झधार-संशा को [ हिं• मक-- धार ] २० मझधार' ! मॅगला-वि० [म. मध्य हि० मन ला (प्रत्य)] मध का । बीच का । जो दो बीच में हो। मॅझारा-कि० वि० [.. मध्य] मध्य में। बीच में । उ०-महंकार कोन ते हैं जासी महतत्व र महनस्य कोन है प्राति मंझार :-उधर० प्र०, भा०१, पृ० ५२४ । म मियाना-कि०म० [हिं०] २० मिमियाना। मझियार-वि० [समध्य, पा. म35] मध्य फा। धान का। उ०-नव द्वारा रासे मंदिया । म मा दिए किनारा -जामनी (पा.१०)।