पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/५२१

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HO मदनललिता ३७६० मदमुकुलिताको मदनललिता-संज्ञा सी० [सं०] एक वाणिक वृत्ति का नाम । इस मदनी-वि० [अ०] १. मदीना का रहनेवाला। २. नगर में वृत्ति के प्रति वरण में सोलह वर्ण होते हैं। पहले मगण, रहनेवाला । शहरी (को०] । फिर भगण, नगण, मगण, नगण और अंत में गुरु होता है। मदनीय-वि० [स० ] उन्मादछ । मस्त करनेवाचा | राग उत्पन्न जैसे-माग्यो जी दान निज पति हू दासी चरण की । करनेवाला [को०) । मदनलेख–सञ्चा पु० [ स०] प्रेमी और प्रेमिका के पारसरिक मदनीयहेतु-सचा पु० [सं० ] धातकी । धाय का पेड़ । घो। प्रेमपत्र । मदनेव्छाफल-सशा पुं० [स०] कालमी आम का पेड़ । बद्ध रसाल | मदनशलाका-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १. मैना । २. कोकिला । कोयल | मदनसदन-सज्ञा पु० [सं०] १. भग । योनि । २. फलित ज्योतिष मदनोत्सव--संश पुं० [ स० ] मदन महोत्सव । के अनुसार जन्मकुंडली के सप्तम स्थान का नाम । मदनोत्सवा-सज्ञा श्री० [सं०] स्वर्ग की वेश्या । अप्सरा । मदनसारिका-संज्ञा स्त्री॰ [स०] सारिका । मैना ।। मदनोद्यान-सा पु० [सं०] अानंददायक एक प्रकार का उपवन । मदनहर-सा पुं० [ ] दे० 'मदनहरा'। प्रमोद वन [को०] | मदनहरा-सञ्ज्ञा सी० [स] चालीस मात्रामो के एक छंद का नाम । मदपानी-वि० [स० मद+पान + हि० ई (प्रत्य॰)] मद्य पीने, विशेष-छंदप्रभाकर में इसे मनहर लिखा है और दस, वाला। मद्यप। शराबी। उ०-मदपानी कि करै किन पाठ, चौदह और पाठ पर यति तथा प्रादि की दो मात्राओं जप मतिहीना । किं वायस ना भवे किं न कवि करें का लघु और अंत की मात्रा का ह्रस्व होना लिखा सुहीना । -पृ. रा०, १२।१३३ । है। उ०-संग सीय लक्ष्मण, श्री रघुनंदन, मातन के शुभ मदप्रयोग-संशा पु० [म० ] हाथियों का मद वहना । पाइय रे सब दुःख हरे। इसे मदनगृह भी कहते हैं। इसके यति और ग्रादि की लघु मात्रा के नियम को कोई कोई मदप्रसेक-सा पु० [सं०] हाथी के गंडस्थल से नवित होनेवाला कवि नहीं मानते |--जैसे,—सादल नजीव, महमूद आवत, मदजल [को॰] । जैता गूजर सहित देख जुद्ध पढ़े ।-सूदन (शब्द०)। मदप्रस्रवण-संशा पु० [सं०] १० मदनसेक'। मदनांकुश-संज्ञा पुं० [सं० मदनाङ्कुश ] १. पुरुष की इंद्रिय । मदफन-तचा पुं० [अ० मदफ़न ] वह स्थान जहां मुरदे गाड़े जाते लिग । २. नखक्षत। हैं । कब्रिस्तान । मदनांतक-संज्ञा पु० [सं० मदनान्तक] शिव । मदफून-वि० [ म० मद्फून ] १. दफन किया हुया या गाड़ा हुआ। मदनांध-वि० [ स० मदनान्ध ] कामाघ । ' २. गुप्त । गुह्य । पोशीदा [को०] । मदना--संज्ञा श्री० [ स०] १. मैना । सारिका । २. मद्य । मदिरा मदभंग-संज्ञा पु० [सं० मदमङ्ग] नशा उतरना । गर्व टूटना [को॰] । (को०)। ३. कस्तूरी (को०) । ४. अतिमुक्त नाम की लता मदभंजिनी-संग स्त्री० [सं० मदर्भानी ] शतमुलो । (को०)। मदभरा-वि० [सं० मद+हिं० भरा ] मदयुक्त । मतवाला। मदनायक-सज्ञा पु० [स० ] कोदव | कोदों। मदनातपत्र-मशा स्त्री॰ [ स०] योनि । भग को०] । मदमत-वि० [सं० मदमत्त ] दे० 'मदमत्त' । उ०-तरकि तरकि मति बज से डारे । मदमत इंद्र ठाढ़ी फलकार।-नंद००, मदनातुर-वि० [सं०] कामातुर । काम से पीड़ित या प्रातं [को०] । पृ०१६२ मदनायुध-संज्ञा पु० [सं०] १. कामदेव का अस्त्र । प्रत्यंत सुंदरी मदमत्त-वि० [सं०] १. (हाथी) जो मद वहने के कारण मस्त स्त्री। २. भग । ३. एक शस्त्र का नाम । हो । उ०-जिन हाथन हठि हरपि हनत हरिणीरिपु नंदन । मदनारि-संज्ञा पुं॰ [सं०] शिव । करत संहार कहा मदमत्त गयंदन।-केशव मदनालय-गंगा पु० स०] १. भग । योनि । २. फलित ज्योतिष (शब्द०)। २. मस्त । मतवाला। के अनुसार जन्मकुंडली मे के सप्तम स्थान का नाम । ३. मदमत्तक-संशा पु० [सं०] एक प्रकार का धतूरा [को॰] । कमल (को०) । ४. राजा (को॰) । मदनावस्था-सज्ञा स्त्री॰ [ मं०] १. कामुकों की विरहावस्था। २. मदमत्ता-संवा सी० [स०] एक वृत्ति या छंद [को॰] । कामकीड़ा की दशा। मदमाता-वि० [ स० मद+ हिं० माता <सं० मत ] [ वि० स्त्री० मदनाशय-संज्ञा पु० [सं० ] विषय की इच्छा । भोगेच्छा [को०] । मदमाती] दे० 'मदमत्त' । मदनास्त्र-संज्ञा पु० [सं०] १. कामदेव का प्रस्त्र । मदनायुध । २. मदमुकुलित-वि० [सं० मद + मुकलित ] जो मद या मस्ती में एक प्रल का नाम । अधखुले हों (नेत्र)। मदनी'-मका स्त्री० [स०] १. सुरा । वारुणो। २. कस्तूरी । ३. मदमुकुलिताक्षी-संज्ञा स्त्री० [सं० मद+मुकुलित+शक्ष+ ई (प्रत्य०}] मेघी । ४. अतिपुष्प नाम का फूल | ५. पाय का पेड़ । घो।। मद के कारण अघखुले नेत्रोवाली स्त्री । तिन न