पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/५३०

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मधुमाधव ३७६४ मधुरा मधुमाधव-मज्ञा पुं० [सं०] १. मालश्री, कल्याण और मल्लार मधुरकंटक-संज्ञा पुं० [सं० मधुरकण्टक ] एक प्रकार की मछली योग से बना हुमा एक सफर राग । २. चैत चौर वैशाख जिसे कजली कहते हैं। जो वसत ऋतु के मास माने गए हैं। मधुरक'-सहा पु० [सं०] जीवक वृक्ष । मधुमाधवसारंग-सज्ञा पु० [ स० मधुमाधसारङ्ग ] मोड़व जाति मधुरक-वि० दे० 'मधुर'। का एक संकर राग जिसमें धैवत और गाधार गित हैं । मधुरकर्कटो-संज्ञा स्त्रा[सं०] मीठा नीबू । मधुमाधवी-सज्ञा स्त्री॰ [ स०] १. एक रागिनी जो भैरव राग की सहचरी मानी जाती है। हनुमत के मत से इसका स्वर- मधुरजंबीर--संज्ञा पुं॰ [ स० मधुरजम्बीर ] मीठा जमीरी नीवू । ग्राम इस प्रकार है-म प ध नि सा रे ग म अथवा म प नि मधुरज्वर-संज्ञा पु० [ स०] धीमा और सदा बना रहनेवाला ज्वर । साग म। २. वासती लता। ३. एक प्रकार की शराब । विशेष-वैद्यक के अनुसार यह ज्वर अधिक घी आदि खाने मधुमाध्वीक-सज्ञा पु० [सं०] मद्य | शराब । अथवा पसीना रुकने के कारण होता है। इसमें मुंह लाल हो जाता है, तालु और जीभ सूख जाती है, नीद बहुत पाती, मधुमान्–वि० [सं० मधुमत् ] १. मोठा । २. सुखकर । प्रिय । ३. प्यास बहुत लगती मोर के मालूम होती है। जिसमे शहद मिला हो। ४. मधु से परिपूर्ण जैसे पुष्प को०)। मधुरता-संज्ञा पु० [सं०] १. मधुर होने का भाव । २. मिठास । ३. मधुमारक-संज्ञा पु० [सं०] भौर।। सौदर्य । सुदरता । मनोहरता । ४. सुकुमारता । कोमलता। मधुमालती-सज्ञा सा[स० ] मालती नाम को लता जिसके फूल मधुरत्रय-संज्ञा पुं० [सं०] शहद, घी और चीनी इन तीनों पीले होते हैं । विशेप दे० 'मालती' । का समूह। मधुमास-संज्ञा पु० [ स० ] १. चैत महीना । २. वसंत (को॰) । मधुरत्रिफला--संज्ञा स्त्री० [स०] दाख या किसमिश, गंभारी और मधुमूल-सज्ञा पुं॰ [ सं०] रतालू । खजूर इन तीनों का समूह। मधुमेह-संज्ञा पुं० [स०] किसी प्रकार के प्रमेह का बढ़ा हुआ मधुरत्व-संज्ञा पुं॰ [ स०] १. मधुर होने का भाव । मधुरता। २. रूप जिसमें पेशाव बहुत अधिक और मधु का सा मीठा मीठापन । मिठास । ३. सुदरता । मनोहरता। और गाढ़ा आता है। यह रोग प्रायः असाध्य माना जाता है और इससे प्रायः रोगी की मृत्यु हो जाती है। विशेप दे० मधुत्व-ज्ञा पुं०] स०] धौ का पेड़। 'प्रमेह'।-माधव०, पृ० १८६ । मधुरप्रियदर्शन-संज्ञा पु० [ स०] शिव [को०] । मधुमेही-संज्ञा पु० [सं० मधुमेहिन् ] जिसे. मधुमेह रोग हो । मधुरफल-संज्ञा पुं॰ [ स०] १. बैर का वृक्ष । २. तरबूज । मधुष्टि-संज्ञा स्त्री॰ [म.] १. मुलेठी । जेठी मद । २. ऊख । ईख । मधुरफला--संज्ञा स्त्री० [स०] मीठा नीवू । मधुयष्टिका-संज्ञा स्त्री॰ [स०] मुलेठी । मधुरबिंबो-संज्ञा स्त्री॰ [स० ] कुंदरू । मधुबिंबी। मधुयष्टी-संज्ञा स्रो॰ [ स०] मुलेठी। मधुरभाषा-वि० [सं० मधुरभापिन् ] मीठा बोलनेवाला । मधुयामिनी-संज्ञा ना. [ स. मधु + यामिनी ] वर वधू के मधुरवल्ली-ज्ञा' श्री० [स० ] एक प्रकार का नीबू [को०] । मिलन प्रथम रात्रि । सुहाग रात । आनंदयुक्त मधुरस'-संज्ञा पु० [स०] १. ईख । २. ताड़ वा खजूर । मधुर'--[सं०] १. जिसका स्वाद मधु के समान हो। मीठा । २. मधुरस'-वि० मोठा । मिठास से भरा हुआ [को०] । जो मुनने में भला जान पड़े। प्रिय । मधुर वचन । ३. सुदर। मधुरसरण-वि० [ स० मधुर + सरण | धीरे धीरे चलनेवाला ।- मनोरजक । उ०-सोइ जानकीपति मधुर मूरति मादमय उ०-प्राशो मधुरसरण माननि मन ।-गीतिका, पृ० ५५ । मंगलमई । -तुलसी (शब्द०)। ४. सुस्त । मट्टर (पशु)। मधुरसा-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] १. मूर्वा । २. दाख । उ०-स्वादी ५. मंदगामी। धीरे चलनेवाला । ६. जो किसी प्रकार क्लेशप्रद मृदुका मधुरसा काल मेखला होइ।-अनेकार्थ० पृ० ३० । न हो। हलका। उ०-मधुर मधुर गरजत घन घोरा।- ३. गंभारी । ४. दुधिया। ५. शतपुष्पी । ६. प्रसारिणी लता। तुलसी (शब्द० ) । ७. शांत । सोम्य । मधुरसिक-संशा पुं० [ स०] भौरा । मधुर-संज्ञा पुं० १. मीठा रस । २.,जीवफ वृक्ष । ३. लाल ऊख ! मधुरस्रवा- सज्ञा स्त्री॰ [ सं०] पिंड खजूर । ४. गुड़ । ५. धान । ६. स्कंद के एक सैनिक का नाम । ७. लोहा । ८. विष । जहर । ६. काकोबी : १०. जंगलो वेर । मधुरस्वन-वि० [सं०] दे॰ 'मधुरस्वर' । ११. बादाम का पेड़ । १२. गहा। १३. मटर मधुरस्वन'-संज्ञा पुं० शख (को॰) । मधुरई-संज्ञा ली [हिं० मधुर + ई (प्रत्य॰)] २. मधुर होने मधुरस्वर-संज्ञा पुं० [ स० ] गवर्व। का भाव । मधुरता । २. मिठास | मीठापन । ३. सुकुमारता। मधुर स्वर-मोठे स्वरवाला । मीठे स्वर का [को०] । कोमलता। मधुरा-संज्ञा बी० [सं० ] मदरास प्रांत का एक प्राचीन नगर जो