पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/७१

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फूटी हडफूटन। फूट-सज्ञा श्री० [हिं० फूटना] १. फूटने की क्रिया या भाव । २. फटकर अंग्वुबा निकलना । जैसे, बीज फूटना । ६. शाखा के वैर । विरोध । बिगाड़ । अनबन । उ०-अंगरेजी मे एक रूप मे अलग होकर किसी सीध में जाना । जैसे,-थोड़ी कहावत है कि फूट उपजाप्रो और शासन करो।-प्रेमघन०, दूर पर सडक से एक और रास्ता फूटा है। १०. बिखरना। भा०२, पृ०२४४। फैलना । व्याप्त होना । उ०—(क) दिसन दिसन सो किरन क्रि० प्र०-करामाहोना । फूठहिं । सब जग जानु फुलझरी छूटहिं ।—जायसी (शब्द॰) । यौ०- फूट फटक = अनबन । हिगाड़ । (ख) रेडा रूख मया मलयागिरि पहुँ दिसि फूठी वास ।- कबीर (शब्द०)। ११. निकलकर पृथक होना । संग या मुहा०-फूट डालना = भेद टालना । भेदभाव या विरोध उत्पन्न करना। झगड़ा डालना । उ०-नारद हैं ये बड़े सयाने घर ममूह से अलग होना । साथ छोडना । जैसे, गोल से फूट ना । १२. पक्ष छोड़ना। दूसरे पक्ष मे हो जाना। जैसे, गवाह घर डारत फूट |- सूर (शब्द०)। फूटना । १३. प्रलग अलग होना । विलग होना । संयुक्त न ३ एक प्रकार की बडी कक्डी जो खेतो मे होती है और पकने रहना । मिलाप की दशा में न रहना । जैसे, जोडा फूटना, पर फट जाती है। सग फूटना । उ०—(क) जिनके पद केशव पानि हिए सुख मुहा०-फूट सा खिलना = पककर या खस्ता होकर दरकना । मानि सबै दुख दूर किए । तिनको संग फूटत ही फिट रे फटि फूटफ-वि० [हिं० फूट+क (प्रत्य०) अथवा हिं० फुटकर ] कोटिक टूक भयो न हिए।-केशव (शब्द०) । (ख) तू फुटवर। मुक्तक । उ०-अध्यात्म बत्तीसिका पयडी फाग जुग फूट न मेरी भटू यह काहू कह्यो मखिया सखियान तें। धमाल । कोनी सिंधु चतुर्दशी फूटक कवित रसाल । कंज से पानि से पासे परे प्रसुपा गिरे ख जन सी अखियान -~-अपं० पृ० ५७। तें।-नृपशंभु ( शब्द०)। १४. शब्द का मुंह से निकलना । जैसे, मुह से वात फूटना। फूटन-सज्ञा सी० [हिं० फूटना १. टुफडा जो फूटकर अलग हो गया हो । २. शरीर के जोड़ों में होनेवाली पीडा । जैसे, मुहा०-फूट फूटकर रोना = बिलख बिलख कर रोना । बहुत विलाप करना। फूट पड़ना = रो पडना । फूटना-क्रि० अ० [सं० स्फुटन, प्रा० फुडन; या सं० स्फुट>हिं० १५. बोलना ।' मुह से शब्द निकलना। जैसे, कछु तो फूटो । फट+ना (प्रत्य॰)] १. खरी या करारी वस्तुपों का दबाव (स्त्रि०)। १६. व्यक्त होना । प्रकट होना। प्रकाशित होना । या प्राघात पाकर टूटना । खरी वस्तुपों का खंड खड उ०-अंग अंग छवि फूटि कढ़ति सब निरखत पुर नर होना भग्न होना। करकना। दरकना । जैसे, घड़ा नारी।-सूर (शब्द०)। १७. पानी का इतना खौल जाना फूटना, · चिमनी फूटना, रेवड़ी फूटना, वताशा फूटना, कि उसमे छोटे छोटे बुलबुलों के समूह दिखाई देने लगें । पत्थर फूटना। पानी का खदखदाने लगना । १८. किसी भेद का खुल जाना । संयो० कि-जाना। जैसे,-कही. वात फूट गई तो बड़ी मुश्किल होगी । उ०- मुहा०-उँगलियाँ फूटना = खीचने या मोड़ने से उँगलियों के संतन सग बैठि वैठि लोकलाज खोई । अब तो बात फूटि पई जोड़ का खट खट वोलना । उंगलियां चटकाना। जानत सब कोई । -मीरा ( शब्द०)। १६. रोक या परदे विशेष इस क्रिया का प्रयोग खरी या करारी वस्तुओं के लिये का दबाव के कारण हट जाना । बाँध, मेड़ आदि का टूट होता है। चमडे, लकड़ी प्रादि चीमड़ वस्तुप्रो के लिये जाना । जैसे, वांध फूटना । २०. पानी या और किसी पतली नहीं होता। चीज का रसकर इस पार से उस पार निकल जाना । जैसे, २. ऐसी वस्तुमो का फटना जिनके ऊपर छिलका या प्रावरण यह कागज अच्छा नहीं है, इसपर स्याही फूटती है । २१. हो अथवा मुलायम या पतली चीज भरी हो। जैसे, फटहल जोड़ो में दर्द होना। फूटना, सिर फूटना, फोड़ा फूटना। ३. नष्ट होना । विग- फूटरा -सञ्ज्ञा पु० [ देश० ] कटाक्ष । इशारेबाजी । भख मारना । ड़ना । जैसे, पांख फूटना, भाग्य फूट ना । ४. भेद कर उ०-फरगठ मारे फूट रा, कर सू सरगट काढ़। सठ दाखं निकलना। भीतर से झोंक के साथ वाहर आना । जैसे भालो सरस, गिनका वालो गाढ़ । -वकी ०, भा० २, सोता फूटना, धार फूटना। ५. शरीर पर दाने या घाव पृ० २। के रूप में प्रकट होना । फोड़े प्रादि की तरह निकलना जैसे, दाने फूठना, कोढ़ फूटना, गरमी फूटना । ६. फली का फटा'-वि० [हिं० फूटना ] [ वि० सी० फूटो ] भग्न । टूटा हुपा। खिलना। प्रस्फुटित होना। ७. जुड़ी हुई वस्तु के रूप में फूटा हुआ । जैसे, फूटी कौड़ी। फूटी आँख । उ०—कविरा निकलना । अवयव, जोड़ या वृद्धि के रूप में प्रकट होना । राम रिझाइ ले मुख अमरित गुन गाह। फूटा नग ज्यों जोरि पंकुर, शाखा मादि का निकलना । जैसे, कल्ला फूटना, मन संधिहि संधि मिलाइ ।-कबीर (शब्द०)। शाखा फटना । उ०-विरवा एक सकल संसारा। पेड़ एक मुहा०-फूटी आँख का तारा = कई वेटों में बचा हुमा फूटी बहु डारा ।—कबीर ( शब्द०)। ८. अंकुरित होना। एक बेटा । बहुत प्यारा लड़का । फूटी आँखों न भाना =