पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४७१

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म० लक्ष्मीक ४२३२ लक्ष्य पर्या-पद्मालया । पना | मला । श्री। हरिप्रिया । इदिरा। लक्ष्मीनिधि-मरा पु० [ग] १ राजा जनक के पुत्र का नाम । लोकमाता। मां। तीरा-तनया । रमा । जलधिजा। चाव्यनि । भार्गवी । ह रेवल्लभा। लक्ष्मीनृसिह-तमा पु० [सं० ] एक प्रकार के शालग्राम जिनपर २ धन सपत्ति । दौलत । दा चक्र प्रौर एक बनमाला बनी होती है। ऐसे शालग्राम यौ०-लक्ष्मीवान् । लक्ष्मीपति = धनवान । गृहग्थो के लिये बहन गुभ माने जाने हैं। ३ शोभा। सौंदर्य । छवि। उ०—जय अरि जय हित चत्तौ लक्ष्मीपतिजा पु० { मे० ] ? विगु । नारायण । २ कृष्ण । वदन लक्ष्मी वर ढगी।-गिरिधर (शन्द०)। ४ दुर्गा का ३ राजा । ४ लीग का वृक्ष । ” सुपारी का वृक्ष । एक नाम । ५ एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण मे दो लक्ष्मीपुत्र-गा पुं० [ म० ] १ कामदेव । २ घोडा। ३ मीता रगण, एक गुरु और एक लघु अक्षर होता है । जो,- जाहि को पत्र लन और पुण। पावै नही सत | खेल सो लक्षमी कत। ६ प्रार्या छद के २६ भेदो मे से पहला भेद जिसके प्रत्येक चरण मे २७ गुर और लक्ष्मीपुत्र- धनवान् । अमीर । ३ लघ वर्ण होते हैं । ७ सीता जी का एक नाम। ऋद्धि लक्ष्मीपुप्प- पुं० [म०] १ माणिक । लाल । २ परा । कमल । नाम की प्रोपधि । ६ वृद्धि नाम की प्रोपधि । १० वीर ३ लींग का फूल। स्त्री। ११ घर की मालकिन । गृहस्वामिनी । १२ हल्दी। लक्ष्मीपूजा 1- सी० [ ] दह पर्व जिममे लक्ष्मी का पूजन १३ शमी वृक्ष। १४ मोती। १५ मोक्ष की प्राप्ति । १६ करते । दीपावली। वह वृक्ष जो फलता हो अथवा जिममे फल लगे हो। १७ लक्ष्मीफल-सका पु० [ 10 ] वेल । श्रीफल । पद्म । कमल । १८ सफेद तुलमी। १६ मेढ़ासिंगी। २० लक्ष्मीरमण [-सञ्ज्ञा पुं० [ 7 ] नारायण । अभ्युदय । सौभाग्य (को०)। २१ प्रभु शक्ति । राज्यशक्ति (को०) । २२ चद्रमा की ग्यारहवी कला (को०) । २३ कन्या । लक्ष्मोवत्' - म॥ पु० [म. ] १ विष्णु । २ कटहल का वृक्ष । ३ श्रश्नत्य का वृक्ष । पुत्री। लक्ष्मीक सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] १ धनवान् । अमीर । २ भाग्यवान् । लक्ष्मीवत्-वि० धनवान् । अमीर । लक्ष्मीकात-सञ्चा पुं० [सं० लक्ष्मीकान्त ] १ नारायण । विशु । लक्ष्मोवल्लभ-सा पुं० [ म० ] विष्णु । २ राजा । नरेश (को०)। लक्ष्मीवसति-मग मी स. ] लाल कमल जो लक्ष्मी का निवास माना जाता है । लक्ष्मीगृह किो०] । लक्ष्मीगृह-सज्ञा पुं॰ [सं०] लाल कमल | लक्ष्मीवार-सशा पुं० [ 1-सफा पुं० [ स० ] एक प्रकार के शालग्राम जो बहुत लक्ष्मीवेष्ट-सशा पुं० [ म० ] ताडपीन । ] गुरुवार । लक्ष्मीजनार्दन- काले रंग के होते हैं और जिनपर एक पोर चार चक्र रहते हैं। लक्ष्मीश'-सज्ञा पुं० [ ] विष्णु । २ श्राम का वृक्ष । लक्ष्मी टोडी-सहा स्त्री० [ स० लक्ष्मी + हिं० टोडी ] एक प्रकार लक्ष्मीश-वि० धनवान् । अमीर । की सकर रागिनी जिसमे सव कोमल स्वर लगते है। लक्ष्मीसमावया-सशा सी० [सं० ] सीता जी का एक नाम [को०] । लक्ष्मोताल-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ मगीत मे १८ मात्रानो का एक लक्ष्मीसहज, लक्ष्मीसहोदर-राशा पुं० [ सं०] १ चद्रमा । २ कपूर ताल जिसमे १५ प्राघात और ३ खाली होते हैं। इसके मृदग (को०) ३ इद्र का घोड़ा । उच्च श्रवा (को०) । ४ शख (को०) । + १ २ ३ लक्ष्य'-सज्ञा पुं० [ ] १ वह वस्तु जिसपर फिनी प्रकार का के वोल इस प्रकार है-धा केटे धा धा केटे ताग धा केटे निशाना लगाया जाय । निशाना । २ वह जिसपर किसी प्रकार ९ १० ११ १२ १३ १४ १५० का प्राक्षेप किया जाय । ३ अभिलपित पदार्थ । उद्देश्य । ४ तागे नेना पान खून ग्रेदे ने तावेम गे तेटे गदि धेन । धा। अस्त्रो का एक प्रकार का सहार । ५ वह जिपका अनुमान किया २ श्रीताल नामक वृक्ष । जाय । अनुमैय । ६ वह अर्थ जो किसी शब्द की लक्षणा शक्ति लक्ष्मीधर - सज्ञा पुं० [सं० ] स्रग्विणी छ द का दूसरा नाम । २ के द्वारा निकालता हो । ७ व्याज । व्यपदेश । वहाना को०)। विगु । ८ एक लाख की मख्या (को०) । लक्ष्मीनाथ-सझा पु० [सं०] १ विष्णु । २ धनी । ३ राजा । लक्ष्य-वि० १ देखने योग्य । दर्शनीय । २ जिसका लक्षण या परि- लक्ष्मीनारायण-सज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार के शालग्राम जो बहुत भाषा की जाय (को०)। काले रग के होते हैं और जिनपर एक भोर चार चक्र वने लक्ष्यक्रम-वि० [ स० ] जिसका क्रम लक्षित हो। जैसे, लक्ष्यक्रम होते हैं । लक्ष्मीजनार्दन । लक्ष्मीनिकेतन-सज्ञा पुं० [सं० ] आमलक चूर्ण मे कि । हा लक्ष्यग्रह-सशा पुं० [सं० ] लक्ष्य मावना । निशाना लेना [को०] । स्नान (को०)। लक्ष्यज्ञ - वि० [ स० ] लक्ष्य का जानकार । लक्ष्य को जाननेवाला। म० HO o ४ HO ५ O ६ ७ 5 + . 1 ध्वनि।