पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/५८

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SO मलविनाशिनी मलार मलविनाशिनी-सज्ञा स्त्री॰ [स०] १ शखपुष्पी। २ क्षार । ३ निर्मली। मलान-वि० [स० म्लान ] दे० 'म्लान' । उ०—वरष चारि दस मलविसर्जन-सञ्ज्ञा पुं० [१० ] मलत्याग । शौच होना [को०) । विपिन वसि करि पितु वचन प्रमान । आइ पायं पुनि देखिहर्क मलवंग-सज्ञा स्त्री० [सं० ] अतीसार । मन जनि करसि मलान ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) सुनि सजनी सुर भान है अति मलान मति मद । पूनो रजनी मे मलशुद्धि-सज्ञा स्त्री॰ [ सं० ] पेट का साफ होना । कोष्ठबद्धता दूर जु।गिलि देत उगिलि यह चद । -शृ स० (शब्द०)। होना [को०] । मलसा-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स० मल्लक ] घो रखने का कुप्पा । मलानि-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० म्लानि'] दे॰ 'म्लानि'। उ०-जानि जिय अनुमानही सिय सहस विधि सनमानि । राम सदगुन मलसी-सज्ञा स्त्री० [हिं० मलसा ] मिट्टी का वर्तन जिसमे प्राय' धाम परमित भई कछुक मलानि । —तुलसी (शब्द०) मुसलमान खाना पकाते है। मलापह-वि० [ ] [वि० सी० मलापहा'] १. मलनाशक । मलसूत-सञ्ज्ञा पु० [अ० मवसूत ] भारी वोझ उठाकर गाडी या नाव मल दूर करनेवाला । २ पापनाशक । ग्रादि पर लादने का यत्र । गोध । दमकला। मलहता-सज्ञा पु० [ स० मलहन्त ] सेमल का मूमल । मलावार-सज्ञा पुं॰ [ स. मलय + हिं० बार (= किनारा) ] भारत के दक्षिणी प्रात 'का वह प्रदेश'जो पश्चिमा किनारे पर है। यह मलहम-सचा पु० [अ० मरहम् ] प्रोपधियो के योग से बना हुआ प्रदेश पश्चिमी घाट के पच्छिमी समुद्र के तट पर है । चिकना चमकोला लेप जो घाव, फोडे आदि पर लगाया जाता है। मरहम । मलावारी-वि० [हिं० मलबार + ई (प्रत्य॰)] मलावार का निवासी। मलहर-सञ्ज्ञा पु० [ स० ] जमालगोटा । जयमाल ।' मलामत-सशा मा० [अ० ] १. लानत । फटकार । दुतकार । उ०- आया राज क्याभत मलामत से पाक हुए, रहैगा सलामत खुदाई मलहा-नक्षा स्त्री॰ [सं०] हरिवंश के अनुसार राजा रौद्राश्व को आप आप ते ।-(शब्द०)। कन्या का नाम। यौ०-लानत मलामत । मलहारक-सज्ञा पु० [ स० ] भगी। मेहतर । २ किसी पदार्थ मे का निकृष्ट या खराव'ग्रंण । गदगी। मला-सशा स्त्री॰ [स] १ चमटा । २ चमडे से बना हुआ पदार्थ । ३ कसकुट । ४. भुई आँवला । ५' विच्छू का डक । क्रि० प्र०—निकलना ।—निकालना । ६ वा हलदी। मलामती-वि० [फा०] १. जो मलामत करने के योग्य हो । मलाई -सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ देश० या अ० माल (= सार तत्व ) ] दूध दुतकारने या फटकारने योग्य । २ घृणित । जघन्य । को साढी। उ०-छाछ को ललात जैसें राम नाम के प्रसाद मलायक-मचा पुं० [अ० मलक का बहु० मलाइक ] देववाण (को०] । खात खून मात साँधे 'दूध को मलाई है।—तुलसी (शब्द॰) । मरिसज्ञा पुं० [ स० मल्लार ] संगीत शास्त्रानुसार एक राग का विशप-जब दूध हलकी आंच पर गरम किया जाता है, तब : नाम । उ6-पूम मास” सुनि सखिन पं साई चलत सवार । वह गाढा होता जाता है और उसके। ऊपर ' सार भाग की गाह कर विन परवान तिय' राग्यौ रांग मलार ।-विहारी एक हलकी तह जमती है। यही तह बार बार जमने स मोटी (शब्द०)। हो जाती है। इसी को मलाई कहते हैं। यह मुलायम और चिकनाई से भरी होती है तथा जमाए जाने पर इमी मलाई को विशेष-कुछ प्राचार्य इसे छह प्रवान रागो के अतभूत मानते हैं, पर' दूसर इसके बदले हिंडाल या मेघराग को स्थान देत है। मथकर ममका निकाला जाता है। यह राग वर्षाऋतु मे गाया जाता है। वेलावली, पूरवो क्रि० प्र०-श्राना ।-नमाना।—पडना। कान्हडा, माधवों, काडी और केदारिका ये छह इसको रागिनियाँ २ सारतत्व । रस । उ०-भूरि दई विष भूरि भई ।प्रहलाद सुधाई है। यह सपूर्ण जाति का राग है और इसके गाने की सुधा की मलाई । -(शब्द०)। ३ एक रग का नाम जो ऋतु वपा और ममय गत का दूसरा पहर है। सगीत- बहुत हलका बादामो होता है। सार ने इस मेघ राग का छठा पुत्र 'माना है। इसका रग मलाई-सचा स्त्री॰ [हिं० मलना ] १ मलने की क्रिया या भाव श्याम, आकृति भयानक, गल म सपि का 'माला पहने, २ मलने की मजदूरी। फूला के प्राभूषण' धारण किए सस्त्रोक' बतलाया गया है। मलाकी-सञ्ज्ञा पुं॰ [स० मलाकर्पिन्] [स्त्री॰ मलाकर्षिणो] मलहारक । इसका स्थान विध्याचल, वस्त्र केले का पत्ता 'और मुकुट केले भगी। मेहतर। को कलिका कहो जाता है। इसका अस्त्र धनुप, कटारो और मलाका-सशा स्त्री० [सं०] १ कामिनी स्त्री। उ०—नद लला यहि छुरा लिखा है। मे न मलाकान कोने धो काम ‘कला तुलकी।-अकवरी०, मुहा०—मलार गाना = बहुत प्रसन्न होकर कुछ कहना, विशेषत. पृ० ३५१ । २ वेश्या । ३ दूती। ४. हथिनी। गाना। जैसे,—पाप ता दिन 'भर घर' पर बैठे भलार गाया मलाट-सज्ञा पु० [ देश० या अ० मौटिल्ड ] ' एक प्रकार का मोटा करते हैं। घटिया कागज जो प्राय खाकी रग का होता है और कागजो के मलारि--सशा पुं० [सं०] क्षार । वडल वांधने या इसी प्रकार के और कामो मे प्राता है। --