पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/१२४

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  • समास' शब्दों को किस तरह होता है, इस स्थिति में शब्दों की पूर्वापर

स्थिति किस तरह होती है, इनमें से फिर किस शब्द की प्रधानता रहती है, सम्बन्ध किस शब्द के अनुसार पूर्व में रहता है और क्रिया-शब्द किसके अनुसार, यह सब इसी शास्त्र का प्रतिपाद्य विषय है । इसी लिए इसे “शब्दा नुशासन' कहते हैं । प्रयोग-बाहुल्य से व्याकरण तथा ‘शब्दानुशासन' शब्द पर्याय-रूप हो गए हैं-एक की विशेषता दूसरे में आ गई है । अर्थात् 'व्या- करण' कहने से शब्दानुशासन और ‘शब्दानुशासन' से व्याकरण गृहीत हो जाता है । व्याकरण में पद-प्रकृति आदि की व्यवस्था तथा शब्द की प्रयोग- विधि समझाई जाती है। यह बात शब्दानुशासन में है। शब्दानुशासन- शास्त्र में शब्दों की प्रत्यय-कल्पना तथा प्रयोग-विधि प्रतिपादित होती है। शब्दानुशासन में ‘अनु' शब्द ध्यान देने योग्य है। व्याकरण भाषा पर ( भाषा के शब्दों पर ) शासन नहीं करता है। व्याकरण अपनी प्रज्ञा से शब्दों के स्वरूप में परिवर्तन नहीं कर सकता, उनके अर्थों में कोई हेर-फेर नहीं कर सकता, भाषा की गति बदल नहीं सकता। वह तो अनुशासन मात्र करता है । ‘अनु' का अर्थ है ‘पश्चात् अथवा ‘अनुसार' । परम्परा से जिस शब्द को जो रूप चलता आ रहा है और जिसका जिस अर्थ में प्रयोग है; व्याकर उस का अनुगमन करेगा। व्याकरण न तो शब्दों के रूप बदल सकता है, न मन-चाहे अर्थ में किसी शब्द को धकेल सकता है । वह भाषा के अनुसार ही चलेगा और भाषा की गति भंग करनेवाले अज्ञानी या उच्छखल जनों को सही रास्ते लाएगा । युई। इसका ‘शासन' है । भाषा के पीछे चलने के कारण अनुशासन' । हिन्दी की प्रकृति है कि यहाँ 'ऋ' के साथ ‘ऋ' मिलकर दीर्घ-एकादेश नहीं होता, क्योंकि दीर्घ “ऋ' को यहाँ प्रयोग है ही नहीं। तब हिन्दी का कोई भी व्याकरण यहाँ ‘पितृ-ऋण' का पितृ’ सन्धि-विधान नहीं कर सकता । करे, तो फिर वह ‘शब्दानुशासन न रहेगा-‘शब्दशासन' हो जाएगा ! ऐसा शासन भाषा स्वीकार नहीं करती है। संस्कृत के एक वैय्याकरण ने पुंशु प्रयोग का विधान कर दिया, जो उनकी पुस्तक में ही धरा रह गया ! आज तक किसी ने संस्कृत में पुक्षु' का प्रयोग •न किया ! सब ‘पुंसु ही लिखते-बोलते हैं। स्वयं पाणिनि के ऐसे प्रयोग भाषा में नहीं चले, जो गति-विपरीत हैं । पाणिनि ने भाषा की गति को सही निर्देश किया--‘समाहार द्वन्द्व में नपुंसक लिग और एकवचन होता है । यह नियम भाषा की स्वाभाविक गति का अनुविधान, अन्वाख्यान या अनु-