पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/१६१

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( ११६ ) पर्यङ्क' 'अञ्चित’ आदि । हिन्दी में यह अनिवार्यता नहीं है-अंकित, अंक, पर्य, अंचित आदि रूप भी चलते हैं और अधिकतर ये ही चलते हैं । इन्हें अङ्कित आदि के ‘तद्भव’ रूप कह सकते है । जो तदूर ही ( ‘अङ्कित श्रादि ) लिखना चाहें, उनके लिए कोई रोक भी नहीं है ! परन्तु सन्धि सन्ध्या' गुम्फित' हिन्दी' आदि में ‘३ म्' आदि ही रहेंगे, अनुस्वार न होगा न होना चाहिए । कारण यह कि यहाँ न्–म् श्रादि की स्पष्ट श्रुति है। इसी तरह ‘पय आदि दूसरी भाषाओं के शब्दों में समझिए। ‘संधि’ ‘संध्या' ‘दंत पंप’ श्रादि कर देने से हिन्दी के यथाश्रुत लेखन' का सिद्धान्त जाता है और उच्चारण-सम्बन्धी एकता भी नष्ट होगी । पंप’ को आप दम्प’ ही पढ़ेंगे-अनुस्वार का उच्चारण ‘पप न करेंगे और ‘दंत' को भी ‘दत जैसा नहीं, ‘दन्त’ ही बोलेंगे। तब फिर लिखने में गड़बड़ क्यों की जाए ? ‘दंत' देख कर अहिन्दीभाषी जन ‘दत या ऐसा ही कुछ उच्चारण सोचने- समझने की झंझट में पड़ेंगे ! वे समझेगे कि हिन्दी में ‘दन्त' का उच्चारण कुछ भिन्न होगा, तभी तो “दंत' लिखा है ! इस झमेले को दूर रखने के लिए यथाश्रुत ‘दन्त' अादि ही हिन्दी ने ग्रहण किए हैं। 'अङ्कित’ को ‘अंकित कर देने से कोई वैसी गड़बड़ नहीं, क्योंकि अनुस्वार का और ‘कु’ का उच्चारण एक-जैसा ही है । 'अञ्चित” तथा “पण्डित' के साथ अंचित-पंडित' चलने में वैसी बाधा नहीं है । और “अ” तथा “शा' का स्पष्ट उच्चारण “अञ्चित’ ‘पण्डित में नहीं है-'न्’ सुनाई देता है। अनुस्वार' यथास्थान सभी पञ्चम वर्गों का प्रतिनिधित्व कर लेता है। इसी लिए ‘नासिका' ही अनुस्वार झा स्थान बतलाया हैनासिकानुस्वारस्य' । “ङ' से 'म' तक सभी अनुनासिक व्यंजन नासिका के सहयोग से हैं। हिन्दी में इ, उ, ण वर्गों की स्थिति नगण्य है; इस लिए इनका प्रतिनिधित्व अनुस्वार करता है । “न' तथा 'मु’ का ही उच्चारण विशेष ध्यान देने की चीज है। तद्भव टंडन आदि को पुर-सवर्ण कर के टण्डन जैसा लिखना बेमजे है-बड़ी का फिर दूध बनाने झा प्रयत्न ! इसी तरह डंडा, कंडा, कंवर, नंगा, लफंगा अादि अनुस्वार से ही चलते हैं। ‘सुपरिंटेंडेंट' को सुपरिंटेण्डेण्ट' जैसा नहीं लिखा जाता। सुपरिन्टेन्डेन्ट' जैसा उच्चार लोग करते हैं। परन्तु न न न्’ की जगह ऊपर तीन बिन्दियाँ ज्यादा भली लगती हैं, इन्हीं का चलन भी है। विकल्प समझ सकते हैं। इ, अ, ए’ न ठेठ हिन्दी की चीजें हैं, न अंग्रेजी श्रादि की ही । छाँ, राजस्थान, पंजाब तथा कुरु जनपद में ‘ए’ चलता है ।