| भय के हेत में ( जिससे डर था खतरा हो, या न हो, उसमें ) से
विभक्ति लगती है।
१–मोहन हम से डरता है ।
२-शेर से सभी डरते हैं ।
३–यहाँ बिजली से खतरा है।
४–कमजोर से कोई नहीं डरता ।
भोज्य वस्तु के सहकार में-रोटी आदि के बाथ दाल-साग आदि
का प्रयोग होने पर इन ( दाल-साग ) आदि में 'से’ विभक्ति लगती है-
१---कृष्ण सक्खन से रोटी खाते थे । ।
२-हम लोग ‘डालडे' से बने साग से रोटी खाते हैं !
३-कुछ न होने पर चदनी या नमक से ईं दी खा
प्रमुख भोजन में से न लगेगी । रोटी से दाल न होगा । 'खिचड़ी
से रोटी' होय, परन्तु खिचड़ी में भी प्रधानता हो, तब-आज खिचड़ी
और रोटी खाई है होगा ।
उपेक्षा-व्यंजन में-उपेक्षा या अकिंचित्करत्व प्रकट करना हो, तत्र
“अँगूठा' आदि शब्दों में से विभक्ति लगती है:-
“तू से पढ़े, तो न सही, इमारे अँगूठे में
यानी तेरे न पढ़ने से हमारी हानि क्या होगी १ तेरे में पढ़ने की इभ
उपेक्षा करते हैं ! इसी तरह
‘रोटी ने बने, तो न सही, मेरी बला से
अादि समझिए ।
हिन्दी की लम्बन्ध-विभक्तियाँ-के, २, ३
'ॐ' ३' तथा ' हिन्दी की सम्बन्ध-विभक्तियाँ हैं । कार-
विभक्ति ने अलग्न है, जिसका उल्लेख पहले किया इन्वा । यह सम्बन्ध-
विभक्ति ‘ने पृथक हैं । इन तीन विके के प्रतिपक्ष न लम्बन्ध-स्य
पृयकू हैं--क, ३, ६ । ईने चुम्बन्ध-त्य की अब छ सुन्छ न
रूप हो३ ३ । ‘क’ ‘न' ५ तर्कि-
हैं, जि ॐ ऋजिंभक्ति के
हैं ।
पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/१७२
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