पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/१७२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
(१२७)


| भय के हेत में ( जिससे डर था खतरा हो, या न हो, उसमें ) से विभक्ति लगती है। १–मोहन हम से डरता है । २-शेर से सभी डरते हैं । ३–यहाँ बिजली से खतरा है। ४–कमजोर से कोई नहीं डरता । भोज्य वस्तु के सहकार में-रोटी आदि के बाथ दाल-साग आदि का प्रयोग होने पर इन ( दाल-साग ) आदि में 'से’ विभक्ति लगती है- १---कृष्ण सक्खन से रोटी खाते थे । । २-हम लोग ‘डालडे' से बने साग से रोटी खाते हैं ! ३-कुछ न होने पर चदनी या नमक से ईं दी खा प्रमुख भोजन में से न लगेगी । रोटी से दाल न होगा । 'खिचड़ी से रोटी' होय, परन्तु खिचड़ी में भी प्रधानता हो, तब-आज खिचड़ी और रोटी खाई है होगा । उपेक्षा-व्यंजन में-उपेक्षा या अकिंचित्करत्व प्रकट करना हो, तत्र “अँगूठा' आदि शब्दों में से विभक्ति लगती है:- “तू से पढ़े, तो न सही, इमारे अँगूठे में यानी तेरे न पढ़ने से हमारी हानि क्या होगी १ तेरे में पढ़ने की इभ उपेक्षा करते हैं ! इसी तरह ‘रोटी ने बने, तो न सही, मेरी बला से अादि समझिए । हिन्दी की लम्बन्ध-विभक्तियाँ-के, २, ३ 'ॐ' ३' तथा ' हिन्दी की सम्बन्ध-विभक्तियाँ हैं । कार- विभक्ति ने अलग्न है, जिसका उल्लेख पहले किया इन्वा । यह सम्बन्ध- विभक्ति ‘ने पृथक हैं । इन तीन विके के प्रतिपक्ष न लम्बन्ध-स्य पृयकू हैं--क, ३, ६ । ईने चुम्बन्ध-त्य की अब छ सुन्छ न रूप हो३ ३ । ‘क’ ‘न' ५ तर्कि- हैं, जि ॐ ऋजिंभक्ति के हैं ।