पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/१९५

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( १५० ) ३-लड़कियों को अब पाठशाला जाने दो ४---अब हम इन्हें अपना काम करने दें। ५.--- इसे सोने दो, हम लोग खीर खाएँ । ऊपर के बाक्य में, ऐसा लगता है कि साधारण संयुक्त क्रियाएँ हैं; ३” सहायक क्रिया है । परन्तु वस्तुतः ऐसा नहीं है। सहायक क्रिया' ३युद्ध ‘छा छोड़ कुछ दूसरा अर्थ दे रही है। दो ‘दै अदि से यह नहीं निकलतः कि झिल? को कोई पढ़न्द' या काम करना प्रदान कर रहा है । हाँ, अध्ययन् दि में बाधा न देना भी एक तरह से अध्ययन-दान' ही है; यह दूसरी बात है । प्रथम वाक्य में यह ध्वनि है कि रास’ को श्रद बात में न उलझा, पस्तक पढ़ लेने दो। देखिए, 'द' की तरह ले’ का भी उसी तरह प्रयोग है---‘म को पुस्तक पढ़ लेने दो। ले’ साथ श्री जाने से '६” का अर्थ भी कुछ विष्टि हो जाता हैं। पांचवें वाक्य में कुछ उपेक्षा हैं, या उपेक्षा-सी है ! ऐसी जगह दो दें ऋदि के कतई सो “तुम’ ‘इम' हैं; परन्तु ‘पढ़ना ‘सो लेना' 'ज्ञान' ‘कृरना ‘सोना’ क्रिया के ‘कृत राम आदि हैं, जिनमें को' विभक्ति ली है और ये वाक्य ‘दो आदि के कृमें हैं। ‘चुस्तक पढ़ने के समय रास को सत छेड़ो, मत अन्त्र उलझा' यह सत- हुई । इसे सोना छोड़ दो--इसे सोने दो' का मतलब है। य यह एक विशेष प्रकार है, सहायक क्रिया का ।। नैसर्गिक आवेगों के उद्रेक मैंः लैंङि वेग का उद्रेफ जहाँ विधेय हो, वह ‘क’ विभक्ति उसमें लगती हैं, जिसका वह आवे' हो । जैसे- १-बीमार कै हो गई । २---उसे कई दस्त हो गए। ३- बच्च कोई पेशाब लगे, तो यहीं बैठा देना ४--तुम्हें बार-बार टट्टी क्यों लगती है ? इसी तरह मानसिक अवे में- १---सब परशुराम को क्रोध आ गया २-बुढ़िया को इतना लोभ है कि क्या कहा जाए ! ३–मुझे भी फिर तैश ऋ गया ! ४--भाई, तुमको बड़ी चिन्ता है ! और.. १-हमें प्यास लगी है-२-तुम को भूख लगी है।