पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/१९६

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इन सब प्रयोगों में बह को विभक्ति है, जहाँ वे भावे हैं । ये सब

  • म कारक ही है---श्राबेगों के आश्रय होने पर भी । इन भ्राधा

को अधिकार रूप में ऐसी ई नहीं रखते, जव झि इनका उद्रेक जिवेथ हो । साधतः में क्रोध बहुत है। कहा जाए । क्रोध का अधिफर 'राम' है । परन्तु जुई वृह झोघ उड़ रहा हो, उसका उद्रेक धेिय हो, तब ‘’ विभक्ति का प्रयोग हो । स्पष्टता के लिए समझिए कि इस को भूख हम को ६ अ या आदि में भूख “क्रोध आदि कतारक हैं-स्तः स ई । म को भूख गई’ में भूख है फत-कारक र ‘रा है -$र । कर्म का पूत्र प्रयोग भर। अद में इस से है, 'ध' है । र अाथा --- म क । एक विशेष प्रकार कु छ समझिए । यादी अझ झ ६-रू हे प्रह है। हे जइ सं ना इलाके से काम ; ; ; ; की ' न हो । हाँ, उहेक कृ दिन न है, हमें ज़रूर कह ना ;-एम को भूख त परेशान कर देती है । यह ‘भूव उई हैं। परन्तु यहाँ ‘को' विभक्तिः न लगे--- १-स' के लड़का हुआ है। २-यशोदा के--- हुए, ऐ लोर ने समझा ! ३ 'के' ॐ जराइ को नहीं कर सकते है वह 'ॐ' संबल विभ६ हैं, जो एकरस रहती हैं। शो को कुछ हुए कहने से मामला गिड़ जाए । पुत्ररत्न को वैसा कैसे समझा छाएगा ! *को' ते कुॐ दुसरं हुई प्रयुक होता है, उदाह में देखिए । “पुत्र' टी-देब थोड़े ही है। इस के पुछ हुआ इ स ॐ' : अर' आदि किं भी शब्द का अध्याहार नहीं है । है हैं ही सब स्पष्ट हैं। यह संन्छ । प्रकट हैं, विशेष रू से वह पुत्र राम का है, जो पैदा हुआ है। यदि घर का अध्याहार है, तो फिर यई बात न रहे। इस बर में सड़क हुश्न हैं और राम के लइका हुअा है' में बड़ा बदर हैं। राम के घर में लड़का हुआ है तो पता नहीं चलता किं वह लड़का किसका है ! घर में दो भाई, भतीजे, पुत्र, आदि सभी रहते हैं और सभी के लड़के हो सकते हैं। एक ही घर में सब रहते हैं, तो क्या पता चलेगा कि किसे पुत्र-प्राप्ति हुई ! इसलिए